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आरएसएस की पत्रिकाएं राष्ट्रीय मीडिया को हिन्दू विरोधी कहती है

उन पत्रिकाओं में ‘मुस्लिम अत्याचार’ को मिल रहा है कवरेज
एल एस हरदेनिया - 2019-08-05 10:52
भोपलः ‘उल्टा चोर कोतवाल से डाटे’ एक प्रसिद्ध हिंदी कहावत है। यह कहावत पूरी तरह से दो सप्ताहिक ‘आॅर्गेनाइजर’ और ‘पांचजन्य’ पर लागू होती है जो आरएसएस के संरक्षण में छपती हैं। लगभग हर अंक में दोनों में ‘नारद’ नामक एक कॉलम छपता है। संयोग से आरएसएस का मानना है कि नारद मानव सभ्यता के पहले रिपोर्टर थे। भोपाल स्थित पत्रकारिता विश्वविद्यालय, जब यह आरएसएस द्वारा नियंत्रित किया गया था, अपने छात्रों को बताता था कि यदि वे एक आदर्श खोजी पत्रकार बनना चाहते हैं तो उन्हें नारद से सीखना चाहिए। यहाँ मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि जुलाई 2019 के महीने में प्रकाशित दोनों साप्ताहिकों में क्या लिखा था।

तीन तलाक विरोधी विधेयक

विपक्ष ने इसे क्यों पारित होने दिया
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-08-03 10:20
मुस्लिम पुरूषों द्वारा अपनी पत्नियों को तीन तलाक देने की प्रथा को आपराधिक घोषित करने वाला विधेयक बहुत ही आसानी से राज्यसभा से पारित हो गया, जबकि जिन पार्टियों ने इसका राज्यसभा के पटल पर ही विरोध किया था, उनके सांसदों की संख्या बहुमत में है। इस विधेयक के पक्ष में मात्र 99 मत पड़े, जबकि राज्यसभा सांसदों की संख्या कुल संख्या उस दिन 240 थी। यानी 141 सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान नहीं किया। इन 141 सांसदों में अरुण जेटली जैसे भाजपा सांसद भी शामिल हैं, जो अस्वस्थ होने के कारण मतदान के दिन उपस्थित नहीं हो सकते थे। इसके बावजूद यह तो स्पष्ट है कि वैसे सांसद भारी बहुमत में थे, जिनकी पार्टियों ने राज्यसभा में इस मसले पर हुई बहस के दौरान इस विधेयक का विरोध किया था।

विभाजित विपक्ष ने भाजपा को अजेय बनाया

विपक्ष के विश्वसनीय नेता के रूप में कांग्रेस विफल
अरुण श्रीवास्तव - 2019-08-02 10:27
एक बार फिर वही पुरानी कहानी राज्यसभा के पटल पर दोबारा देखी गई। ट्रिपल तलाक विधेयक को पराजित करने की अपनी प्रतिज्ञा के बावजूद वाम और धर्मनिरपेक्ष दलों ने भाजपा सरकार को मतदान अनुपस्थित रह कानून बनाने में मदद की। अगर इन ताकतों ने वोटिंग से परहेज नहीं किया होता तो बिल जरूर हार जाता।

मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

सरकारों ने उसकी कोई परवाह नहीं की
अनिल जैन - 2019-08-01 19:27
देश में उन्मादी भीड़ की दलित, मुस्लिम और अन्य कमजोर तबके के लोगों पर अकारण हिंसा यानी मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाएं जिस तरह तेजी से बढती जा रही हैं, वह बेहद चिंतित करने वाली हैं। ये घटनाएं देश में एक तरह से गृहयुद्ध का वातावरण बना रही हैं और देश की एकता के गंभीर संकट पैदा कर रही हैं। शायद यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तरह की घटनाओं के प्रति उदासीन बनी केंद्र और संबंधित राज्यों की सरकारों से जवाब तलब किया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने इन सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा है कि मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पिछले एक साल में क्या-क्या कदम उठाए हैं।

ईरान से अपने संबंध को लेकर भारत अमेरिका को विश्वास में ले

वॉशिंगटन भारत की ईरान नीति में बाधा नहीं डाल सकता
अशोक बी शर्मा - 2019-08-01 19:23
दक्षिण एशिया का एकीकरण अभी भी एक दूर का सपना है। पाकिस्तान इस क्षेत्र में एकीकरण के रास्ते में एकमात्र अड़चन है। दो प्रमुख शक्तियों भारत और पाकिस्तान के बीच कड़वाहट ने क्षेत्रीय निकाय, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) में एकीकरण की प्रक्रिया को रोक दिया है। इस्लामाबाद ने भारत की एक और सार्क देश, अफगानिस्तान तक पहुंच से वंचित कर दिया है। लेकिन ईरान, जो एक दक्षिण एशियाई देश नहीं है, ने नई दिल्ली को अपने चाबहार बंदरगाह का उपयोग करने और अफगानिस्तान में माल का परिवहन करने की पेशकश की है। भारत ने आंशिक रूप से बंदरगाह विकसित किया है और माल अफगानिस्तान भेजा जा रहा है। भारत ने चाबहार को अफगानिस्तान से जोड़ने वाली 240 किलोमीटर लंबी सड़क पहले ही विकसित कर ली है।

