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पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर सारे एक्जिट पोल गलत

इस बार भी एग्जिट पोल हमेशा की तरह बकवास साबित हुए
अनिल जैन - 2021-05-05 14:06 UTC
एक बार फिर साबित हुआ कि किसी भी चुनाव में मतदान का सिलसिला खत्म होने के बाद टीवी चौनलों पर दिखाए जाने वाले एग्जिट पोल की कवायद पूरी तरह बकवास होती है। पश्चिम बंगाल के मामले में लगभग सभी टीवी चौनलों और सर्वे एजेंसियों के एग्जिट पोल औंधे मुंह गिरे हैं। हालांकि तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव नतीजे एग्जिट पोल्स के अनुमानों के मुताबिक ही आए हैं लेकिन विभिन्न दलों या गठबंधनों को मिली सीटों की संख्या एग्जिट पोल्स के अनुमानों से बिल्कुल अलग है।

यह गर्मी भाजपा को पड़ रही है भारी

ममता अब दिल्ली के लिए भी दावा कर सकती है
अमूल्य गांगुली - 2021-05-04 10:41 UTC
यह भाजपा के लिए और व्यक्तिगत रूप से प्रधान मंत्री के लिए एक बुरा सप्ताह रहा है। न केवल नरेंद्र मोदी को पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत में कोविद संकट के लिए पहले से आकलन करने और फिर स्थिति से निपटने में असफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, बलि उनकी पार्टी को पश्चिम बंगाल में एक व्यापक चुनावी हार का सामना करना पड़ा है। उनकी पार्टी द्वारा 200 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया जा रहा था, लेकिन वह दावा खोखला साबित हुआ और 294 सीटों वाली राज्य विधानसभा में उसके हाथ मात्र 77 सीटें लगीं।

बंगाल ने भारत को बचा लिया

भाजपा के लिए चुनावी जीत ही सबकुछ क्यों होती है?
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-05-04 02:26 UTC
वैसे चुनाव तो पांच राज्यों में हो रहे थे, लेकिन देश की राष्ट्रीय राजनीति के लिए पश्चिम बंगाल का चुनाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण था। भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव को जीतने के लिए सबकुछ दांव पर लगा रही थी। सच कहा जाय, तो उसने उस चुनाव को जीतने के लिए देश को ही दाव पर लगा दिया था। जब पूरा देश कोरोना की दूसरी बहुत तेज लहर के आगोश में था, तो प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अपना सारा ध्यान, सारी ऊर्जा और सारा समय पश्चिम बंगाल को ही दे रहे थे, जबकि केन्द्र की सारी ताकतें इन दोनों नेताओं ने अपने अंदर केन्द्रित कर ली थी और केन्द्र से उनकी अनुपस्थिति ने ऐसे पॉलिसी पारालिसिस को पैदा कर दिया था कि देश के स्वास्थ्य मंत्री और कोरोना पर बने टॉस्क फोर्स को भी यह नहीं पता था कि क्या किया जाना है। पीएम और एचएम की अनुपस्थिति में उन लोगों का वही टोटा रटंत काम रह गया था कि हम दुनिया के अन्य देशों से बेहतर स्थिति में हैं।

कोविड वैक्सिन की कीमतों में घपलेबाजी

कॉर्पोरेट के मुनाफे के लिए मोदी ने लोगों को धोखा दिया
प्रभात पटनायक - 2021-05-01 10:35 UTC
जब देश सदी के सबसे खराब स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है, तो कोविड वैक्सीन उत्पादकों ने मोदी सरकार की अक्षमता या संलिप्तता का फायदा उठाते हुए मुनाफाखोर अपनी चांदी कर रहे हैं। इसे आप क्या कहेंगे?

