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तेल की गिरती कीमतों से भारत को मिली राहत

एस सेतुरमण - 2015-01-09 11:43 UTC
पिछले साल के मध्य से कच्चे तेल की कीमतों मंे हो रही कमी अनेक देशों के लिए राहत बनकर आई है। उन देशों मंे भारत भी शामिल है। भारत ने इसका लाभ उठाते हुए इंधन पर दी जाने वाली सब्सिडी से छुटकारा पाना शुरू कर दिया है और तेल उत्पादों की कीमतों को बाजार से निर्धारित होने के लिए मुक्त कर दिया है।
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बिहार की राजनीति की हलचलें

विलय की आड़ में सत्ता कब्जाने का खेल
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-01-08 11:00 UTC
बिहार में जनता दल परिवार के विलय के लिए लालू यादव और नीतीश कुमार एक के बाद एक बयानबाजी कर रहे हैं। कह रहे हैं कि विलय अब लगभग हो चुका है और औपचारिकताएं ही बाकी है, लेकिन इन औपचारिकताओं के पहले जो खेल खेला जा रहा है, उनसे तो यही लगता है कि विलय की दिल्ली अभी दूर है। यह विलय नरेन्द्र मोदी को बिहार में पराजित करने और भाजपा को बिहार की सत्ता से बाहर रखने के नाम पर हो रहा है। इसके साथ साथ धर्मनिरपेक्षता का भी राग अलापा जा रहा है, लेकिन सतह के अंदर सत्ता का खेल खेला जा रहा है।

मध्य प्रदेश में भाजपा की बल्ले बल्ले

कांग्रेस के लिए 2015 बहुत ही चुनौतीपूर्ण होगा
एल एस हरदेनिया - 2015-01-07 12:37 UTC
भोपालः 2014 ऐसा साल था, जिसे भाजपा भूलना नहीं चाहेगी और जिसे कांग्रेस याद नहीं करना चाहेगी। भारतीय जनता पार्टी के लिए यह साल अभूतपूर्व सफलता का साल था और कांग्रेस के लिए यह जबर्दस्त विफलता का वर्ष था।
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मोदी ने आरएसएस पर लगाम लगाई

देखना और इंजतार करना ही फिलहाल परिवार का काम
अमूल्य गांगुली - 2015-01-06 12:02 UTC
वह समय समाप्त हो रहा है, जब भाजपा के ऊपर आरएसएस का हुक्म चलता था। संघ को पहला झटका उस समय लगा, जब नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी। सरकार बनने के बाद अमित शाह भाजपा के अध्यक्ष बने। श्री शाह संघ की पसंद नहीं थे, बल्कि नरेन्द्र मोदी की पसंद थे। 2005 के बाद से ही भाजपा के अध्यक्ष पद संघ की पसंद का व्यक्ति बैठा करता था।
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जम्मू और कश्मीर में सरकार गठन की गुत्थियां

भाजपा और पीडीपी के एक साथ आने में आ रही है मुश्किलें
हरिहर स्वरूप - 2015-01-05 11:46 UTC
जम्मू और कश्मीर की जनता ने भारी पैमाने पर वोटिंग किया था, ताकि प्रदेश में एक स्थिर सरकार बने, लेकिन उनका जनादेश खंडित निकला, जिसके कारण अभी तक सरकार ही नहीं बन पा रही है। वोटिंग का पैटर्न भी विभाजनकारी था। जम्मू में मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी को गले लगाया और पीडीपी को नकार दिया, तो कश्मीर घाटी में जनता ने भाजपा को पूरी तरह नकार दिया और वहां पीडीपी को भारी जीत मिली। इसका नतीजा यह हुआ कि न तो भाजपा को और न ही पीडीपी को प्रदेश में सरकार चलाने लायक सीटें प्राप्त हुईं। अब यदि भाजपा और पीडीपी आपस में मिलकर सरकार बनाती हैं, तो यह उनके समर्थक मतदाताओं की इच्छा के खिलाफ होगा। क्योंकि पीडीपी को मिला मत भाजपा विरोधी था और भाजपा को मिला मत पीडीपी विरोधी।
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नये साल की आर्थिक चुनौतियां

