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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय विदेश नीति का खस्ताहाल

अमेरिकी वैश्विक रणनीति में कनिष्ठ सहयोगी की भूमिका निभाना मुख्य कारण
प्रकाश कारत - 2025-07-12 11:25
हाल के दिनों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार की विदेश नीति ने जो बदनामी अर्जित की है, उसे कम करके नहीं आंका जा सकता। 13 जून को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्पेन द्वारा पेश किये गये एक प्रस्ताव को पारित किया, जिसमें गाजा में तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम का आह्वान किया गया था। प्रस्ताव में इज़राइल पर "नागरिकों को युद्ध के एक तरीके के रूप में भुखमरी" का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था। 193 सदस्य देशों में से 149 ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, 12 ने विरोध किया जबकि 19 ने मतदान में भाग नहीं लिया। भारत ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं किया, बल्कि मतदान से दूर रहा।

मज़दूरों की अखिल भारतीय हड़ताल की बड़ी सफलता एक चेतावनी

मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ संघर्ष और तेज होने के आसार
पी. सुधीर - 2025-07-11 11:26
9 जुलाई को ऐतिहासिक हड़ताल में करोड़ों मेहनतकश लोग सड़कों पर उतर आये। पहले से तय इस हड़ताल को पहलगाम में निर्दोष नागरिक पर्यटकों पर हुए कायरतापूर्ण हमले के बाद लगभग डेढ़ महीने के लिए स्थगित करना पड़ा था। फिर भी, लोगों पर थोपी गयी मज़दूर-विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ प्रतिरोध की भावना अडिग रही।

'नरसंहार की अर्थव्यवस्था' रिपोर्ट ने खोली इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध का राज

संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज ने उठायी वैश्विक कंपनियों की भूमिका पर उंगली
रैमज़ी बरौद - 2025-07-10 10:58
लंदन: अधिकृत फ़िलिस्तीन में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष रिपोर्टर, फ्रांसेस्का अल्बानीज़, सत्ता के सामने सच बोलने की अवधारणा की एक मिसाल हैं। यह "शक्ति" इज़राइल या संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा नहीं, बल्कि एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा विहित है जिसकी सामूहिक प्रासंगिकता गाजा में चल रहे नरसंहार को रोकने में दुखद रूप से विफल रही है।

केरल में राज्यपाल-सरकार टकराव में नया मोड़

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री के रुख का समर्थन किया
पी. श्रीकुमारन - 2025-07-09 11:22
तिरुवनंतपुरम: केरल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर द्वारा आयोजित समारोहों में भगवा ध्वज लिए भारत माता की छवि प्रदर्शित करने को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच गतिरोध ने एक नया मोड़ ले लिया है। राज्य मंत्रिमंडल ने उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि राजभवन में आयोजित आधिकारिक कार्यक्रमों के दौरान केवल राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय प्रतीक ही प्रदर्शित किये जायें।

भारत को रक्षा व्यय में पर्याप्त वृद्धि करने की आवश्यकता

रक्षा पर भारी खर्च कर रही हैं वैश्विक सैन्य शक्तियां
नन्तू बनर्जी - 2025-07-08 11:21
यह विश्वास करना कठिन है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधार पर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और एक प्रमुख सैन्य शक्ति भारत का रक्षा व्यय जीडीपी के प्रतिशत के रूप में कुवैत और ग्रीस जैसे छोटे-छोटे देशों से भी कम है। दक्षिण एशियाई क्षेत्र में चीन के साथ जटिल भू-राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर कहा जा सकता है कि भारत अपनी रक्षा पर पर्याप्त खर्च नहीं कर रहा है, जबकि उसका नंबर 1 दुश्मन चीन लगातार बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान और नेपाल पर अपने बढ़ते आर्थिक और सैन्य नियंत्रण के साथ भारत को घेर रहा है, जिससे भारत पर चीन का खतरा बढ़ता जा रहा है।

