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मोदी सरकार को नतीजे दिखाने ही होंगे

कौशल विकास को युद्ध स्तर पर लेना होगा
अशोक बी शर्मा - 2015-11-21 10:42 UTC
बिहार चुनाव में भाजपा की हार का एक कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अच्छे दिन लाने के वायदों को पूरा करने में विफल रहना है। पिछले लोकसभा चुनाव में देश के लोगों ने नरेन्द्र मोदी को बहुमत इसलिए दिया था, ताकि वे उनकी समस्याओं को दूर कर सकें। लेकिन उनकी आशा पूरी नहीं हुई। इसके कारण मोदी लहर शांत होने लगी। उन्होंने विकास के लिए एक से बड़े एक कार्यक्रम शुरू किए। उनके एक से आकर्षक एक नाम दिए गए। एक नाम दिया गया ’मेक इन इंडिया’, दूसरे का नाम दिया गया ’डिजिटल इंडिया’, तीसरे का नाम दिया गया ’स्वच्छ भारत अभियान’ और इसके अलावे कुछ अन्य कार्यक्रमों को भी बहुत ही आकर्षक नाम दिए गए। लेकिन इन सब कार्यक्रमों को सफल होने और उनके नतीजे आने में लंबा समय लगता है और लोगों को तत्काल नतीजे चाहिए। मोदी सरकार जो कार्यक्रम चला रही है और जो कार्यक्रम चलाना चाहती है, उनके लिए भारी पैमाने पर देशी और विदेशी निवेश चाहिए। परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाने के लिए सरलीकरण का सहारा लिया गया। अनेक प्रक्रियाओं को आसान कर दिया गया। इसके कारण मोदी सरकार को कार्पोरेट घरानों का सहयोगी घोषित किया जाने लगा। मोदी सरकार पर इस तरह के आरोप तो लगे, लेकिन रोजगार सृजन के जो वायदे उन्होंने किए थे, वे पूरे नहीं किए जा सके।

भाजपा को एक नई राजनैतिक रणनीति की जरूरत

संसद को चलने देने से रोकना गलत है
कल्याणी शंकर - 2015-11-20 11:35 UTC
विदेशी दौरे से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने समस्याओं का पहाड़ खड़ा है। संसद के आगामी सत्र का उन्हें सामना करना है और बिहार चुनाव के नतीजों का प्रभाव भी संसद के उस सत्र पर पड़ेगा। बिहार के चुनावी नतीजों से उत्साहित विपक्ष पूरे सत्र को ही मटियामेट कर सकता है। यदि बिहार में भारतीय जनता पार्टी की जीत हो जाती, तो इससे नरेन्द्र मोदी सरकार को मजबूती प्राप्त होती और वह संसद में बहुत दिनों से लंबित पड़े विधेयकों को पास करवाने की कोशिश कामयाबी के साथ करती।

दिल्ली में बन रहा है जनलोकपाल

क्या केन्द्र फिर डालेगा अडंगा?
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-11-19 12:16 UTC
नई दिल्लीः दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक बार फिर लोकपाल विधेयक तैयार किया है। उस विधेयक को विधानसभा में पेश और पास किया जाना बाकी है। उसके पहले उपराज्यपाल की अनुमति भी लेनी होगी, क्योंकि दिल्ली में जो व्यवस्था है, उसके अनुसार विधेयक को विधानसभा में पेश करने के पहले उपराज्यपाल की अनुमति लेनी होती है। उपराज्यपाल चाहें तो उस विधेयक को राष्ट्रपति के पास अनुमति लेने के लिए भेज सकते हैं। राष्ट्रपति के पास वह विधेयक केन्द्र सरकार के गृहमंत्रालय के मार्फत ही भेजा जाता है।

असम में भाजपा नेतृत्व संकट का कर रही है सामना

कांग्रेस कर रही है नये सहयोगी की खोज
बरुण दास गुप्ता - 2015-11-18 12:13 UTC
अगले साल देश के पांच राज्यों में विधानसभाओं के चुनाव होने हैं। वे राज्य है- तमिलनाडु, पुदुचेरी, केरल, पश्चिम बंगाल और असम। भारतीय जनता पार्टी की दृष्टि से पहले 4 राज्य महत्वपूर्ण नहीं हैं, क्योंकि उनमें से किसी मे भी उनका कोई राजनैतिक अस्तित्व उल्लेखनीय नहीं है। लेकिन असम की बात कुछ और है। वहां भारतीय जनता पार्टी एक बड़ी ताकत के रूप में उभर गई है और वह वहां अपनी सरकार बनाने का सपना देख सकती है।

कांग्रेस को बिहार जीत के बाद की रणनीति बनाना बाकी है

पार्टी के मामलों में राहुल का होगा दबदबा
अमूल्य गांगुली - 2015-11-18 12:11 UTC
130 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी का व्यवहार 45 साल की उम्र के राहुल गांधी जैसा है। नरेन्द्र मोदी सरकार ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कुछ नीतियों की घोषणा की तो कांग्रेस की प्रतिक्रिया कुछ वैसी ही थी। जिस तरह से उसने भूमि अधिग्रहण कानून को संभव नहीं होने दिया, उसी तरह अ बवह इन घोषणाओ के खिलाफ काम करने के लिए कमर कसती दिखाई दे रही है। वह तो वस्तु सेवा कर पर लाए जा रहे विधेयक को रोकने की भी बात कर रही है।

भाजपा की हार की समीक्षा की जरूरत क्या है?

