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पश्चिम बंगाल में आम आदमी पार्टी: भाजपा और ममता को परेशानी

शंकर रे - 2014-02-25 12:14 UTC
पश्चिम बंगाल में भाजपा की परेशानी का सबब बन गया है आम आदमी पार्टी का यहां से अपने 9 उम्मीदवार उतारने का फैसला। इसके अलावा भाजपा अन्ना हजारे द्वारा ममता का समर्थन किए जाने के कारण भी परेशान है। यह सच है कि आम आदमी पार्टी को एक भी सीट यहां से नहीं मिलेगी और उसके सभी उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो जाएगी, लेकिन सच यह भी है कि इसके कारण तृणमूल कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और वाम मोर्चा के उम्मीदवारों के वोट कटेंगे।

अभी समाप्त नहीं हुआ है तेलंगाना मुद्दा

कांग्रेस का खेल बिगड़ा
हरिहर स्वरूप - 2014-02-24 12:22 UTC
आंध्र प्रदेश कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। जब 1977 में कांग्रेस का पूरे उत्तर भारत से सफाया हो गया था, उस समय भी आंध्र प्रदेश में कांग्रेस जीती थी। रायबरेली से पराजित इन्दिरा गांधी तब मेडक लोकसभा क्षेत्र से एक उपचुनाव के द्वारा लोकसभा पहुंची थी। वह मेडक अब तेलंगाना राज्य का हिस्सा होगा। जाहिर है कि इन्दिरा गांधी के सबसे बुरे दिनों में आंध्र प्रदेश ने ही उनका साथ दिया था। 1989 के लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस की उत्तर भारत में भारी पराजय हो गई थी, तब उस समय भी आंध्र प्रदेश में उसकी जीत हुई थी। वह जीत इस तथ्य के बावजूद हुई थी कि उस समय आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री गैर कांग्रेसी एनटीरामाराव थे।

विधानसभा द्वारा प्रस्ताव खारिज किए जाने के बावजूद तेलांगना का गठन

अवधेश कुमार - 2014-02-22 10:55 UTC
तेलांगना भारत के 29 वें राज्य के रुप में स्वीकृत हो गया। हालांकि अभी इसके व्यावहारिक और राजनीतिक रुप से अस्तित्व में आने में समय लगेगा, लेकिन संसद के दोनों सदनों द्वारा इसे पारित किए जाने के बाद हमने दो दृश्य एक साथ देखे। तेलांगना क्षेत्र में जहां खुशियां मनाईं गईं वहीं सीमांध्र में बंद और मातम जैसा दृश्य था। वस्तुतः संसद से लेकर सड़क तक इस राज्य के गठन के पूर्व ही जैसा तनावपूर्ण दृश्य दिखा और जिस तरह की घटनाएं हुईं वे कई दृष्टियों से भयभीत करने वाली हैं। लोकसभा में तो राज्य विधेयक जिस तरह पारित किया गया वह निस्संदेह, आपत्तिजनक था। सारे दरवाजे बंद, बाहर से भीतर तक काले गणवेश में डरावने सुरक्षाकर्मियों की फौज...बहस की कोई संभावना नहीं, लाइव प्रसारण स्थगित। पूरा वातावरण संसदीय लोकतंत्र की दृष्टि से असहज था।

राष्ट्रीय राजनीति में आम आदमी पार्टी

क्या दिल्ली को दुहरा पाएंगे केजरीवाल
कल्याणी शंकर - 2014-02-21 11:35 UTC
दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद देश की राजनीति का भ्रम और भी बढ़ गया है। उनकी पार्टी भारी पैमाने पर लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रही है। कुल 543 में से 350 सीटों पर चुनाव लड़ने की उसकी योजना है।

क्या भाजपा का सपना पूरा होगा?