9 जुलाई को अखिल भारतीय मज़दूर हड़ताल एक निर्णायक दौर होगा

विवादस्पद चार श्रम संहिताओं के क्रियान्वयन का भाग्य दांव पर
डॉ. ज्ञान पाठक - 2025-07-07 11:02
देश भर के औद्योगिक क्षेत्रों से मिल रहे सभी संकेत बताते हैं कि 9 जुलाई, 2025 को अखिल भारतीय मज़दूर हड़ताल एक निर्णायक दौर होगा, जिसके परिणाम, चाहे अच्छे हों या बुरे, मज़दूर संघों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार दोनों को ही भुगतने होंगे और उनसे निपटना होगा। इस आम हड़ताल की सफलता या विफलता चार विवादास्पद श्रम संहिताओं के क्रियान्वयन का भाग्य तय कर सकती है, जिन्हें फिलहाल रोक रखा गया है, लेकिन केंद्र उन्हें जल्द से जल्द लागू करना चाहता है।

आरएसएस और भाजपा ने 1975 के आपातकाल के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ी

नरेंद्र मोदी के 11 साल के शासन ने भी लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर किया आघात
डॉ. राम पुनियानी - 2025-07-05 10:34
जून 2025 में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के अधीन देश ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ मनायी, जिसे इंदिरा गांधी ने 1975 में लगाया था। इस अवधि के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, जब कई लोकतांत्रिक स्वतंत्रताएं निलंबित कर दी गयी थीं, हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया था और मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस अवधि को कुछ दलित नेता बहुत अलग तरीके से देखते हैं, जो पिछले दशक में इंदिरा गांधी द्वारा उठाये गये क्रांतिकारी कदमों जैसे बैंकों के राष्ट्रीयकरण और प्रिवी पर्स को खत्म करने को याद करते हैं। अब, जबकि बहुत कुछ लिखा जा चुका है, तब उसका नये सिरे से विश्लेषण किया जाना चाहिए।

मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण वर्तमान स्वरुप में अनुमति देने योग्य नहीं

चुनाव आयोग द्वारा की जा रही यह कवायद घुसपैठ के बहाने ध्रुवीकरण को बढ़ावा देगी
पी. सुधीर - 2025-07-04 10:36
संसदीय लोकतंत्र की आत्मा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की आवश्यक प्रक्रिया में निहित है - एक ऐसी प्रक्रिया जो सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर सुनिश्चित करती है। इस विशेषता के कारण, संसदीय लोकतंत्र को अक्सर चुनावी लोकतंत्र माना जाता है। यह अकारण नहीं है कि संविधान सभा, जिसने 26 जनवरी, 1950 को संविधान को अपनाने से पहले दो साल तक विचार-विमर्श किया था, ने विधान सभाओं और संसद के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के विभिन्न पहलुओं को अत्यंत विस्तृत तरीके से संबोधित किया था।

ट्रम्प के टैरिफ बम कारगर नहीं होते, नवीनतम 500% का भी होगा वही हश्र

अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकियों का अंत टांय टांय फिस्स
के रवींद्रन - 2025-07-03 11:50
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा वैश्विक आर्थिक युद्ध के मैदान में नवीनतम हमला - रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रस्ताव है। यह एक पैटर्न की निरंतरता को दर्शाता है जो उनकी व्यापार कूटनीति को परिभाषित करता है: साहसिक, धमाकेदार घोषणाओं के बाद रणनीतिक रूप से पीछे हटना।

आपातकाल का सर्वाधिक निदंनीय पहलू था सेंसरशिप

अधिकारियों ने की प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के भाषण की रिपोर्टिंग पर भी आपत्ति
एल.एस. हरदेनिया - 2025-07-02 11:14
वर्ष 1975 के जून माह में देश में आपातकाल लागू कर दिया गया था। आपातकाल का सर्वाधिक निदंनीय पहलू सेंसरशिप था। आपातकाल के दौरान मैं अंग्रेजी समाचार पत्र ‘दैनिक हितवाद’ में राजनीतिक रिपोर्टिंग करता था। सेंसरशिप के कुछ अनुभवों तथा घटनाओं का विवरण पेश है।