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हिन्दी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को मिलेगा वर्ष 2024 का 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार

विशेष संवाददाता - 2025-03-22 11:39 UTC
नई दिल्लीः वर्ष 2024 के लिए 59 वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रतिष्ठित हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को प्रदान किए जाने की घोषणा की गई है। यह सम्मान उन्हें हिंदी साहित्य में उनके अद्वितीय योगदान, सृजनात्मकता और विशिष्ट लेखन शैली के लिए प्रदान किया जा रहा है। यह हिन्दी के 12वें साहित्यकार हैं जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। ज्ञात हो कि विनोद कुमार शुक्ल छत्तीसगढ़ राज्य के पहले लेखक हैं जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

परिसीमन पर बुलायी गयी दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक महत्वपूर्ण

22 मार्च की इस बैठक के निर्णय से साझे समाधान की दिशा तय होनी चाहिए
पी. सुधीर - 2025-03-21 10:41 UTC
जैसे-जैसे वर्ष 2026 नजदीक आ रहा है, संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन का मुद्दा लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है और विवाद भी पैदा कर रहा है। यह वह वर्ष है जब सीटों की संख्या पर लगी रोक समाप्त हो जायेगी और परिसीमन का अगला दौर 2026 के बाद आयोजित पहली जनगणना के बाद शुरू की जानी है। 1976 में आपातकाल के दौरान लागू किये गये 42वें संविधान संशोधन ने शुरू में परिसीमन को रोक दिया था। बाद में, वाजपेयी सरकार के तहत, इस रोक को 2026 तक बढ़ा दिया गया था।

23 मार्च, 1931 को 24 वर्षीय भगत सिंह की शहादत में छिपे तथ्यों की व्याख्या

युवा क्रांतिकारी ने समानता पर आधारित समाजवादी भारत का सपना देखा
कृष्णा झा - 2025-03-20 10:57 UTC
“क्रांति मानव का अविभाज्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है। श्रमिक ही समाज का वास्तविक पालनहार है। …इस क्रांति की वेदी पर, हम अपनी जवानी को धूप की तरह लाये हैं, क्योंकि इतने महान उद्देश्य के लिए कोई भी बलिदान कम नहीं है। हम संतुष्ट हैं, हम क्रांति के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे हैं…” ये शब्द थे भगत सिंह के जब वे एक पर्चा फेंक रहे थे जिसमें वह सब कुछ था जो वे सत्ता में बैठे लोगों को बताना चाहते थे। असेंबली हॉल में बम फेंकना, किसी को चोट पहुँचाने के उद्देश्य से नहीं था, बल्कि यह सिर्फ़ एक प्रदर्शनकारी कार्य था। यह श्रम-विरोधी व्यापार विवाद विधेयक के विरुद्ध था। अदालत में अपने मुकदमे में, भगत सिंह ने अदालत से कहा था कि उनके लिए क्रांति बम और पिस्तौल का पंथ नहीं है, बल्कि समाज का संपूर्ण परिवर्तन है, जिसकी परिणति सर्वहारा वर्ग की तानाशाही के तहत विदेशी और भारतीय पूंजीवाद दोनों को उखाड़ फेंकने में होती है।

हिंदू धर्म के नाम पर सांप्रदायिकता और अंधविश्वास फैलाने का राजनीतिक खेल

सच्चे हिंदुओं को धर्म के मूल्यों को बचाने के लिए नवीनतम प्रवृत्तियों से लड़ना होगा
डॉ. अरुण मित्रा - 2025-03-19 10:42 UTC
हमारे देश में जहां विभिन्न मान्यताएं और परंपराएं एक साथ विद्यमान हैं, वहां तर्कसंगत सोच और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है। अंधविश्वास, अंध-प्रथाएं और रीति-रिवाज विकास के मार्ग में बाधा हैं।

भाषा के मुद्दे पर तमिलनाडु का केंद्र के साथ टकराव बहुत दूर तक चला गया

व्यावहारिक समाधान पर पहुंचने के लिए द्विपक्षीय वार्ता की तत्काल आवश्यकता
कल्याणी शंकर - 2025-03-18 11:07 UTC
गुरुवार को, तमिलनाडु ने अपने बजट दस्तावेज़ में आधिकारिक रुपये के प्रतीक (₹) को तमिल अक्षर (ரூ) से बदलकर एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक परिवर्तन किया। 'रू' उच्चारित, यह अक्षर तमिल भाषा में भारतीय मुद्रा का प्रतिनिधित्व करता है और इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। मुख्यमंत्री स्टालिन के प्रतीक को बदलने के फैसले का वैश्विक प्रभाव पर व्यापक असर हो सकता है। रुपया भारत की संप्रभुता के सबसे महत्वपूर्ण प्रतीकों में से एक है।