मोहन भागवत ने डुबाई है पार्टी की नैया
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-11-18 12:08 UTC
भारतीय जनता पार्टी के अंदर से मांग उठ रही है कि पार्टी हार की समीक्षा करे और इसके लिए जिम्मेदारी भी तय करे। लेकिन क्या वास्तव में हार की समीक्षा की जरूरत भी है? इसका कारण यह है कि पार्टी क्यों हारी, यह आईने की तरह साफ है।
भारत: केरल

चांडी सरकार का भविष्य अनिश्चित

गुस्से में हैं के एम मणि
पी श्रीकुमारन - 2015-11-14 17:32 UTC
तिरुअनंतपुरमः कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार के नेता अब इस बात को लेकर राहत की सांस ले रहे हैं कि के एक मणि ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन पर एक साल से इस्तीफे का दबाव पड़ रहा था। उन पर बार मालिकों के संगठन ने घूसखोरी का आरोप लगाया था और उससे संबंधित मुकदमे का सामना भी वे कर रहे हैं। इसके बावजूद मणि अपने पद से इस्तीफा देने से साफ इनकार कर रहे थे।

बिहार के चुनावी नतीजों ने कांग्रेस में जान फूंकी

राहुल को आगे आकर पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए
कल्याणी शंकर - 2015-11-13 17:48 UTC
बैठे बैठाए कांग्रेस को बिहार विधानसभा चुनाव में 27 सीटें मिल गईं। इसके बाद कांग्रेस के अंदर उन्हें अध्यक्ष का पद दिए जाने की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है। बिहार में कांग्रेस को भी उम्मीद नहीं थी कि उसे इतनी सारी सीटों पर जीत हासिल होगी। 1990 के चुनाव के बाद बिहार में कांग्रेस को उतनी सारी सीटें कभी नहीं मिली थीं। 1995 में उसे वहां 29 सीटें जरूर मिली थीं, लेकिन उनमें वर्तमान झारखंड में मिली सीटें भी शामिल थीं। यदि उन सीटों को निकाल दिया जाय, तो 1995 में उसे वर्तमान बिहार से 27 से भी कम सीटें मिली थीं।

जाम में फंसी मोदी सरकार

विकास का विजन पर कार्रवाई नहीं
नन्तू बनर्जी - 2015-11-12 15:56 UTC
उपेक्षित लोगों को विकास के दायरे में लाना अच्छी बात है। भारत को साफ रखना भी अच्छी बात है। गंगा की सफाई भी स्वागत योग्य है। बेटियों को बचाना और उन्हें पढ़ाना भी जरूरी है। मेक इन इंडिया का विचार भी अच्छा है। गरीबी मिटाने की मंशा भी अच्छी है। यह सब अच्छी बातें हैं। केन्द्र सरकार ने बिहार और अन्य राज्यों के लिए भारी पैमाने पर धन उपलब्ध करने की प्रतिबद्धता दिखाई है। यह भी अच्छा है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और जम्मू और कश्मीर को वास्तव में धन की जरूरत है। पश्चिम बंगाल को भी धन चाहिए। केन्द्र सरकार ने उसके लिए भी 16 हजार करोड़ रुपये की सहायता की प्रतिबद्धता जाहिर की है।

पूर्वोत्तर क्षेत्रीय रेल फंड के निर्माण में अडंगा

एम वाई सिद्दीकी - 2015-11-10 16:34 UTC
पूर्वोत्तर क्षेत्रीय लैप्स नहीं होने वाले रेल फंड के निर्माण में अड़ंगा लग गया है जबकि आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने इसे पारित कर दिया है और रेल बजट 2014-15 में शामिल कर लिया गया है। वित्तीय साल का आधा समय बीत जाने के बाद इसका हाल वही है जहां पहले था आज भी वहीं का वहीं पड़ा हुआ है। पूर्वोत्तर क्षेत्रीय रेल फंड का 25 प्रतिशत हिस्सा रेलवे के बजट से जबकि 75 प्रतिशत हिस्सा वित्त मंत्रालय के सहयोग से संचालित किया जाएगा। यह बजट मुनाफा देय वाला नहीं होगा ।