मध्यप्रदेश भाजपा का नेतृत्व बदहवाश

अनेक भाजपा विधायक कमलनाथ के संपर्क में
एल एस हरदेनिया - 2019-08-01 19:21
भोपालः स्थानीय अखबारों में छपी खबरें अगर कोई संकेत हैं, तो राज्य बीजेपी की स्थिति खराब है। पार्टी में ब्लेम गेम शुरू हो गया है। तमाम स्थानीय भाजपा नेताओं की उंगली विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव पर उठ रही है। इस बात की पूरी संभावना है कि भार्गव को हटाने की मांग की जा सकती है। भार्गव को कभी भी एक चतुर नेता नहीं माना गया। भाजपा में अभी भी कई लोगों का मानना है कि इस महत्वपूर्ण समय में भार्गव विपक्षी नेता के लिए उचित नहीं हैं। उन्हें उत्तेजक बयानों के लिए जाना जाता है। विधानसभा चुनाव की कार्यवाही के दौरान कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर कुछ साल पहले एक महिला कांग्रेस विधायक ने उन पर चप्पल फेंकी थी।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक स्वास्थ्य चिंताओं को नजरअंदाज करता है

निजी क्षेत्र को मेडिकल शिक्षा में छूट ही छूट मिली है
डॉ अरुण मित्रा - 2019-08-01 18:31
29 जुलाई, 2019 को लोकसभा में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक का पारित होना भारत के स्वास्थ्य सेवा इतिहास का एक काला दिन होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है, और खासकर तत्कालीन अध्यक्ष डॉ केतन देसाई द्वारा भ्रष्ट प्रथाओं के उजागर होने के बाद। निजी मेडिकल कॉलेजों के साथ मेडिकल काउंसिल के कुछ उच्चतर पदों पर बैठे लोगों के साथ नापाक गठबंधन की रिपोर्ट आ रही थी।

कमलनाथ ने दिया भाजपा को करारा झटका

दो विधायक पहुंचे कांग्रेस के पाले में
एल एस हरदेनिया - 2019-07-26 19:16
भोपालः कर्नाटक में मिली सफलता के बाद भाजपा को मध्यप्रदेश में गहरा झटका लगा, जब पार्टी के दो विधायकों ने बुधवार को आपराधिक कानून (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक 2019 पर मत विभाजन के दौरान कमलनाथ सरकार को वोट दिया। कांग्रेस ने इसे कर्नाटक प्रकरण का उत्तर कहा है।

प्रियंका की सोनभद्र यात्रा से कांग्रेसजनों में उत्साह बढ़ा

अब प्रियंका को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की हो रही है मांग
प्रदीप कपूर - 2019-07-26 10:34
लखनऊः प्रियंका गांधी ने खुद को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित किया है, जो सड़क पर उतरकर पीड़ितों के साथ खड़े हो सकते हैं। जिस तरह से उन्होंने सोनभद्र जिले में आदिवासियों के परिवारों के साथ खुद को खड़ा किया, उससे तो ऐसा ही लगता है। गौरतलब हो कि सोनभद्र जिले में आदिवासियों का नरसंहार हुआ था।

ट्रंप को माथे पर बिठाने से यही हासिल होना था

भारतीय नेतृत्व हकलाते हुए लीपापोती कर रहा है
अनिल जैन - 2019-07-25 11:50
कश्मीर मसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने संबंधी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान सच हो या झूठ, फिलहाल तो उसने भारतीय कूटनीति और नेतृत्व को सवालों के घेरे में खडा कर दिया है। उसे भले ही भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर नकार दिया गया हो, लेकिन ट्रंप ने अपना बयान वापस नहीं लिया है। दरअसल, कश्मीर मसले पर मध्यस्थ बनने की अमेरिकी हसरत नई नहीं है। शीत युद्ध के समय से ही कश्मीर में अमेरिका की रुचि रही है। वह चाहता है कि कश्मीर या तो पाकिस्तान के कब्जे में आ जाए या फिर स्वतंत्र रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच बफर स्टेट बन जाए ताकि वहां वह अमना सैन्य अड्डा कायम कर दक्षिण एशिया में सक्रिय दखल बढा सके। इसीलिए अमेरिकी राष्ट्रपति समय-समय पर दबे स्वरों में कश्मीर पर पंच बनने की इच्छा जताते रहे हैं, लेकिन भारत की ओर से हमेशा यही कहा गया कि यह द्विपक्षीय मसला है और इसका समाधान भारत और पाकिस्तान ही आपस में निकाल सकते हैं।