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मार्टिन लूथर किंग के सपने आज भी अधूरे

अश्वेतों के साथ अभी भी अमानवीय व्यववहार
एल. एस. हरदेनिया - 2020-06-04 08:56 UTC
वर्ष 1963 में अगस्त 29 को अमरीका की राजधानी वाशिंगटन में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन का नेतृत्व मार्टिन लूथर किंग जूनियर कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी ‘हमें सम्मान और काम चाहिए‘। इस प्रदर्शन में दो लाख लोग शामिल थे। प्रदर्शनकारियों में अश्वेत और श्वेत दोनों शामिल थे। अश्वेत 90 प्रतिशत और श्वेत 10 प्रतिशत थे।

ट्रम्प के अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग के दौर का दोहराव

बहुसंख्यक अमेरिकियों के लिए अमेरिका अब भी गोरे लोगों का मुल्क है
अनिल जैन - 2020-06-03 08:56 UTC
लगभग 12 वर्ष पूर्व जब बराक ओबामा पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे तो दुनिया भर में यह माना गया था कि यह मुल्क अपने इतिहास की खाई (नस्लभेद और रंगभेद) को पाट चुका है। लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि ओबामा के कार्यकाल में ही वहां नस्लवादी और रंगभेदी नफरत ने बार-बार फन उठाया और वह सिलसिला आज भी जारी है। एक गोरे पुलिस अधिकारी के हाथों एक निहत्थे काले नागरिक की हत्या के विरोध में पूरा अमेरिका गुस्से से उबल रहा है। देश भर में उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। जनाक्रोश की तेज लपटें राष्ट्रपति के निवास व्हाइट हाउस तक पहुंच चुकी हैं, लिहाजा राष्ट्रपति को सुरक्षा की दृष्टि से व्हाइट हाउस के नीचे बने बंकर में ले जाना पडा है।

चीनी काॅर्पोरेट शिकारी शिकार पर

कोरोना से पस्त अर्थव्यवस्थाएं उनका निशाना है
नंतू बनर्जी - 2020-04-28 09:50 UTC
लॉकडाउन, वैश्विक शेयर बाजार की गिरावट और बड़े और मध्यम दोनों प्रकार के उद्यमों की नकारात्मक बाॅटम लाइन अब नकद-समृद्ध चीनी शिकारियों को अब आकर्षक दिखने लगी हैं। और ’अच्छी दिखने’ वाली संपत्ति पर कब्जा करने के लिए आक्रामक तरीके से अंतरराष्ट्र बाजार में प्रवेश कर चुके हैं। इस महीने की शुरुआत में, औद्योगिक और वाणिज्यिक बैंक ऑफ चाइना और चाइना इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ने कथित तौर पर बैंकरों को वित्तीय सेवा क्षेत्र में अच्छे निवेश अवसरों की पहचान करने के लिए कहा था। साथ में, दोनों फंड खरीद के माध्यम से डाॅलर 600-650 मिलियन लगाना चाहते हैं।

अलगाव में डाले गए भारतीयों के मानसिक स्वास्थ का ध्यान रखें

बिना सामाजिक संपर्क के भावनात्मक चिंता बढ़ जाएगी
अरुण श्रीवास्तव - 2020-04-04 08:44 UTC
अज्ञात का डर सबसे अधिक भयानक होता है। यह अधिक तीव्र हो जाता है जब कोई निश्चित नहीं होता है कि आगे क्या है और यह समझने की स्थिति में नहीं है कि किसी परिणाम को देखने के लिए कितने तरीकों से प्रयास करना चाहिए। बीमारी के प्रसार का मुकाबला करने के लिए लॉकडाउन लगाए जाने के मद्देनजर भी यही स्थिति पैदा हुई है।

बांग्लादेश ने हिन्दुओं को दी रियायतें

ढाका ने भारत पर बढ़त बनाई
आशीष विश्वास - 2020-01-25 11:23 UTC
एक बार फिर, ऐसे समय में जब भारत के कूटनीतिक कौशल को एनआरसी और संबंधित मुद्दों पर सीमित करने के लिए चुनौती दी जा रही है, बांग्लादेश ने भारत पर एक कूटनीतिक बढ़त बना ली है। इसके मुख्य चुनाव आयुक्त के.एम. नुरुल हुदा ने देश की हिंदू आबादी की अपील का जवाब देते हुए ढाका शहर के निगमों के लिए मतदान की निर्धारित तिथि 30 जनवरी से 1 फरवरी कर दी। सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी एक प्रमुख हिंदू धार्मिक त्योहार इस वर्ष 30 जनवरी को पड़ता है। लगभग 1.7 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले हिंदू नेताओं ने मतदान उसी दिन रखने का विरोध किया था।

