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परीक्षण करो और सीखो की मोदी की नीति देश का नाश कर रही है

नोटबंदी, लॉकडाउन और कोविड की रणनीति देश के लिए महंगे साबित हुए हैं
के रवीन्द्रन - 2021-04-12 11:27 UTC
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि दूसरा लॉकडाउन कोविद संक्रमण की दूसरी लहर का कोई समाधान नहीं है, जिसके और भी तेज गति के साथ फैलने का खतरा है, क्योंकि अर्थव्यवस्था इस तरह की घटना को संभाल नहीं सकती। फिलहाल जो हो रहा है, उसे हम देख ही रहे हैं।

बिहार में फिर नरसंहार का दौर होगा शुरू?

मधुबनी के गांव की घटना यह सवाल उठ खड़ा कर रही है
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-04-10 09:34 UTC
मधुबनी जिले के बेनीपट्टी थाने का एक गांव नरसंहार का गवाह बना। पांच लोगों को वहां एक साथ मार डाला गया। छठा व्यक्ति भी निशाना था, जो अभी जीवन और मौत से अस्पताल में जूझ रहा है। मारे जाने वाले सभी एक ही राजपूत जाति के हैं। मरने वालों में तीन तो एक ही परिवार का है और वह एक ही पिता की तीन संतान थे। वैसे बिहार में हिंसा, हत्या और अपहरण तो आम बात है। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता होगा, जब प्रदेश में किसी की हत्या नहीं की जाती होगी। समाज बहुत हिंसक है और हिंसा होती ही रहती है। लेकिन बेनीपट्टी में जो घटना घटी वह न तो सामान्य किस्म की हिंसा थी और न सामान्य किस्म की हत्याएं, वैसे सभी प्रकार की हत्या समान रूप से निंदनीय है।

शासन की हिंसा अब आम होती जा रही है

दक्षिण एशिया में यह प्रवृति कुछ ज्यादा ही जोर पकड़ रही है
डॉ अरुण मित्र - 2021-04-09 13:51 UTC
म्यांमार में मिलिट्री जुंटा द्वारा शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन कर रहे 500 से अधिक लोगों की हत्या पर वैश्विक समुदाय में गुस्सा है। पहले भी रोहिंग्याओं को हिंसक भीड़ द्वारा भागने के लिए मजबूर किया गया था। लोग फिर से अपनी मातृभूमि से भाग रहे हैं और भारत और बांग्लादेश में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। यह बौद्धों द्वारा बसाए गए देश में हो रहा है। इसलिए पूरी तरह से समझ से परे है, क्योंकि बौद्ध कबूल करते हैं, उपदेश देते हैं और अहिंसा का अभ्यास करते हैं।

मुख्यमंत्री चौहान इस समय दो चुनौतियों का सामना कर रहे हैं

दामोह उपचुनाव जीतना और कोरोना संकट से निपटना जरूरी है
एल एस हरदेनिया - 2021-04-08 11:17 UTC
भोपालः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई मोर्चों पर युद्ध लड़ रहे हैं। मोर्चों में कोविद -19 के प्रसार को नियंत्रित करना, राज्य में एक प्रतिष्ठित उपचुनाव लड़ना और भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा करना शामिल है।

कोरोना का महाविस्फोटः सरकार अपनी गलतियों से सीख नहीं ले रही

उपेन्द्र प्रसाद - 2021-04-07 11:04 UTC
भारत में कोरोना का महाविस्फोट हो चुका है। दुनिया में यह प्रतिदिन सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित होने वाले देशों की सूची में यह पहले स्थान पर पहुंच चुका है। इन वाक्यों के लिखते समय भारत में प्रतिदिन कोरोना संक्रमण की रफ्तार एक लाख पन्द्रह हजार से भी ज्यादा थी। इसे इस महामारी की दूसरी लहर भी कहा जा रहा है। पहली लहर में प्रतिदिन संक्रमण की रफ्तार 97 हजार थी। जाहिर है, यह दूसरी लहर पहली लहर से बड़ी है और लहर के फैलाव की गति भी बढ़ रही है। यदि अगले एक सप्ताह तक यह गति बनी रही, तो प्रतिदिन संक्रमण की संख्या दो लाख से भी ऊपर पहुंच जाएगी।

कोविड पॉजिटिव मरीजों को मजबूत बने रहने की जरूरत है

कोरोना वायरस से जनता और सरकार दोनों को मिलकर लड़ना होगा
डॉ अरुण मित्रा - 2021-04-06 13:05 UTC
कोरोना संक्रमण के मामलों की पहले हुई गिरावट के साथ, न केवल हमारे देश में बल्कि दुनिया भर में, निवारक उपायों के बारे में एक लापरवाही का भाव विकसित हुआ है। यह सच है कि जीवन में ठहराव नहीं आ सकता है, लेकिन जब स्थिति अनुकूल नहीं होती है तो जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता होती है। अब हम देख रहे हैं कि कोविड के मामलों में फिर से उछाल आ रहा है और बीमारी की रोकथाम के बारे में पूरी चर्चा फिर से शुरू हो गई है। नए प्रकार के स्ट्रेन्स के आने से हम पाते हैं कि कुछ लोग दूसरी बार संक्रमित हो रहे हैं।

