चरखा
चरखा सूत कातने का एक यंत्र है जो लकड़ी का बना होता है।सन्तों ने शरीर को चरखा कहा है। उन्होंने कहा कि इस चरखे को समझना आवश्यक है और उसे चलाने वाले मन को भी जिसके संकल्प-विकल्प के विदित हो जाने पर मनुष्य आवागमन, अर्थात् जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
कबीरदास कहते हैं -
जो चरखा जरि जाय बढ़ैया न मरे।
मैं कातों सूत हजार चरषुला जनि जरे।
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