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कोरोना संकट के लिए कौन जिम्मेदार?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समय रहते दी थी चेतावनी
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-04-20 08:42 UTC
कोरोना संकट से पूरी दुनिया कराह रही है। 195 से ज्यादा देशों में यह महामारी फैल चुकी है और इसका बहुत निकट भविष्य में कोई निदान भी नहीं दिखाई दे रहा है। इन पंक्तियों को लिखे जाने तक इस बीमारी से दुनिया भर में 24 लाख से ज्यादा लोग इसकी जद में आ चुके हैं और उनमें से 1 लाख 65 हजार से ज्यादा लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। चिंता की बात यह भी है कि इसकी रफ्तार कम होने की बजाय लगातार तेज होती जा रही है।

कोरोना संकट से जूझने का रास्ता केरल ने दिखा दिया है

अन्य राज्यों को भी उससे सीख लेनी चाहिए
एल एस हरदेनिया - 2020-04-18 10:27 UTC
राष्ट्र के स्तर पर केरल और विश्व के स्तर पर क्यूबा ने जिस मुस्तैदी से कोविड-19 का मुकाबला किया है उसकी चारों तरफ भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है। पिछले कुछ दिनों से केरल में कोरोना के नए मामले आना लगभग बंद हो गए हैं। यदि आ भी रहे हैं तो सिंगल डिजिट (अर्थात 10 से कम) में हैं।

उद्धव ठाकरे की कुर्सी के लिए भी खतरा बन सकता है कोरोना

अभी तक वे नहीं बन पाए हैं विधान मंडल के सदस्य
अनिल जैन - 2020-04-17 09:53 UTC
देश में इस समय कोरोना संक्रमण के संकट से सर्वाधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र से आ रही राजनीतिक खबरें वहां पर एक बार फिर राजनीतिक संकट खडा होने का संकेत दे रही हैं। पिछले सप्ताह राज्य मंत्रिमंडल ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सूबे के राज्यपाल से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्य की विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने की सिफारिश की है।

भारत में पीपीई की भारी कमी

उत्पादन बढ़ाने की सख्त जरूरत
ज्ञान पाठक - 2020-04-16 10:18 UTC
कोविद-19 से लड़ने वाले डॉक्टरों और नर्सों सहित फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मियों को सामान्य रूप से व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की वैश्विक कमी है। उनके विशेष रूप से भारत में कोरोनवायरस से संक्रमित होने का सबसे अधिक खतरा है। उनमें से कई संक्रमित हो गए, मर गए, उन्हें लोगों के पूर्वाग्रह का सामना करना पड़ा। उम्मीद है कि हम उस संकट को दूर करेंगे। पर परेशान करने वाली बात यह है कि आपूर्ति श्रृंखला टूट गई है। अड़चनें जारी हैं। लॉकडाउन ने उन लोगों के लिए चिकित्सा और खाद्य आपूर्ति के दोहरे संकट पैदा किए हैं जिनकी उन्हें सबसे अधिक आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री मोदी को गरीबों की कोई चिंता नहीं

कोरोना लाॅकडाउन से मजदूर वर्ग हाशिए से बाहर हो गया है
अरुण श्रीवास्तव - 2020-04-15 09:36 UTC
भारत का आर्थिक पुनरुद्धार एक धूमिल दिख रहा है। कोरोनावायरस के प्रकोप से पहले ही देश मंदी का सामना कर रहा था। अब मंदी और गहराती जा रही है। कोरोना संकट के बाद भी आर्थिक संकट से बाहर निकलना मुश्किल होगा।

लाॅकडाउन का पहला चरण विफल क्यों?

मोदी सरकार ने पहले ही कर दी थी भारी चूक
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-04-14 10:03 UTC
लाॅकडाउन का पहला चरण समाप्त हो गया है और दूसरे चरण की शुरुआत भी हो चुकी है। यह लाॅकडाउन देश व्यापी थी और निश्चय ही बहुत कठोर थी, जिसके कारण देश भर में विस्थापित मजदूरों को भारी परेशानी हुई और उनमें से कइयों की मौत तक की खबरें सोशल मीडिया में आई हैं। अनेक लोगों ने आत्महत्या भी कर ली। सरकार ने अपने स्तर पर उनकी तकलीफों को दूर करने की कोशिश भी की, लेकिन उसके बादवजूद जान और माल का भारी नुकसान हुआ।

कोरोना से निबटने के लिए शिवराज ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बात की

मध्यप्रदेश में नये मामले बहुत आ रहे हैं
एल एस हरदेनिया - 2020-04-13 09:31 UTC
भोपालः हालांकि भोपाल और इंदौर दोनों में कोविद -19 के कई नए मामले सामने आए हैं, वहीं दोनों शहरों में रिकवरी के बाद अस्पतालों को छोड़ने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। लेकिन इंदौर से भी बुरी खबर है - उनके इलाज के सभी प्रयासों के बावजूद दो डॉक्टरों की मृत्यु हो गई।
संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट-2020

लगातार फिसल रहा है भारतीयों की खुशमिजाजी का स्तर

अनिल जैन - 2020-04-11 09:18 UTC
हमारे देश में पिछले करीब दो दशक से यानी जब से नव उदारीकृत आर्थिक नीतियां लागू हुई हैं, तब से सरकारों की ओर से आए आंकड़ों के सहारे देश की अर्थव्यवस्था की गुलाबी तसवीर पेश की जा रही है और आर्थिक विकास के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे सर्वे भी बताते रहते हैं कि भारत तेजी से आर्थिक विकास कर रहा है और देश में अरबपतियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। इन सबके आधार पर तो तसवीर यही बनती है कि भारत के लोग लगातार खुशहाली की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन हकीकत यह नहीं है।

प्रधानमंत्री ने त्रासदी को भी उत्सव बना दिया

वैश्विक संकट की घडी में भी राजनीतिक हित साधने का एक क्षुद्र उपक्रम
अनिल जैन - 2020-04-09 10:05 UTC
कोरोना संक्रमण से बचाव से उपाय के तौर लॉकडाउन से पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान जब लोग ताली, थाली, शंख, घंटी और ढोलक बजाते हुए सडकों पर निकल आए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस पर गहरी नाराजगी जताई थी। उनकी नाराजगी स्वाभाविक ही थी, क्योंकि जनता कर्फ्यू का आह्वान करते हुए उन्होंने कोरोना संक्रमण की चेन तोडने के लिए सोशल डिंस्टेसिंग बनाए रखने पर जोर दिया था। उन्होंने घर के देहरी को लक्ष्मण रेखा बताते हुए उसे न लांघने की अपील लोगों से थी।

कोरोना से बढ़ती मौतें और देश में दिवाली

राजु कुमार - 2020-04-08 10:23 UTC
पूरी दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है। लगभग सभी देश किसी न किसी रूप में लॉकडाउन को लागू किए हुए हैं। भारत भी लॉकडाउन की स्थिति से गुजर रहा है, लेकिन भारत कोरोना से मुकाबला करने में ज्यादा ध्यान देने के बजाय इवेंट में आगे दिख रहा है। ताली-थाली के बाद लोगों द्वारा दीये जलाने के साथ-साथ पटाखे फोड़कर दिवाली सा जश्न मनाना हैरान कर देना वाला है।