Loading...
 
Skip to main content

View Articles

आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 ने सरकारी नीतियों का बचाव किया

अधिक सक्रिय राजकोषीय नीति की वकालत की
ज्ञान पाठक - 2021-01-30 16:26 UTC
आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में भारत की जीडीपी में 7.7 प्रतिशत की कमी का अनुमान लगाया गया है। यद्यपि सर्वेक्षण सभी प्रकार के तर्क देकर लोगों में आशा जगाने की कोशिश करता है, लेकिन वह पिछले साल के सर्वेक्षण की तरह बहुत आशावादी नहीं है, जिसमें 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखता है। ताजा आर्थिक सर्वेक्षण इस मायने में रक्षात्मक है।

त्रिपुरा में भाजपा अपनी धूमिल छवि की परवाह करे

बर्खास्त शिक्षकों की समस्या का हल हो
सागरनील सिन्हा - 2021-01-29 10:54 UTC
3 मार्च, 2018 बीजेपी के लिए एक ऐतिहासिक दिन था, जब पार्टी- जो शायद ही कुछ साल पहले राज्य में दिखाई दे रही थी - 25 वर्षीय माकपा के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार को अपदस्थ करने में सफल हो गई। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत लोकप्रियता के आधार पर भाजपा सीपीआई (एम) के शासन के 25 वर्षों से उत्पन्न मजबूत एंटी-इनकंबेंसी का फायदा उठा सकी। नई सरकार से राज्य के हर कोने के लोगों को उच्च उम्मीदें थीं।

अखिलेश यादव ने छोटे दलों से गठबंधन के संकेत दिए

सपा प्रमुख कांग्रेस और बसपा से निराश हो चुके हैं
प्रदीप कपूर - 2021-01-28 11:03 UTC
लखनऊः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस कथन को बहुत महत्व दिया जा रहा है कि वह उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए छोटे दलों और समूहों के साथ गठबंधन करेंगे।

बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है भारतीय गणतंत्र

गण और तंत्र के बीच की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है
अनिल जैन - 2021-01-27 10:33 UTC
भारतीय गणतंत्र की स्थापना का 72वां वर्ष शुरू हो गया है। किसी भी राष्ट्र या गणतंत्र के जीवन में सात दशक की अवधि अगर बहुत ज्यादा नहीं होती है तो बहुत कम भी नहीं होती। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय गणतंत्र ने अपने अब तक के सफर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन इसी अवधि में कई ऐसी चुनौतियां भी हमारे समक्ष आ खड़ी हुई हैं जो हमारे गणतंत्र की मजबूती या सफलता को संदेहास्पद बनाती हैं, उस पर सवालिया निशान लगाती हैं।

वार्ता की विफलता के लिए सरकार जिम्मेदार

अहंकार के कारण ही यह गतिरोध पैदा हुआ है
के रवीन्द्रन - 2021-01-25 09:44 UTC
कोविड महामारी के कारण मोदी सरकार को नागरिकता कानून के खिलाफ आंदोलन को समाप्त करवाने में सफलता मिली। सच कहा जाए तो वह आंदोलन अपने आप समाप्त हो गया। कोविड महामारी वैसे समय में आई, जब नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहा आंदोलन तेजी से विस्तार पा रहा था और सरकार के नियंत्रण से भी बाहर होता जा रहा था। लेकिन कोविड का किसान आंदोलन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि यह महामारी के बावजूद चल रहा है। कह सकते हैं कि आंदोलन चरम संक्रमण बिंदु से बच गया है, जो कि सभी संकेत हमें दिख रहे है। किसान आंदोलन वैसे समय में शुरू हुआ, जब कोरोना के मामले कम होने लगे थे। आंदोलन जब शुरू हुआ, तो यह लग रहा था कि महामारी फिर से फैलने लगेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। शायद इसका कारण यह हो कि हर्ड इम्युनिटी का एक संतोषजनक स्तर अब बन चुका है।

अर्णब गोस्वामी के व्हाट्सअप चैट्स

लोकतंत्र के चारों खंभों पर हमला?
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-01-23 14:51 UTC
अर्णब गोस्वामी के व्हाट्सअप चैट्स के सार्वजनिक होने के बाद जो बातें सामने आ रही हैं, वह निश्चय ही हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद खौफनाक है। अर्णब गोस्वामी पेशे से पत्रकार है, लेकिन उसकी पत्रकारिता एक ऐसे ब्रांड में बदल गई है, जिसे गोदी पत्रकारिता कहते हैं और उसके पद चिन्हों पर चलकर पत्रकारिता करने वालों को गोदी पत्रकार कहते हैं। जिस प्रकार के मीडिया का वह प्रतिनिधित्व करता है, उसे गोदी मीडिया कहा जाने लगा है। यह सोशल मीडिया के टर्म है, लेकिन अब यह पत्रकारिता के औपचारिक शब्दकोष का भी हिस्सा बनने लगा है और आने वाले समय में शोधार्थी इस गोदी मीडिया को लेकर नये नये शोध भी कर सकते हैं।