टाला जा सकता था आईसी 814 विमान अपहरण

विमान अपहरण के बीस साल
आलोक कुमार - 2019-12-26 11:40 UTC
इंडियन एयरलाइंस की विमान आईसी 814 के अपहरण के बीस साल पूरे हो गए। आतंकवाद के इतिहास में इसे भूलना मुमकिन नहीं। बीती सदी के आखिरी दिनइससेपाक परस्त आतंकवाद ने हमें गहरा जख्म दिया था। हमारे सुरक्षा तंत्र को निशक्त किया गया। विमान अपहरण के नाम पर पाकिस्तानपरस्त आतंकियों के आगे हमें घुटने टेकने को मजबूर होने पड़े। एयरबस 3000 श्रेणी के इस भारतीय विमान में फंसे 155 मुसाफिर औऱ 15 क्रू मेंबर्स की जान की कीमत पर काफी मंहगा सौदा करना पड़ा। सौदे में जम्मू जेल से छूटा खूंखार आतंकी मौलाना अजहर मसूद आजतक निरंतर भारत पर बड़ा से बड़ा आतंकी हमला किए जा रहा है। उसे अंतर्राष्ट्रीय आंतकवादी करार देने में हमें चीन के आगे कूटनीतिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

आरसीईपी में भारत

हमें अपना समय खुद चुनना होगा
अशोक बी शर्मा - 2019-11-08 10:35 UTC
भारत ने वर्तमान रूप में मेगा ट्रेडिंग ब्लॉक रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है क्योंकि इसकी मांग पूरी नहीं हुई थी। खैर इसका मतलब यह नहीं है कि उसे अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी को छोड़ना होगा। किसी व्यापार ब्लॉक में शामिल होना क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के तरीकों में से एक है। भारत के दूरदराज के प्रशांत द्वीप समूह तक के क्षेत्र के सभी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंध हैं। पारस्परिक विकास, आर्थिक सहयोग, संपर्क और लोगों से लोगों का संपर्क भारत की नीति की आधारशिला रहा है और इसलिए आरसीईपी का हिस्सा नहीं होने से यह एक्ट ईस्ट पाॅलिसी को किसी भी तरह से अप्रासंगिक नहीं बनाता है।

चीन हाँगकाँग में बैकफुट पर

मानव अधिकार का घोर उल्लधन
अरुण श्रीवास्तव - 2019-09-04 08:27 UTC
चीन का तीव्र दुष्प्रचार दुनिया को यह समझाने का कदम है कि प्रदर्शनकारी राष्ट्रविरोधी हैं और प्रत्यर्पण बिल को खत्म करने की उनकी मांग हांगकांग के हित के खिलाफ है। आंदोलन के समर्थकों अपमानित करना चीनी शासकों की ज्ञात रणनीति रही है। शुरुआती चरण में हफ्तों तक शासकों के निर्देश पर चीनी मीडिया ने हांगकांग के उथल-पुथल को नजरअंदाज किया। यह संदेश भेजने का एक रणनीतिक कदम था कि सरकार विरोध के प्रति सहिष्णु है।

हांगकांग विद्रोह पर चीन बैकफुट पर

‘एक देश, दो व्यवस्था’ का फ्रेमवर्क काम नहीं कर पा रहा है
अरुण श्रीवास्तव - 2019-08-24 10:56 UTC
चीनी सरकार इस बात से अवगत है कि विश्व बंधुत्व के लिए उदार चेहरा दिखाए बिना कोई भी कठोर कार्रवाई दुखद साबित होगी। यह हांगकांग की अंतर्राष्ट्रीय छवि को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाएगा, और बड़ी संख्या में मुख्य भूमि चीन के हमवतन की भावनाओं को गंभीर रूप से आहत करेगा, जो चीन निश्चित रूप से नहीं चाहेगा। इस पृष्ठभूमि में हॉन्ग कॉन्ग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैरी लैम का कथन महत्वपूर्ण है कि ‘बेहद घिनौने हिंसक अपराध को कानून के अनुसार कड़ी सजा दी जानी चाहिए’।

शिनझियांग मसले पर मुस्लिम देशों का चीन को समर्थन

धर्म की राजनीति या राजनीति का धर्म?
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-07-15 09:53 UTC
शिनझियांग मसले पर अमेरिका और यूरोपीय देश खिन्न हैं, क्योंकि वहां के मुसलमानों की धार्मिक आस्था के अधिकार को चीन ने बाधित कर रखा है। गौरतलब हो कि शिनझियांग चीन का पश्चिमी प्रांत है, जो कभी तुर्कीस्तान का हिस्सा था। उसे आज भी चीनी तुर्कीस्तान कहा जाता है। यह क्षेत्रफल के लिहाज से चीन का सबसे बड़ा प्रांत है। लेकिन इस प्रांत में सबसे अधिक संख्या उन उयिघरों की है, जो मुसलमान हैं। चीन एक साम्यवादी धर्मनिरपेक्ष देश है, लेकिन उसकी धर्मनिरपेक्षता भारत वाली धर्मनिरपेक्षता नहीं है, जहां सभी लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार मिला हुआ है। चीन में धार्मिक स्वतंत्रता हो हतोत्साह ही नहीं, बल्कि बाधित भी किया जाता है।