विभाजित पार्टी को लगता है कि मोदी का जादू काम करेगा
पी श्रीकुमारन - 2014-02-20 12:51 UTC
तिरुअनंतपुरमः भारतीय जनता पार्टी का एक बहुत पुराना सपना केरल चुनाव में अपना खाता खोलना है। सवाल है कि क्या नरेन्द्र मोदी के दौरे के बाद बने एक बेहतर माहौल में वह अपना सपना पूरा कर पाएगी? और इसके लिए क्या वह अंदरूनी गुटबाजी से अपने आपको मुक्त कर पाएगी? पूरा केरल इस सवाल का जवाब पाने के लिए बेताबी से इंतजार कर रहा है।

ममता को अन्ना का समर्थन

देश की राजनीति में एक नया मोड़
प्रतीक देब - 2014-02-19 11:10 UTC
पश्चिम बंगाल की राजनीति में उस समय एक भूचाल आ गया, जब गांधीवादी अन्ना ने घोषणा की कि वे 2014 के बाद प्रधानमंत्री पद पर ममता बनर्जी को बैठाने के लिए वे चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस का प्रचार करेंगे। अब तक अन्ना किसी भी पार्टी से अपने को दूर रखते रहे हैं और किसी भी राजनैतिक व्यक्ति को आगे बढ़ाने से परहेज करते रहे हैं। यह पहली बार है कि वे किसी पार्टी और किसी राजनेता के लिए चुनाव में प्रचार करने को राजी हुए हैं।
यूपीए सरकार का अंतिम बजट

चिदम्बरम की खुशफहमी है चार दिनों की चांदनी

उपेन्द्र प्रसाद - 2014-02-18 12:45 UTC
केन्द्रीय वित्तमंत्री पी चिदम्बरम ने आगामी वित्तीय वर्ष के पहले चार महीनों का लेखानुदान पेश करते हुए देश की अर्थव्यवस्था और खासकर केन्द्र सरकार की राजकोषीय स्थिति पर जो खुशफहमी भरी बातें कीं, उससे न तो देश की अर्थव्यव्स्था का संकट कम होता है और न उससे केन्द्र सरकार के राजकोष की खस्ता हालत अच्छी होती है।

केजरीवाल सरकार का इस्तीफा और उसके बाद

क्या मोदी को टक्कर दे पाएंगे अरविंद?
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-02-17 12:22 UTC
इसमें दो मत नहीं कि यदि अरविंद केजरीवाल चाहते तो वह कुछ और समय तक दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद पर रह सकते थे। लोकसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद भी वे बदली हुई राजनैतिक परिस्थितियों में सरकार में बने रहने की उम्मीद कर सकते थे, लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से बेहतर इस्तीफा देकर अपने आपको दिल्ली सरकार के काम से मुक्त कर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगा देने को ही उचित समझा।

पूर्वी भारत में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं

बंगाल और असम को अनुकल करना उसके लिए मुश्किल
शंकर रे - 2014-02-15 10:40 UTC
आगामी लोक सभा चुनाव में कोई चमत्कार ही पश्चिम बंगाल और असम में भारतीय जनता पार्टी के बेहतर प्रदर्शन को सुनिश्चित कर सकता है। पश्चिम बंगाल में पिछले लोकसभा चुनाव में इसके एक उम्मीदवार की जीत हुई थी। दार्जिलिंग से जसवंत सिंह इसके उम्मीदवार थे और गोरखा जन्मुक्ति मोर्चा ने उनका समर्थन किया था। उनकी जीत भाजपा के कारण नहीं, बल्कि गोरखा जन्मुक्ति मोर्चा के समर्थन के कारण ही संभव हुआ था। इस बार मोर्चा उनका शायद ही समर्थन करे। इसलिए संभावना है कि भाजपा अपना एकमात्र सीट भी पश्चिम बंगाल से गंवा दे।

कांग्रेस आलाकमान की बढ़ रही है परेशानियां

केजरीवाल और किरण रेड्डी बढ़ा रहे हैं उसका सिरदर्द
कल्याणी शंकर - 2014-02-14 11:35 UTC
लोकसभा चुनाव सिर पर आ गए हैं और दिल्ली व आंध्र प्रदेश राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री अपने पद छोड़ने के मूड में हैं। दोनों का व्यक्तित्च अलग अलग है और इसलिए दोनों को एक साथ रखकर देखना उचित नहीं होगा। दोनो की बीच तुलना करने का मतलब होगा संतरे की तुलना सेब से करना। दोनो की परिस्थितियां भी अलग हैं, लेकिन दोनों मे एक बात साझा है और वह यह है कि दोनों के दोनों अपने आपको शहीद दिखलाना चाहते हैं। केजरीवाल धमकी दे रहे हैं कि यदि उनका लोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे, जबकि किरण रेड्डी कह रहे हैं कि यदि तेलंगाना विधेयक पारित हुआ तो वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।