स्टारलिंक प्रवेश: राष्ट्रीय हितों से परे नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत कूटनीति

प्रतिस्पर्धी एक साथ आ रहे हैं, जिससे बढ़ गया है कार्टेल का जोखिम
के रवींद्रन - 2025-03-17 11:09 UTC
दोस्तों को फायदा पहुंचाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रवृत्ति उनके नेतृत्व की एक स्थायी विशेषता बन गयी है, एक ऐसा गुण जिसने उनकी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों रणनीतियों को आकार दिया है। शासन के प्रति उनका दृष्टिकोण, जिसकी अक्सर व्यापक राष्ट्रीय हितों पर व्यक्तिगत और राजनीतिक निष्ठाओं को प्राथमिकता देने के लिए आलोचना की जाती है, एक बार फिर एलन मस्क के स्टारलिंक के भारतीय बाजार में प्रवेश करने की गाथा में स्पष्ट है।

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत की नवउदारवादी अर्थव्यवस्था गहरे संकट में

आम लोगों के गिरते जीवन स्तर और बेरोज़गारी पैदा कर रही सामाजिक तनाव
कृष्णा झा - 2025-03-15 10:54 UTC
भारत में कॉर्पोरेट पूंजीवाद आज संकट की चपेट में है। अर्थव्यवस्था लगातार गिरती जा रही है। 8 जनवरी, 2025 को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अनुमान है कि 2024-25 में यह चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आ जायेगी, जिसका मुख्य कारण विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन है। अंबानी और अडानी के नेतृत्व में कुछ ही हाथों में धन और पूंजी का बहुत बड़ा संकेन्द्रण है। छोटे और मध्यम उद्यम जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ रोज़गार सृजन में अधिकतम योगदान देते हैं, वे गहरे संकट में हैं और नष्ट हो रहे हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा तय टैरिफ रियायतों पर मोदी सरकार को दामन साफ करना होगा

नयी दिल्ली के दावे ज़्यादातर घरेलू खपत के लिए हैं, न कि वास्तविक खपत के लिए
के रवींद्रन - 2025-03-13 10:41 UTC
राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा बार-बार यह दावा किया जाना कि भारत टैरिफ को “बहुत कम” करने के लिए सहमत हो गया है, ने नई दिल्ली से इनकार की एक पूर्वानुमानित लहर को जन्म दिया है, जो दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता की भयावह और अक्सर अपारदर्शी प्रकृति को रेखांकित करता है। जहां एक ओर अतिरंजित या यहां तक कि असत्यापित दावे करने की ट्रंप की प्रवृत्ति सर्वविदित है, वहीं दूसरी ओर इस विशेष मामले में उनके बयान भारतीय सरकार की ओर से आने वाले आधिकारिक खंडन से अधिक वजन रख सकते हैं। यह बिना मिसाल के नहीं है।

अमेरिकी टैरिफ से निपटने के लिए भारत अपनी वैकल्पिक योजना के साथ तैयार रहे

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की वाशिंगटन बातचीत द्विपक्षीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण
कल्याणी शंकर - 2025-03-11 10:51 UTC
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 2 अप्रैल से भारत पर पारस्परिक टैरिफ लगाने की घोषणा ने नई दिल्ली में गंभीर चिंता पैदा कर दी है। अमेरिकी वस्तुओं पर भारत के उच्च आयात कर लंबे समय से विवादास्पद रहे हैं, जो अब व्यापार भागीदारों को प्रभावित कर रहे हैं।

मणिपुर में दोनों विरोधी पक्षों के तेवर सख्त

केन्द्र ने भी स्थिति से निपटने के लिए कड़ा रूख अपनाया
रवींद्र नाथ सिन्हा - 2025-03-08 11:01 UTC
मणिपुर में दोनों विरोधी पक्षों के तेवर सख्त हो गये हैं, विशेषकर तब से जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1 मार्च को सुरक्षा स्थिति पर समीक्षा बैठक के बाद कुछ कड़े निर्देश जारी किये हैं। इस बैठक में अन्य लोगों के अलावा राज्यपाल अजय भल्ला भी शामिल हुए थे, जो 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने और विधानसभा को निलंबित अवस्था में रखने के बाद से मणिपुर शासन की कमान संभाल रहे हैं।