राष्ट्रीय अपराध है राष्ट्रीय धरोहरों की यह सौदेबाजी
आखिर सरकार ऐसा कर क्यों रही है?
2018-05-03 07:57
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देश के बेशकीमती संसाधनों- जल, जंगल, जमीन के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, सेना, रेलवे, एयरलाइंस, संचार आदि सेवाएं तथा अन्य बडे-बडे सार्वजनिक उपक्रमों को मुनाफाखोर उद्योग घरानों के हवाले करने के बाद अब सरकार देश के लिए ऐतिहासिक महत्व की विश्व प्रसिद्ध धरोहरों को उनके रख-रखाव के नाम पर कारपोरेट घरानों के हवाले कर रही है, वह भी उनसे औपचारिक तौर पर कुछ पैसा लिए बगैर ही। सवाल है कि जो ऐतिहासिक धरोहरें सरकार के लिए सफेद हाथी न होकर दुधारू गाय की तरह आमदनी का जरिया बनी हुई हैं, उन्हें सरकार क्यों निजी हाथों में सौंप कर अपने नाकारा होने का इकबालिया बयान पेश कर रही है?