क्या इसे भी अपने नाम दर्ज करा पाएंगे मोदी?
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-01-03 10:34 UTC
आजाद भारत के राजनैतिक इतिहास में 2014 एक महत्वपूर्ण वर्ष के रूप में अपने आपको दर्ज कर चुका है, क्योंकि इस साल पहली बार किसी गैर कांग्रेसी पार्टी अपने अकेले पूर्ण बहुमत के साथ देश की सत्ता पर काबिज हुई है। अब सवाल उठता है कि क्या 2015 का साल आजाद भारत के इतिहास में अपना वैसा ही स्थान बना पाएगा?
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2015 में मोदी को कुछ नतीजे देने होंगे

मोह की अवधि लंबी नहीं खिंचेगी
कल्याणी शंकर - 2015-01-02 11:37 UTC
पिछला साल नरेन्द्र मोदी के नाम रहा। उन्होंने अपनी पार्टी को लोकसभा चुनाव में अभूतपूर्व सफलता दिलाई और खुद देश के प्रधानमंत्री भी बने। लेकिन क्या 2015 का साल भी श्री मोदी के नाम में ही दर्ज होगा? ऐसा तभी होगा, जब यह साल मोदी द्वारा किए गए वायदों को पूरा करने का साल होगा। अभी तो मोदी अपनी सफलताओं पर इतरा रहे हैं। लोगों का उनमें मोह अभी भी बना हुआ है। लेकिन मोह का यह काल अपने आप बहुत लंबा नहीं खिंचेगा। यह लंगा खिंचे इसके लिए जरूरी है कि मोदी अपने उन वायदों को पूरा करें, जो उन्होंने चुनाव से पहले किया था और जो वह आज भी कर रहे हैं।
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लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं बोडो उग्रवादी

केन्द्र ने भी दिए कड़े संदेश
आशिष बिश्वास - 2015-01-01 11:57 UTC
बोडो उग्रवादियों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू कर दिया गया है, लेकिन असम और बोडो समस्या के जो जानकार हैं, उनका मानना है इस अभियान के बावजूद भी उन लोगों तक कानून के हाथ नहीं पहुंच पाएंगे, जिनके हाथ आदिवासियों के खून से रंगे हुए हैं।
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बोडो समझौते के कारण हुआ असम में नरसंहार

परिषद क्षेत्र में आदिवासियों को वे नहीे चाहते
बरुण दास गुप्ता - 2014-12-31 11:35 UTC
नेशलन डेमोक्रेटिक फ्रंट आॅफ बोडोलैंड के एक गुट ने आदिवासियों का नरसंहार किया और फिर आदिवासियों ने भी हिंसक प्रतिक्रिया की। इस हिंसा और प्रतिहिंसा में 90 लोग मारे जा चुके हैं। जिस गुट ने उस नरसंहार को अंजाम दिया, उसे संगबिजित गुट कहते हैं। फ्रंट के मुख्य धड़े ने 2005 में केन्द्र सरकार के साथ एक समझौता कर रखा है और उसके बाद से वहां संघर्षविराम की स्थिति कायम हो गई है। लेकिन संगबिजित के नेतृत्व में बोडो उग्रवादियों का एक धड़ा बागी हो गया है और उसके फिर बंदूकें उठा ली हैं। इसमें सबसे ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि स्वयं संगबिजित बोडो जनजाति का नहीं है, बल्कि वह मैदानी भाग के एक जनजाति समूह का है, जो कार्बी या पहाड़ी जनजाति का नहीं है।
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भाजपा और संघ के संबंधों में तनाव

मोदी का आर्थिक सुधार निर्विघ्न नहीं
अमूल्य गांगुली - 2014-12-30 11:34 UTC
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और उससे संबद्ध संगठनों ने अपने हिंदुत्व एजेंडे के साथ जो आक्रामक रुख दिखाया है, उसके कारण भाजपा के साथ उसके संबंधों में तनाव आ गया है। यह तनाव इतना ज्यादा तो नहीं है कि इसके कारण उनके बीच संबंध टूट ही जाए, लेकिन इसके कारण एक तरह के अनिश्चय का माहौल बना रह सकता है। पहले भी भाजपा के साथ संबंधों में जब तब खटास के मामले सामने आए हैं।