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नाथ साहित्य

नाथ साहित्य समग्र नाथपंथी रचनाओं का समूहवाचक नाम है। गोरखबानी इसमें प्रमुख है, जो पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल द्वारा संग्रिहत है। इसमें गोरखनाथ की 40 रचनाएं शासिल हैं। उनके नाम हैं -
1. सबदी, 2. पद, 3. शिक्षा दर्शन, 4. प्राण सांकली, 5. नखै बोध, 6. आत्मबोध, 7. अभैयात्रा योग, 8. पन्द्रह तिथि, 9. सप्रक्खर, 10. महेन्द्र गोरखबोध, 11. रोमावली, 12. ज्ञान-तिलक, 13. ज्ञानचौंतीसा, 14. पंचमात्रा, 15. गोरख गणेश गोष्ठी, 16. गोरख दत्त गोष्ठी, 17. महादेव गोरख गुष्ट, 18. शिष्ट पुराण, 19. दयाबोध, 20. जाति भौंरावलि, 21. नवग्रह, 22. नवराम, 23. अष्ट पार्छया, 24. रहरास, 25. ज्ञानमाला, 26. आत्मबोध, 27. ब्रत, 28. निरंजन पुराण, 29. गोरखवचन, 30. इन्द्री देवता, 31. मूल गर्भावली, 32. खॉड़ी वाणी, 33. गोरख शत, 34. अष्टमुद्रा, 35. चौबीस सिद्धि, 36. षडक्षरी, 37. पंच अग्नि, 38. अष्टचक्र, 39. अवलि सिलूक, 40. काफिर बोध। इनके अलावा 'ज्ञान चौतीसा' भी है जो गोरखबानी के संकलित किये जाने के बाद मिला है।

स्वयं बड़थ्वाल ने पहले 14 को प्रामाणिक माना है। फिर भी यह कहना कठिन है कि कितने गोरखनाथ की रचनाएं हैं और कितने उनके नाम पर चलाये गये हैं। कई पद दादू, कबीर, और नानकदेव के नाम पर भी पाये जाते हैं। कुछ पद लोकोक्तियां बन गयीं हैं तथा कुछ जोगीड़ों के रुप में प्रचलित हैं। अनेक तो योगियों के लिए उपदेश हैं जिसमें सहज जीवन, दृढ़ ब्रह्मचर्य, संयत आचरण, और सहज शील की बातों पर जोर दिया गया है।

गोरखनाथ के बाद अनेक सिद्धों की वाणियां पायी जाती हैं। अनेक तो राम, लक्ष्मण, हनुमान, दत्तत्रेय, महादेव, पार्वती आदि के नाम पर भी मिलते हैं, परन्तु वे बाद के साधुओं की ही रचित रचनाएं हैं।

अजयपाल के सबदियां प्राचीन लगती है। सती काणेरी के नाम से पाये जाने वाले पद बाद के हैं। गरीब, गोपीचन्द, घोड़चोली, चर्पटनाथ, चौरंगीनाथ, जलन्ध्रीपाद, धूंधलीमल, प्रिथीनाथ, भरथरी, मच्छन्द्रनाथ, मेडकीपाव, लालजी, हड़बन्तनाथ आदि सिद्धों की रचनाएं भी पायी जाती हैं।

नाथ साहित्य की विशेषता है कि उनके पदों में योग, ज्ञान, वैराग्य, आत्मज्ञान, शील, सन्तोष और सहज जीवन पर बल दिया गया है।

गुरुनानाक के नाम पर चलने वाली एक योगमार्गी पुस्तक 'प्राणसंकली' है, जिसे गुरुग्रंथ साहब में स्थान नहीे दिया गया है। परन्तु सन्त पूरन सिंह ने इसे गुरुवाणी ही माना है। इस पुस्तक में अनेक नाथसिद्धों के नाम दिये गयें हैं और उनके साथ नाना की बातचीत इसमें शामिल है जिनके विषय हैं निरंजन के स्वरूप, प्राणायाम आदि योग प्रक्रियाएं, स्वरोदा, रससिद्धि, आत्मतत्व आदि।

हिन्दी के अतिरिक्त बांगला, मराठी, और गुजराती में भी गोरखनाथ की उक्तियां मिलती हैं।

निकटवर्ती पृष्ठ
नाद, नांदी, नानकपंथ, नायक, नायिका

Page last modified on Saturday May 31, 2025 05:55:22 GMT-0000