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भारत

सत्यार्थी के गृहप्रदेश में बचपन खतरे में

पर्यटन स्थलों पर बाल श्रमिक
एल एस हरदेनिया - 2014-10-17 12:43
भोपालः शांति के नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्याथी का गृह प्रदेश मध्य प्रदेश ही है। वे बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक हैं और उन्हें पुरस्कार भी इसी आंदोलन के कारण मिला है।
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हाथ धुलाई में विश्व रिकाॅर्ड के लिए मध्यप्रदेश ने किया प्रयास

राजु कुमार - 2014-10-16 18:52
मध्यप्रदेश में बड़े स्तर पर सही तरीके से हाथ धुलाई को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ मध्यप्रदेश अभियान के तहत विश्व हाथ धुलाई दिवस के दिन प्रदेश के लाखों स्कूली बच्चों के हाथ धुलवाए गए। स्वच्छता को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य की स्थितियों में सुधार के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने मध्यप्रदेश टेक्निकल असिस्टेंस सपोर्ट टीम और वाटर एड के साथ मिलकर गिनिज बुक आॅफ रिकाॅर्ड के लिए प्रदेश के 20 हजार स्कूलों में लगभग 26 लाख स्कूली बच्चों को एक साथ एक घंटे के अंदर साबुन से हाथ धुलवाने का यह कार्यक्रम आयोजित किया। भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने बच्चों को हाथ धुलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री चैहान ने अपने बचपन के दिनों की याद को साझा करते हुए कहा कि बाहर से घर आने पर बिना हाथ-पांव धुले उनकी दादी घर के अंदर नहीं आने देती थी। यानी हमारी परपंरा में साफ-सफाई रही है। पहले हम मिट्टी या राख से हाथ धोते थे, पर अब वैज्ञानिकों और डाॅक्टरों ने हमें बता दिया कि साबुन का उपयोग की सही तरीके से हाथ धोने पर डायरिया और दूसरी बीमारियों से बचा जा सकता है, तो हमें इसे बड़े स्तर पर बढ़ावा देना चाहिए। इस अवसर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार शालाओं में हाथ धुलाई के लिए प्लेटफाॅर्म का निर्माण करवाएगी एवं साबुन और तौलिया उपलब्ध कराएगी।
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ममता बनर्जी मध्यवर्ग का समर्थन खो रही हैं

बर्दमान विस्फोट के राष्ट्रीय मायने हैं
अमूल्य गांगुली - 2014-10-16 18:37
मध्यवर्ग में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लोकप्रियता उसी समय घटने लगी थी, जब उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के कुछ समय बाद में ही एक पुलिस थाने में जाकर कुछ असामाजिक तत्वों को रिहा करवा दिया था। उन तत्वों को पुलिस ने गुंडागर्दी करते हुए गिरफ्तार किया था।

दक्षता और मानवीयता का दूसरा नाम है डाक्टर पवन वासुदेव

एम वाई सिद्दीकी - 2014-10-16 17:57
एक अच्छे डाक्टर की पहचान उसके मधुर व्यवहार, दक्षता, निर्णायक क्षमता से परिपूर्ण और दूसरों का ख्याल करने वाला और दयालु होना ऐसे गुण हैं जो सभी डाक्टरों में एक साथ नहीं मिलते। सबसे बड़ी बात यह कि वह डाक्टर जो रोगी की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझते हुए बिना समय गंवाए रोगी का उपचार मानवीय आधार पर करे न किसी विशेष भाव के जो कि आज के समय में विभिन्न व्यवसायिक हितों पर केंद्रित होता चला जा रहा है।
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मध्यप्रदेश में निवेश: क्या धरातल पर उतरेंगे करार?

राजु कुमार - 2014-10-16 17:54
इंदौर में आयोजित चौथे ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के समापन के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान बहुत ही उत्साहित हैं। उनके उत्साह के दो प्रमुख कारण हैं। पहला, समिट के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आना और इसमें शिवराज सिंह चैहान और मध्यप्रदेश के विकास की तारीफ करना। दूसरा, निजी निवेशकों के साथ-साथ विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा विभिन्न नई परियोजनाओं और मौजूदा परियोजनाओं के विस्तार के माध्यम से मध्यप्रदेश में लगभग ढाई लाख करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा करना। इन घोषणाओं एवं निवेश प्रस्तावों के बाद मुख्यमंत्री यह विश्वास व्यक्त कर रहे हैं कि कृषि विकास में प्रदेश को आगे ले जाने के बाद औद्योगिक विकास में भी वे आगे ले जाएंगे। पर इस विश्वास की राह बहुत ही कठिन है। इसके पहले भी मध्यप्रदेश में तीन ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट हो चुके हैं और हर बार यही कहा जाता रहा है कि प्रदेश में लाखों करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश होगा एवं लाखों युवाओं को रोजगार मिलेंगे, पर इस दिशा में कुछ उल्लेखनीय उपलब्धि प्रदेश के खाते में नहीं आई। समिट में नौ देशों को पार्टनर बनाया गया था, और 38 देशों के राजदूतों की उपस्थिति थी पर वहां से किसी भी तरह का निवेश प्रस्ताव प्रदेश में नहीं आया है। ग्लोबल समिट के माध्यम से विदेशी पूंजी का निवेश भी प्रदेश में नहीं हुआ है।
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राजनीति खतरे में पड़ने से बेचैन हो रहे नेता

