कितने महंगे होंगे पेट्रोल डीजल?
सरकारी खजाना भरने के लिए अर्थव्यवस्था को तबाह न करें
2020-07-07 11:03
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मोदी सरकार अप्रत्यक्ष टैक्सेसन में किए गए ऐतिहासिक बदलाव के लिए देश आर्थिक इतिहास में याद की जाएगी। जीएसटी लागू करने का श्रेय इसे ही है। टैक्स व्यवस्था में यह बदलाव बिना खून खराबे के नहीं हुआ है, उसके बावजूद हमारा अप्रत्यक्ष टैक्सेसन पूरी तरह से जीएसटी के दायरे में नहीं आ सकता है। पेट्रोलियम उत्पाद उसके दायरे से अभी भी बाहर है और उसका बाहर रहना भी एक नये किस्म के खून खराबे का गवाह बन रहा है। इन उत्पादों पर लगाया गया टैक्स केन्द्र के ही नहीं, बल्कि राज्य सरकारों के भी राजस्व का एक बड़ा स्रोत है। केन्द्र सरकार का यह कितना बड़ा स्रोत है, इसका अंदाजा आप इसीसे लगा सकते हैं कि केन्द्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में इन पर लगाए गए टैक्सों से कुल 4 सौ 30 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया था, जो कुल उत्पाद शुल्क का 78 फीसदी था। शेष 22 फीसदी ही सेंट्रल जीएसटी सहित अन्य स्रोतों से प्राप्त हुए थे।