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मास्क लगाकर क्रिकेट का खेल

प्रदूषण ने खराब किया देश की छवि
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-12-06 12:14 UTC
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास की यह पहली घटना थी कि किसी मैच में खिलाड़ी मास्क लगाकर खेल रहे थे और हमारा दुर्भाग्य है कि यह घटना हमारे देश की राजधानी दिल्ली में ही हुई। प्रदूषण के कारण श्रीलंका के खिलाड़ी खेलना ही नहीं चाह रहे थे। जिस समय वे प्रदूषण के कारण खेल को कुछ समय के लिए बंद करने की मांग कर रहे थे, उस समय वे फिल्डींग कर रहे थे। भारत के खिलाड़ी उन पर हावी थे और श्रीलंका के खिलाड़ी पस्त थे। इसलिए कोई यह आरोप लगा सकता है कि हार से बचने का वे बहाना चाह रहे थे, लेकिन बात वैसी नहीं थी।

गुजरात चुनाव पंर संवेदनशीलता की लहर

मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर
भरत मिश्र प्राची - 2017-12-05 10:47 UTC
जैसे -जैसे गुजरात विधान सभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे है राजनीतिक सरगर्मिया तेज होती जा रही है। दो प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस एवं भाजपा चुनाव मैदान में एक दूसरे के प्रतिद्वन्दी है। गुजरात चुनाव को अपने प़क्ष में करने की दिशा में हर तरह की पैंतरेबाजी शुरू हो गई । चुनाव को संवेदनशील बनाने का प्रयास जारी है। केन्द्र सरकार की नेतृृत्वधारी भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है जिसके कारण गुजरात चुनाव विशेष आकर्षण का केन्द्र बन चुका है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का गृृह प्रदेश होने एवं इन दोनों के प्रभाव से वर्तमान में भापजा का वर्चस्व पूरे देश में छाये रहने की स्थिति में गुजरात विधानसभा का चुनाव विशेष रूप ले चुका है जहां भाजपा की वर्तमान नई आर्थिक नीति नोट बंदी , बैंकीकरण , बढ़ती बेरोजगारी एवं जीएसटी के कारण वर्तमान हालात पुर्व जैसे भापजा के पक्ष में दिखाई नहीं दे रहे है जिसका प्रतिकूल प्रभाव गुजरात चुनाव पर पड़ सकता है।

भोपाल गैस त्रासदी के 33 साल

उस रात की सुबह अभी भी नहीं!
अनिल जैन - 2017-12-05 10:44 UTC
भोपाल गैस त्रासदी को पूरे तैंतीस बरस हो चुके हैं। तीन दिसंबर 1984 की आधी रात के बाद यूनियन कार्बाइड के कारखाने से निकली जहरीली गैस (मिक यानी मिथाइल आइसो साइनाइट) ने अपने-अपने घरों में सोए हजारों को लोगों को एक झटके में हमेशा-हमेशा के लिए सुला दिया था। जिन लोगों को मौत अपने आगोश में नहीं समेट पाई थी वे उस जहरीली गैस के असर से मर-मर कर जिंदा रहने को मजबूर हो गए थे। ऐसे लोगों में कई लोग तो उचित इलाज के अभाव में मर गए और और जो किसी तरह जिंदा बच गए उन्हें तमाम संघर्षों के बावजूद न तो आज तक उचित मुआवजा मिल पाया है और न ही उस त्रासदी के बाद पैदा हुए खतरों से पार पाने के उपाय किए जा सके हैं।

आईपीसी में बदलाव के लिए मध्यप्रदेश विधान सभा में सर्वसम्मति से विधेयक पारित

बलात्कार के दोषियों के लिए फांसी की सजा
राजु कुमार - 2017-12-05 10:40 UTC
महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने वाले अपराधियों को कड़ी सजा देने के लिए भारतीय दंड संहिता में संशोधन के लिए मध्यप्रदेश विधान सभा में दंड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2017 सर्वसम्मति से पारित हो गया। विधेयक के अनुसार 12 साल से कम उम्र के किसी बालिका के साथ यदि बलात्कार होता है, तो उसके दोषियों को फांसी की सजा दी जा सकती है। 12 साल से कम उम्र के किसी बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में सभी दोषियों को फांसी की सजा दी जा सकती है।