काठ की हांड़ी कितनी बार आग पर चढ़ेगी?
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-10-14 16:30
जनता दल से टूट टूट कर बनी पार्टियों के कुछ नेता एक बार फिर एक साथ आने के लिए बेचैनी से हाथ पांव मार रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों के नतीजे के बाद नवीन पटनायक को छोड़कर इस परिवार के सभी नेताओं की राजनीति खतरे में दिखाई पड़ने लगी। नीतीश कुमार को तो मुख्यमंत्री की अपनी कुर्सी तक गंवानी पड़ी। अजित सिंह अपने पूरे कुनबे के साथ चुनाव हार गए और खुद तीसरे स्थान पर आ गए। बेचारे को दिल्ली का बंगला छोड़ना पड़ा, हालांकि उसे बरकरार रखने के लिए उन्होंने आंदोलन तक छेड़ डाला। मुलायम सिंह यादव की पार्टी तो हारी, पर उनके कुनबे की जीत हुई। इसलिए वे अपने भविष्य के लिए पूरी तरह से चिंतित नहीं दिखे और उपचुनावों में जीत दर्ज करने के बाद वे कथित जनता दल परिवार के अन्य नेताओं की तरह बदहवाश नहीं, लेकिन मुलायम और नवीन पटनायक के अलावा अन्य सारे जनता नेता अपना अपना राजनैतिक बजूद बचाए रखने के लिए जबर्दस्त हाथ पैर मारने में लगे हुए हैं।
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बहुजन समाज पार्टी का भविष्य

मायावती हैं निश्चिंत
प्रदीप कपूर - 2014-10-13 17:17
लखनऊः बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश के आम चुनावों में अपनी पार्टी के प्रदर्शन को लेकर निश्चिंत हैं। पिछले लोकसभा चुनाव मे उनकी पार्टी की करारी हार हुई थी और उसका खाता तक नहीं खुल सका था। उस चुनाव के बाद 11 विधानसभाओं और एक लोकसभा चुनाव के उपचुनाव हुए थे। उसमें हिस्सा न लेकर मायावती ने एक बड़ी गलती कर दी। उस चुनाव में समाजवादी पार्टी को भारी जीत हासिल हुई थी और उसके कारण बहुजन समाज पार्टी का भविष्य अंधकारमय दिखाई पड़ रहा है।

मुसलमानों का सियासी शोषण करने वाले सेकुलरिज्म के सूरमाओं का सूपड़ा साफ बस दुम बची-नकवी

एस एन वर्मा - 2014-10-13 14:03
नई। दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा भारतीय मुसलमानों का सियासी शोषण करने वाले सेकुलरिज्म के सियासी सूरमाओं का सूपड़ा साफ हो चुका है, बस दुम बची है, इन विधानसभा चुनावों में उसका भी सफाया होगा।
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कांग्रेस का थरूर संकट

प्रदेश कांग्रेस की प्रतिक्रिया अनावश्यक
पी श्रीकुमारन - 2014-10-11 16:36
तिरुअनंतपुरमः कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव प्रदेश कांग्रेस कमिटी की ओर से किया गया एक ऐसा फैसला है, जिसकी कोई जरूरत अभी नहीं थी। गौरतलब हो कि शशि थरूर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करने लगे थे और उसके बाद केरल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के नेता उनकी आलोचना पर उतर आए। इतना ही नहीं, उन्होंने कांग्रेस के आलाकमान से उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी कर दी है।
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हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव

प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर
कल्याणी शंकर - 2014-10-10 17:16
क्या हरियाणा और महाराष्ट्र की विधानसभा के चुनाव केन्द्र की मोदी सरकार के पक्ष या विपक्ष में जनमत संग्रह की तरह देखे जा सकते हैं? इसमें कोई दो मत नहीं कि इन दोनों राज्यों के चुनाव में नरेन्द्र मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। नरेन्द्र मोदी के साथ साथ सोनिया गांधी के लिए भी ये चुनाव महत्वपूर्ण हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में जहां नरेन्द्र मोदी को शानदार सफलता मिली थी, वहीं सोनिया गांधी को भारी और शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा था। सोनिया गांधी के लिए तो वह एक बड़ा सदमा से कम नहीं था और वह अभी तक उस सदमें से नहीं उबर पाई है। इन दोनों राज्यों के चुनाव उन्हें सदमे से उबरने का एक मौका दे रहे हैं। कांग्रेस की दृष्टि से यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि राहुल गांधी को इसमें हाशिए पर रखा गया है और मोर्चा सोनिया गांधी ने संभाल रखा है। चुनाव नतीजे इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं कि इस चुनाव के तुरंत बाद जम्मू और कश्मीर, झारखंड और दिल्ली विधानसभा के चुनाव भी इसी साल होने हैं और उन चुनावों की तैयारियों पर भी इनके नतीजों का असर पड़ेगा।