मोदी की चीन नीति में स्पष्टता नहीं

अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा बनाए मकानों पर सरकार तुतला रही है
बरुन दास गुप्ता - 2021-01-22 09:33 UTC
भारत के लोगों को कुछ दिनों पहले अखबार की रिपोर्ट से पता चला कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में त्सारी चू नदी के किनारे एक गाँव बनाया है और लगभग 100 घर बनाए हैं। भारत सरकार ने इस तथ्य का खुलासा नहीं किया था। भारतीयों को मीडिया रिपोर्टों से यह पता चला कि एक अमेरिकी-आधारित संगठन, प्लैनेट लैब्स की खोज के हवाले से, जिसने उपग्रह छवियों की मदद से इसे खोज निकाला। 2019 में ये घर मौजूद नहीं थे। अरुणाचल के बीजेपी सांसद तापिर गाओ ने कहा कि चीनियों ने 60 से 70 किलोमीटर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की है।

हमारे नेता क्यों कतरा रहे हैं वैक्सीन लेने से?

उनके तर्क विचित्र हैं
अनिल जैन - 2021-01-21 09:48 UTC
दुनिया के जिन-जिन देशों में कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए टीकाकरण (वैक्सीनेशन) की शुरुआत हुई है, वहां का अनुभव है कि इसकी सफलता के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि लोगों का वैक्सीन को लेकर भरोसा बने। उन्हें यह यकीन हो कि वैक्सीन उनको वायरस से सुरक्षा देगी और उनके शरीर पर कोई बुरा असर नहीं होगा। यह भरोसा बनाने के लिए अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन और उनकी पत्नी ने सार्वजनिक रूप से वैक्सीन लगवाई। अमेरिकी संसद के निचले सदन की स्पीकर और उच्च सदन के सभापति यानी उप राष्ट्रपति ने भी वैक्सीन लगवाई। हालांकि इसके बावजूद अमेरिका में वैक्सीन लेने वालों का भरोसा नहीं बना और जब कई जगह वैक्सीन का स्टॉक फेंका जाने लगा तो उसके स्टॉक के नए नियम बने।

22 जनवरी को एक ऐतिहासिक दिवस बनाया जा सकता है

परमाणु खतरों से ही नहीं, दुनिया परमाणु हथियारों से भी मुक्त की जा सकती है
डॉ अरुण मित्रा - 2021-01-20 09:41 UTC
22 जनवरी 2021 को परमाणु हथियार निषेध संधि (टीपीएनडब्ल्यू) लागू होगा। इसके साथ परमाणु हथियारों को अवैध घोषित कर दिया जाएगा और वे गैरकानूनी हो जाएंगे। उनका उपयोग, प्रक्षेपण, अनुसंधान, किसी भी रूप में प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण अवैध होगा। यह मानव इतिहास में एक महान कदम है और परमाणु हथियारों को खत्म करने और मानव जाति को विलुप्त होने से बचाने का एक वास्तविक अवसर है। यह इसलिए और भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया के कई हिस्से अब निम्न स्तर के संघर्षों में लिप्त हैं और दुनिया के कुछ हिस्सों में बड़ी शक्तियों के नरम हस्तक्षेप के साथ पूर्ण पैमाने पर युद्ध की संभावना बन रही है। संघर्ष में कोई भी वृद्धि परमाणु हथियारों के उपयोग की स्थिति पैदा कर सकती है।

26 जनवरी का ट्रैक्टर मार्च

सरकार को इस समस्या का हल निकालना है, सुप्रीम कोर्ट को नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-01-19 09:37 UTC
उधर किसान अड़े हुए हैं कि तीनों काले कानूनों को वापस करवाए बिना वे अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। इधर केन्द्र सरकार कह रही है कि वह उन कानूनों को समाप्त नहीं करेगी और किसान अपनी जिद छोड़ दें व समाधान को कोई रास्ता अपनाएं। लेकिन किसान टस से मस होने को तैयार नहीं। उनके आंदोलन को देश व्यापी समर्थन मिल रहा है और लगभग सभी राज्यों में उनके पक्ष में समर्थन में जुलूस और प्रदर्शन निकाले जा रहे हैं। अभी गनीमत है कि कोरोना संकट के कारण रेलें नियमित रूप से नहीं चल पा रही हैं, इसलिए देश के अन्य हिस्सों से किसान दिल्ली कूच नहीं कर पा रहे हैं। फिलहाल, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान ही दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं, क्योंकि वे दिल्ली के काफी निकट हैं और उन्हें यहां आने के लिए ट्रेन की जरूरत भी नहीं पड़ती है।