उत्तर प्रदेश में मोदी का जादू बरकरार

मुस्लिम मायावती के साथ पूरी तरह आ सकते हैं
रजनीकांत वशिष्ठ - 2017-12-02 12:04 UTC
द विनर इज योगी, मायावती रनर अप और दो लड़के अखिलेश-राहुल रेस से बाहर। यू पी के स्थानीय निकाय चुनाव को योगी की पहली अग्निपरीक्षा माना जा रहा था और नतीजे साफ साफ ये हैडलाइन दे रहे हैं। बाकी खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे की तर्ज पर ई वी एम् या मतदाता सूची में गड़बड़ी का रोना रो रहे हैं तो ये उनका हक है। अगर ऐसा है भी तो ये गलत है पर ये सियासत है और सियासत की जंग में सब जायज है। उनको मौका था तो उन्होंने किया अब इनको मौका है तो ये कर ले रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में भाजपा का जलवा बरकरार

लेकिन समर्थन घट रहा है
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-12-02 12:01 UTC
उत्तर प्रदेश के नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर परचम लहराया है। यह नतीजा उम्मीदों के अनुरूप ही है। इसका कारण यह है कि भारतीय जनता पार्टी पारंपरिक रूप से शहरों की ही पार्टी रही है। गांवों में उसका प्रवेश बहुत पुराना नहीं है। इसलिए मूल रूप से शहरों की पार्टी यदि शहरों में जीत जाय, तो किसी को आश्चर्य नहीं हो सकता। वैसे भी पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को भारी जीत मिली थी। लोकसभा की 80 सीटों मे से 73 पर उसके और उसके समर्थित उम्मीदवार ही जीते थे। उसी तरह विधानसभा की 400 सीटों पर उसके और उसके समर्थित उम्मीदवार करीब सवा तीन सौ सीटो पर जीते थे। विधानसभा के चुनाव तो इसी साल आठ महीना पहले हुए थे।

खब्तूलहवास हो चुकी है मध्य प्रदेश सरकार

महिलाओं के प्रति निहायत अपमानजनक और संवेदनहीन घोषणा
अनिल जैन - 2017-11-30 12:05 UTC
मध्य प्रदेश में पिछले कुछ समय से शासन और प्रशासन के स्तर पर मूर्खता के नित-नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। मूर्खतापूर्ण कारनामों को सरकार के मुखिया और उनके सहयोगी वजीर ही नहीं, बल्कि पुलिस और प्रशासन के उच्च पदों पर काबिज तथा पढे-लिखे समझे जाने वाले मुसाहिब भी बडे मनोयोग से अंजाम दे रहे हैं। इस सिलसिले में मध्य प्रदेश की पुलिस ने अपने राजनीतिक आकाओं की खुशामद करने के मकसद से नीमच शहर के वरिष्ठ पत्रकार जिनेंद्र सुराना के साथ जो बेहूदगी की है, वह अभूतपूर्व है।

बेमानी है पद्मावती पर विवाद

इस रानी का ऐतिहासिक वजूद नहीं
एल.एस. हरदेनिया - 2017-11-29 12:16 UTC
इस समय संजय लीला भंसाली द्वारा निर्मित फिल्म पद्मावती पर सारे देश में कोहराम मचा हुआ है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उनमें से लगभग किसी ने इस फिल्म को नहीं देखा है।

प्रेस की स्वतंत्रता, जागरूकता एवं निर्भीकता लोकतंत्र के हित में जरूरी

निष्पक्ष, निर्भीक एवं जागरूक पत्रकार ही देश को बचा सकते है
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2017-11-29 12:11 UTC
लोकतंत्र के जागरूक स्तंभ मीडिया की भूमिका सदा से ही महत्वपूर्ण रही है। आजादी से लेकर वर्तमान परिवेश में समय- समय पर बदलते हालात एवं सच्चाई से देश के आमजन को अवगत कराना एवं उन्हें जागरूक बनाना पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य सदा से रहा है। इस दिशा में इलेक्ट्रानिक एवं प्रिंट मीडिया दोनों की भूमिका सराहनीय है जिसकी वजह से आज हर छोटी से छोटी घटना की खबर आमजन तक पहुंच जाती है।

राहुल के हाथ कांग्रेस की कमान

क्या भाजपा को सवाल उठाने का हक है?
अनिल सिन्हा - 2017-11-29 12:08 UTC
राहुल गंाधी का कंाग्रेस अध्यक्ष बनना तो सिर्फ समय की बात थी। लेकिन सवाल उठता है कि पार्टी की नेता सोनिया गांधी ने यही वक्त क्यों चुना। एक ऐसे वक्त में जब राहुल पिछले दिनों हुए सभी विधान सभा चुनावों में महत्वपूर्ण गुजरात चुनावों का अभियान चला रहे थे तो अध्यक्ष बनाने का फैसला किया गया। एकदम युद्ध के बीच उन्हें आधिकारिक रूप से कांग्रेस का सेनापति बना दिया गया।