असम का तीसरा चरण भाजपा के लिए सबसे कठिन

इस बार भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस कृतसंकल्प
सागरनील सिन्हा - 2021-04-05 11:45 UTC
असम में 86 विधानसभा सीटों को कवर करने वाले दो चरणों के चुनावों के पूरा होने के साथ, ध्यान 40 सीटों पर है, ज्यादातर निचले असम में हैं, जहां 6 अप्रैल को अंतिम चरण के चुनाव होंगे। माना जा रहा था कि भाजपा आसानी से वहां चुनाव जीत जाएगी। लेकिन कांग्रेस और एआईयूडीएफ के एनडीए के खिलाफ महागठबंधन बनाने के फैसले ने लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग की राय है कि बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए से कांग्रेस के नेतृत्व वाला महाजुट आगे है।

नरेन्द्र मोदी की टेक्निक उनके लिए काम कर रही है

चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट अपने दायित्व का निर्वाह करने में विफल
के रवीन्द्रन - 2021-04-03 09:34 UTC
मोदी सरकार ने किसी वस्तु की सुरक्षा के नाम पर जो अनेक कानून बनाए हैं, उनमें से कुछ तो उसका बिल्कुल उल्टा कर रहे हैं। मोदी ने इस तरह की बात करते हुए कानून बनाने और बिल्कुल उलटा उद्देश्य हासिल करने की कला में अपने को को सिद्धहस्त कर लिया है। जैसे वे बात करेंगे कि फलां काम वे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए कर रहे हैं, लेकिन वैसा कहते हुए जो वे काम करेंगे, उनसे राष्ट्र की सुरक्षा को ही खतरा हो जाता है। वे कहेंगे कि हम फला काम लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कर रहे हैं, लेकिन वे जो कर रहे होते हैं, उससे लोकतंत्र कमजोर ही होता है। वे राष्ट्रीय एकता की बात करते हैं, लेकिन राष्ट्रीय एकता से उनका मतलब उनकी पार्टी का हित होता है और जहां कहीं राष्ट्र की एकता और उनकी पार्टी के हित में टकराव होता है, वे पार्टी हित को प्राथमिकता देते हैं। इतना ही नहीं, वे पार्टी हित को ही राष्ट्र हित का नाम देने में तनिक भी संकोच नहीं करते।

असम विधानसभा के चुनाव

कोई चमत्कार ही भाजपा को फिर सत्ता में वापस ला सकता है
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-04-01 10:42 UTC
अन्य राज्यों के साथ असम विधानसभा के चुनाव के नतीजे भी 2 मई को आ जाएंगे। मतदान के अंतिम चरण तक सभी राजनैतिक पार्टियां अपना सारा जोर लगा रही हैं और सत्तारूढ. भारतीय जनता पार्टी अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त होने का दावा कर रही है। उसके लिए यह चुनाव न केवल अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न है, बल्कि आगे की उसकी राजनीति भी इससे प्रभावित होने वाली है। इसलिए हारने का विचार मात्र ही उसके लिए एक बड़ी त्रासदी से कम नहीं है। वह एक से एक ऐसी नीतियां अपना रही है, जिससे देश को नुकसान हो रहा है, लेकिन चुनावी जीत के कारण वह समझती है कि देश के लिए वह अच्छा ही कर रही है। जीत के बाद फिर वह अपनी पूरी ताकत से उसी प्रकार की नीतियों के अमल पर लग जाती है।

पश्चिम बंगाल के चुनाव

जाति की राजनीति के भरोसे भाजपा
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-03-31 13:32 UTC
पश्चिम बंगाल में चुनाव की प्रक्रिया जारी है। आठ चरणों में मतदान के बाद 2 मई को नजीजे आ जाएंगे। ममता बनर्जी के फिर सरकार में आ जाने की संभावना है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी अपनी तरफ से वे सारी कोशिशें कर रही है, जिनकी सहायता से वे सत्ता पर काबिज हो जाए। पिछले लोकसभा चुनाव में उसे कुल 42 सीटों में 18 सीटें हासिल हुई थीं, जो तृणमूल कांगेस की 22 सीटों से कुछ ही कम थी। जाहिर है, उससे उत्साहित होकर वह वहां की सत्ता पर कब्जा करने की न केवल सपने देख रही है, बल्कि उसके लिए अपने सारे संसाधनों को वहां झोंक रखा है।