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भारत

संयुक्त जनता दल के सामने समस्याएं ही समस्याएं

1977 से बिल्कुल अलग है 2014
अमूल्य गांगुली - 2014-11-11 11:19
हारे हुए महारथी फिर इकट्ठे हो रहे हैं। उनकी जीवटता को सलाम करना होगा। तीसरे मोर्चे की बार बार विफलता के बावजूद भी गैर कांग्रेस गैर भाजपा विकल्प के प्रयासों में वे अभी भी लगे हुए हैं। लगता है कि 1977 में लोकतंत्र बचाने के लिए की गई एकजुटता की सफलता अभी भी उनके हौसले को बढ़ाने का काम करती है।
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तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों पर सबकी नजर

भाजपा को तीनों में बेहतर करने की उम्मीद
हरिहर स्वरूप - 2014-11-10 11:27
विधानसभा चुनावों का अगला दौर अब सामने है। झारखंड व जम्मू और कश्मीर के चुनाव दिसंबर में होंगे, तो दिल्ली के चुनाव अब शायद जनवरी में होंगे। इसका कारण यह है कि जब पहले दोनों राज्यों में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई, उसके बाद ही दिल्ली विधानसभा को भंग किया गया। इसके कारण उसका चुनाव दो अन्य राज्यों के चुनाव के साथ नहीं करवाया जा रहा है।
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चांडी सरकार को बार एसोसिएशन का झटका

इस संकट का लाभ उठाने को लेकर सीपीएम विभाजित
पी श्रीकुमारन - 2014-11-08 11:00
तिरुअनंतपुरमः बार आउनर एसोसिशन के एक सदस्य के रहस्योद्घाटन के बाद केरल सरकार का संकट बढ़ गया है। यह रहस्योद्घाटन प्रदेश के वित्तमंत्री के एम मणि के खिलाफ हुआ है। श्री मणि केरल कांग्रेस(मणि) के अध्यक्ष भी हैं और वे सत्तारूढ़ यूडीएफ के एक बड़े स्तंभ हैं।
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वासन के इस्तीफे से कांग्रेस को लगा झटका

मूपनार के बेटे पर भाजपा डाल सकती है डोरे
कल्याणी शंकर - 2014-11-07 12:46
तमिलनाडु में कांग्रेस का विभाजन 129 साल पुरानी इस पार्टी के लिए संकट पैदा करने वाला है। हालांकि कांग्रेस के आलाकमान ने उस विभाजन को गुटीय संघर्ष का नतीजा बताया है, लेकिन सच्चाई यह है कि उसका असर प्रदेश की ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ेगा।
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बढ़ती ही जा रही हैं ममता की समस्याएं

मुकुल राय के कद में कटौती ने मामले को और भी जटिल बनाया
आशिष बिश्वास - 2014-11-06 11:01
कोलकाताः पिछले महीने तृणमूल कांग्रेस की उच्च स्तरीय बैठक का नतीजा बहुत ही निराशाजनक रहा था।

बढ़ रहा है भारतीय वामपंथियों का संशय

कांग्रेस के बिना भाजपा से मुकाबला नहीं हो सकता
अमूल्य गांगुली - 2014-11-05 10:53
भारत में साम्यवाद का इतिहास राष्ट्रीय स्तर पर रणनैतिक गलत गणनाओं का इतिहास है और इसके कारण राज्य स्तर पर रणनीति अपनाने में गलतियां हुई हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि वामपंथी, जहां केन्द्र की राजनीति में हाशिए पर आ गए हैं, वहीं उनके मूल वैचारिक प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी ने भारी सफलाएं हासिल की हैं।
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अब दिल्ली में आमचुनाव

आम आदमी पार्टी को एक और मौका
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-11-04 10:41
भारतीय जनता पार्टी द्वारा सरकार गठित करने से इनकार करने के बाद अब दिल्ली के मतदाताओं के सामने एक बार फिर अपनी सरकार चुनने की चुनौती खड़ी हो गई है। पिछले साल हुए चुनाव में दिल्ली के लोगों ने किसी पार्टी को सरकार चलाने का जनादेश नहीं दिया था और कांग्रेस के समर्थन से अरविंद केजरीवाल की अल्पमत सरकार बनी थी। केजरीवाल सरकार के इस्तीफे के बाद ही यह साफ हो गया था कि बिना चुनाव के अथवा बिना गंदी राजनीति के नई सरकार नहीं बन सकती और आमचुनाव ही एकमात्र रास्ता बच गया था। बेहतर तो यही होता कि अरविंद केजरीवाल सरकार की सिफारिश मानते हुए उसी समय दिल्ली की विधानसभा भंग कर दी जाती और लोकसभा के साथ ही विधानसभा के चुनाव भी करवा दिए जाते। पर न तो उस उपराज्यपाल नजीब जंग ने और न ही उस समय की कांग्रेस की केन्द्र सरकार ने विधानसभा भंग कर चुनाव करवाने को कोई फैसला लिया। शायद कांग्रेस को लग रहा था कि आम आदमी पार्टी और उसके नेता को दिल्ली से मुक्त रखकर देशभर में चुनाव लड़ने और प्रचार करने का मौका दिया जाय, जिससे कांग्रेस विरोधी मतों का विभाजन हो और फिर उससे कांग्रेस का फायदा हो। इसके अलावा कांग्रेस नेताओं को यह भी लग रहा होगा कि दिल्ली में फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार को समर्थन देकर वह आम आदमी पार्टी के विजयी सांासदों का समर्थन लेकर केन्द्र में सरकार बना सकती है।

बांग्लादेश में नापाक राजनीति

युद्ध अपराधी की मौत को क्यों भुनाया जाए?
गर्गा चटर्जी - 2014-11-03 10:43
गुलाम आजम की मौत हो गई। उसे सजा मिली हुई थी मौत की, हालांकि उसकी यह मौत स्वाभाविक रूप से हुई। वह 91 साल का था। 1970.71 में बांग्लादेश की मुक्ति की लड़ाई के दौरान उसने बांग्लादेश के लोगों के साथ जो अपराध किया था, उसे युद्ध अपराध माना गया। उसे उसी की सजा मिली थी।
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इसरो जासूसी केस में झुके मुख्यमंत्री चांडी

प्रतिद्वंद्वी गुट ने बांधे उनके हाथ
पी श्रीकुमारन - 2014-11-01 10:21
तिरुअनंतपुरमः केरल की चांडी सरकार इस बार हाई कोर्ट के आदेश के दबाव में आती हुई साफ दिखाई पड़ रही है। कुख्यात इसरो केस में उसे अदालत के आदेश का पालन करना पड़ रहा है।
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दिल्ली को सरकार चाहिए

पार्टियों को आपस में सहयोग करना चाहिए
कल्याणी शंकर - 2014-10-31 11:50
क्या दिल्ली में फिर से विधानसभा का चुनाव होगा या भारतीय जनता पार्टी स्थिर सरकार देने में कामयाब होगी? पिछले 17 फरवरी से दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार नहीं है। पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। 49 दिनों तक केजरीवाल कर सरकार कांग्रेस के समर्थन से बनी थी। उस सरकार के इस्तीफे के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन चल रहा है।