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लोकपाल बिल का श्रेय किसे मिले

राजनैतिक तुष्टिकरण या उपलब्धि
कल्याणी शंकर - 2013-12-20 10:33
लोकपाल बिल संसद से पारित हो गया। सवाल उठता है कि इसका श्रेय किसे दिया जाय? क्या इसका श्रेय यूपीए सरकार को दिया जाय या मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी को या गांधीवादी अन्ना हजारे को? या इसका श्रेय आम आदमी पार्टी को दिया जाय, जिसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में शानदार सफलता पाई और कांग्रेस व भाजपा की नींद हराम कर दी। कहा जाता है कि सफलता के अनेक बाप होते हैं और विफलता अनाथ होती है। लोकपाल के लिए भी यह कहावत सही साबित हो रही है। अनेक लोग इसका श्रेय ले रहे हैं, पर सच्चाई यही है कि यह जन दबाव के कारण संभव हो सका है।

संकट में चीनी उद्योग

राजनेता भी हैं इसके लिए जिम्मेदार
जी श्रीनिवासन - 2013-12-19 10:58
भारत का चीनी उद्योग 80 हजार करोड़ रुपये का है। आज यह संकट में है और इसके लिए देश के राजनेताओ को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। अभी हाल ही में कृषि मंत्री शरद पवार के नेतृत्व वाले मंत्रियों के एक ग्रुप ने इसके सुधार के लिए 75 सौ करोड़ रूपये के पैकेज की बात की है।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत की ओर एक कदम

लोकपाल तो आया, जनलोकपाल का अभी भी इंतजार है
उपेन्द्र प्रसाद - 2013-12-18 11:35
लोकसभा द्वारा लोकपाल विधेयक को पारित किए जाने के बाद भारत में लोकपाल के अस्तित्व में आने का रास्ता साफ हो गया है। इस मायने में आज का 18 दिसंबर एक ऐतिहासिक दिन है कि आजादी के बाद देश का सबसे बड़ा आंदोलन बेकार नहीं गया है और आंदोलन के दबाव में सरकार व अन्य पार्टियों को झुकना पड़ा और न चाहते हुए भी उन्हें आखिरकार सत्ता में बैठे नेताओं के भ्रष्टाचार की सुनवाई करने वाले एक लोकपाल के गठन का कानून पास करना ही पड़ा।

ममता के अरमानों को नये पंख

अपनी राष्ट्रीय को लेकर आशान्वित हैं तृणमूल नेता
आशीष बिश्वास - 2013-12-17 11:19
कोलकाताः लोकसभा चुनाव के अब कुछ महीने ही शेष रह गए हैं और इस समय देश की तीन पार्टियां उन चुनावों को लेकर खासे उत्साह में हैं। वे तीन पार्टियां हैं- भारतीय जनता पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी।

कांग्रेस और भाजपा क्षेत्रीय दलों को पटाने में लगी

लालू के जेल से बाहर आने पर नीतीश को खतरा
हरिहर स्वरूप - 2013-12-16 11:28
पिछले विधानसभा चुनावों मे कांग्रेस का सूफड़ा साफ हो चुका है। जाहिर है, लोकसभा में उसके बेहतर प्रदर्शन की भी उम्मीद नहीं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी भी बहुमत के पास पहुंचने की संभावना नहीं है। इसलिए 2014 के बाद अपनी सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को क्षेत्रीय पार्टियों और उनके नेताओं पर निर्भर रहना होगा। यही कारण है कि अभी से ये दोनों पार्टियां क्षेत्रीय दलों को पटाने में लग गई है।