महामारी से सबकः बम नहीं, अस्पताल बनाओ

कोविड विस्फोट ने स्वास्थ्य अराजकता पैदा कर दी है
डॉ अरुण मित्रा - 2021-04-30 12:47 UTC
भले ही दुनिया कोविड महामारी से गहरे संकट में है, लेकिन सीमित संसाधनों वाले देशों के निम्न और मध्यम आर्थिक समूह में भविष्य को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। पहली बार इस बात का अहसास होता है कि हमें सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए विशाल संसाधनों और सावधानीपूर्वक योजना की आवश्यकता है। दुनिया भर के सभी देशों में समाज के प्रत्येक वर्ग को आवश्यक सुविधाएं मिलती हैं और वहां स्वास्थ्य सेवा में असमानता नहीं है। देखभाल की उच्च लागत आर्थिक रूप से मध्यम और गरीब वर्गों को ऑक्सीजन और दवाओं की उपलब्धता को प्रभावित कर रही है।

यूपी पंचायत चुनाव बन गए हैं कोरोना सुपर-स्प्रेडर

विपक्ष ने आक्सीजन उपलब्धता के सरकारी दावों को खारिज किया
प्रदीप कपूर - 2021-04-29 09:36 UTC
लखनऊः पंचायत चुनाव में अपनी ड्यूटी करते हुए बीते 10 दिनों में 125 से ज्यादा शिक्षक, शिक्षा मित्र और प्रशिक्षकों की मौत हो गई है। यह चुनाव कोरोना का सुपर स्प्रेडर साबित हो रहा है।

मोदी के नेतृत्व ने भारत को नर्क बना दिया है

अब दलदल से देश को निकालने की जिम्मेदारी किसी और के सिर डाल रहे हैं
ज्ञान पाठक - 2021-04-28 11:09 UTC
पूरे भारत में अस्पताल भरे पड़े हैं। न तो मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड उपलब्ध हैं, न ही श्मशान या कब्रिस्तान में जगह उपलब्ध है। भर्ती होने के लिए मरीजों की लंबी कतार लगी रही। ऑक्सीजन, स्वास्थ्य सेवा कर्मियों और संसाधनों की भारी कमी है। शवों का निपटान करने के लिए भी आवश्यक संसाधन नहीं हैं। ऐसा लगता है कि भारत को नरक बना दिया गया है, जिसमें हम नए रोगियों और मौतों के भयानक दैनिक रिकॉर्ड देख रहे हैं, जो एक ही दिन में नए कोविड-19 संक्रमण के 3.62 लाख और 3000 से अधिक मौत नए शिखर पर पहुंच गए हैं। अगर आरबीआई के आकलन पर भरोसा किया जाए, तो मई के तीसरे सप्ताह के अंत में यह दूसरी लहर अपने चरम पर होगी। भारत में जल्द ही सड़कों पर बिखरे शव मिल सकते हैं।

क्या नरेन्द्र मोदी कोरोना वायरस के ‘सुपर स्प्रेडर’ हैं?

प्रधानमंत्री को उठ रहे सवालों का जवाब तो देना ही होगा
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-04-27 10:19 UTC
कोरोना संकट की दूसरी लहर के लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराने वाले लोगों की कमी नहीं है। उन पर तरह तरह के आरोप लग रहे हैं। थाली- ताली बजाने का मामला हो या दीया जलाने का मामला या डॉक्टरों पर फूल बरसाने का मामला, इन सबके लिए उनकी आलोचना हो रही है। ताजा मामलों में उन्होंने 11 अप्रैल से कुछ दिनों के लिए टीका उत्सव मनाने का फैसला कर लिया। लोग ज्यादा संख्या में टीका लेने के लिए जुटे भी, लेकिन टीका केन्द्रों पर पर्याप्त मात्रा में टीका ही नहीं उपलब्ध थे। इस कथित उत्सव की विफलता के लिए भी मोदी की आलोचना हुई।

असम में पार्टियों को चुनावी नतीजे का इंतजार

भाजपा जीत के प्रति पहले की तरह आश्वस्त नहीं
सागरनील सिन्हा - 2021-04-26 10:26 UTC
असम में चुनाव 6 अप्रैल को संपन्न हुए और 2 मई को नतीजे आएंगे - क्योंकि अभी भी पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में चुनाव खत्म नहीं हुए हैं। राज्य के लोग - और देश भी - उत्सुकता से परिणामों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रमण से अपेक्षाएं

वे अदालतों को डिजिटल बना सकते हैं
परसा वेंकटेश्वर राव जूनियर - 2021-04-24 11:05 UTC
इस बात को लेकर अटकलें हैं कि भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण किस तरह का निर्णय लेंगे। कुछ कह रहे हैं कि वह उस तरह के जज नहीं हैं जो कार्यपालिका से टकराएं। न ही वह अपने कानूनी घोषणाओं के माध्यम से लहर का कारण बनेंगे। उनका शांत कार्यकाल होगा।