बांग्लादेश में राजनैतिक गतिरोध

चुनाव तक सत्ता में रहना चाहती है शेख हसीना
सरवर जहां चौधरी - 2013-12-14 12:33
अब यह साफ दिखाई दे रहा है कि सत्तारूढ़ अवामी लीग ने बांग्लादेश में राजनैतिक गणित को गड़बड़ा रखा है। पिछला आम चुनाव 2008 में हुआ था और उसमें अवामी लीग को तीन चैथाई बहुमत मिला था। उस चुनाव के पहले उसने 1971 के युद्ध अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और उन्हें सजा दिलाने का वादा किया था। तीन चैथाई बहुमत पाने के मुख्य कारणों में एक अवामी लीग का यह वायदा भी था। लेकिन उन युद्ध अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और सजा दिलाने का काम समय पर नहीं किया गया।

कांग्रेस ने अब अपने अंदर झांका

राहुल के नेतृत्व की विफलता को स्वीकारने के संकेत दिए
कल्याणी शंकर - 2013-12-13 11:53
साल 2013 की शुरुआत कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी को उपाध्यक्ष बनाने से हुई थी। उन्हें अध्यक्ष बनाते समय कांग्रेस को बहुत उम्मीदें बंध गई थी। पर साल का अंत ऐसे माहौल में हो रहा है, जिसमें कांग्रेस कैंप में हताशा और निराशा का माहौल है। जिन कांग्रेस नेताओं को किनारा कर दिया गया था, वे कह रहे हैं कि राहुल नहीं चला। मनमोहन सिंह सरकार भी निशाने पर है। कुछ नेता मानते हैं कि अब सोनिया गांधी को पार्टी की कमान अपने हाथ में एक बार फिर ले लेनी चाहिए।

आम आदमी पार्टी की जीत के मायने

क्या हम कांग्रेस मुक्त भारत की ओर बढ़ रहे हैं?
उपेन्द्र प्रसाद - 2013-12-12 18:51
महात्मा गांधी ने 29 जनवरी, 1948 को कहा था कि अब कांग्रेस को समाप्त कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि उसका उद्देश्य पूरा हो गया है। उसके अगले दिन ही गांधी जी की हत्या हो गई। उनकी हत्या नहीं की जाती, तो क्या वे जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल जैसे नेताओं से अपनी बात मनवा लेते? इस काल्पनिक सवाल के काल्पनिक जवाब पर सिर्फ अटकलबाजी ही की जा सकती है। फिलहाल भाजपा के प्रधानमंत्री प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी अपने भाषणों में गांधी जी की उस अंतिम इच्छा की याद दिलाते हुए देश के लोगों से कांग्रेस मुक्त भारत के निर्माण की अपील कर रहे हैं।

कमजोर विपक्ष पर हावी शिवराज

हिन्दुत्व के एजेंडे ने भी रंग दिखाया
राजु कुमार - 2013-12-11 19:18
मध्यप्रदेश में तीसरी बार भाजपा की वापसी के पीछे कई कारणों में से एक बड़ा महत्वूपर्ण कारण कमजोर विपक्ष है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अपनी ही कमजोरियों से जूझती रही, जबकि कई गंभीर मुद्दों पर घिरी भाजपा सरकार कभी भी परेशान नजर नहीं आई। प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध का आंकड़ा बहुत ही ज्यादा है। बलात्कार के मामले देश में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में है। बाल अपराध भी ज्यादा है। पर इसके बावजूद व्यक्तिगत तौर पर शिवराज महिलाओं के लिए भैया एवं बालिकाओं के लिए मामा की छवि बना चुके हैं।

जनशक्ति अपने उफान पर, महंगाई और भ्रष्टाचार ने किया कांग्रेस का सूफड़ा साफ

नन्तू बनर्जी - 2013-12-10 13:17
जनभावनाओं के प्रति संवेदनहीन नेताओ को छोड़कर कांग्रेस के अंदर किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि 4 हिंदी प्रदेशों के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर होगा। दिल्ली और राजस्थान को लेकर भी वे मुगालते में नहीं थे। दिल्ली में तो कांग्रेस की स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही। 15 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठी शीला दीक्षित को भी करारी हार का सामना करना पड़ा और वह लगभग 26 हजार मतों से चुनाव हार गईं। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने उन्हें बुरी तरह हराया।