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लोकसभा चुनावः कमजोर हो रही हैं सत्ता परिवर्तन की संभावनाएं

डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2019-01-10 10:31 UTC
सन् 2018 के अंतिम दौर में हुये विधानसभा चुनाव में भाजपा की सत्ता वाले तीन राज्यों में हुये सत्ता परिवर्तन के उपरान्त वर्ष 2019 में होने वाले आमचुनाव में केन्द्र में सत्ता परिवर्तन होने की उम्मीदें राजनीतिक धरातल पर की जाने लगी, जिसकी आहट वर्तमान केन्द्र की भाजपा सरकार को अंदर से अंदर ही बौखलाहट पैदा कर दी। उसे भी आभास भी होने लगा कि विरोधी तेवर सन् 2019 के आमचुनाव में कहीं सत्ता से उसे दूर न कर दें । इसी कारण मोदी सरकार आमजन को अपने पक्ष में कर आमचुनाव में जनमत को हासिल करने के प्रयास में सक्रिय होती दिखाई दे रही है।

युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद

देश के विकास की रीढ़ होते हैं युवा
योगेश कुमार गोयल - 2019-01-09 11:07 UTC
स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को ही प्रतिवर्ष ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जो बहुत कम आयु में अपने विचारों के चलते समस्त जगत में अपनी एक विशेष पहचान बनाने में सफल हुए थे। स्वामी जी युवाओं के प्रेरणास्रोत और आदर्श व्यक्त्वि के धनी थे, जिन्हें उनके ओजस्वी विचारों और आदर्शों के कारण ही जाना जाता है। वे आधुनिक मानव के आदर्श प्रतिनिधि थे और खासकर भारतीय युवाओं के लिए उनसे बढ़कर भारतीय नवजागरण का अग्रदूत अन्य कोई नेता नहीं हो सकता। अपने 39 वर्ष के छोटे से जीवनकाल में स्वामी जी अलौकिक विचारों की ऐसी बेशकीमती पूंजी सौंप गए, जो आने वाली अनेक शताब्दियों तक समस्त मानव जाति का मार्गदर्शन करती रहेगी। उनका कहना था कि मेरी भविष्य की आशाएं युवाओं के चरित्र, बुद्धिमत्ता, दूसरों की सेवा के लिए सभी का त्याग और आज्ञाकारिता, खुद को और बड़े पैमाने पर देश के लिए अच्छा करने वालों पर निर्भर है।

आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण

क्या सुप्रीम कोर्ट में यह टिक पाएगा
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-01-08 09:32 UTC
मोदी सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर अनारक्षित तबकों को दिए जा रहे आरक्षण को लेकर एक सवाल यह खड़ा किया जा रहा है कि यह सुप्रीम कोर्ट में टिक ही नहीं पाएगा, क्योंकि पहले भी इस तरह के निर्णय कोर्ट द्वारा खारिज कर दिए गए हैं। अनेक राज्यों ने समय समय पर आंदोलनों के दबाव में आर्थिक आधार पर आरक्षण के फैसले किए और हमेशा सुप्रीम कोर्ट या उच्च न्यायालयों ने उन्हें खारिज कर दिया। अनेक बार अनारक्षित जातियों को ओबीसी श्रेणी का कहकर भी आरक्षण देने की कोशिश की गई, लेकिन वे सारी कोशिशें भी नाकाम रहीं।

कश्मीर पर नई दिल्ली का वही पुराना रवैया

कश्मीर की अस्मिता को स्वीकारे बगैर इस समस्या का हल नहीं हो सकता
अनिल सिन्हा - 2019-01-07 11:07 UTC
जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लग गया है और उसे संसदीय मंजूरी भी मिल गई है। मंजूरी के लिए राज्यसभा में हुई बहस से फिर एक बार साबित हुआ कि देश का नेतृत्व निहायत असंवेदनशील लोगों के हाथ में है। इससे यही साबित हुआ कि नई दिल्ली सैनिक तंत्र के जरिए ही घाटी पर शासन करना चाहती है। विपक्ष ने भी बेचारगी ही दिखाई है। सीपीएम के सांसद रंगराजन को छोड़ कर किसी ने वहां के नागरिकोें की हत्या की जांच और इसकी जिम्मेदारी तय करने की मांग नहीं की और सीपीआई नेता डी राजा को छोड़ कर किसी ने पाकिस्तान और भारत की जनता के बीच अच्छे संबंध बनाने की बात नहीं कही।

मध्य प्रदेश में वंदे मातरम पर विवाद

नाथ सरकार राष्ट्रगीत को बनाएगी ज्यादा समावेशी
एल. एस. हरदेनिया - 2019-01-05 09:34 UTC
भोपालः राज्य सचिवालय में वंदे मातरम के गायन को निलंबित करने और मीसा बंदियों की पेंशन रोकने के फैसले ने मध्य प्रदेश को एक गंभीर विवाद में डाल दिया है। दोनों फैसलों ने भाजपा को नवगठित कांग्रेस सरकार पर बंदूक चलाने का मौका दिया है।

कार्पोरेट नहीं बल्कि जनता के लिए हों आर्थिक सुधार

कोई भी दल जनता के लिए योजना लेकर नहीं आ रहा
शिवाजी सरकार - 2019-01-04 16:47 UTC
साल 2019 आशा का संदेश लेकर आया है, लेकिन आगे का रास्ता स्पष्ट नहीं है। अर्थव्यवस्था को नया रास्ता, पुनर्जीवन और जनोन्मुखी नीतियों की जरूरत है।

शीतलहर की चुनौती और हमारा पिलपिला व्यवस्था तंत्र

ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती का मुकाबला हम कैसे करेंगे?
अनिल जैन - 2019-01-03 18:24 UTC
नया साल शुरू हो चुका है और उससे पहले शुरू हो चुकी है कंपकपा देने वाली सर्दी। हर साल जब हिमालय पर्वतमाला पर बर्फ गिरती है तो पहाड़ी प्रदेशों और मैदानी इलाकों में शीतलहर चलने लगती है। लेकिन अभी जो शीतलहर शुरू हुई है, वह सिर्फ हिमालयी प्रदेशों और गंगा-यमुना के मैदानों तक ही सीमित नहीं है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और रेगिस्तानी राजस्थान के साथ ही महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और सुदूर छत्तीसगढ तथा ओडिशा तक ठंड से ठिठुर रहे हैं। सभी जगह न्यूनतम तापमान के पुराने रिकॉर्ड टूट रहे हैं। कई जगह तापमान शून्य डिग्री को पार कर गया है। सर्दी के सितम से बेघर और साधनहीन लोगों के मरने की खबरें भी आने लगी हैं।

बांग्लादेश में तेज होगी टकराव की राजनीति

हसीना की बड़ी जीत कट्टरपंथ को बढ़ावा दे सकता है
बरुन दास गुप्ता - 2019-01-02 13:05 UTC
30 दिसंबर को बांग्लादेश में हुए आम चुनावों में अवामी लीग की अगुआई वाली जातीय ऐक्य फ्रंट ने भारी जीत हासिल की। इतने बड़े पैमाने पर हुई जीत ने कई लोगों की भौहें चढ़ा दी हैं। 300 सदस्यीय संसद में 299 सीटों के लिए चुनाव हुए थे। जातीय ऐक्य फ्रंट ने उनमें से 288 और अवामी लीग (एएल) ने तो अकेले 259 सीटें जीतीं। विपक्षी राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा ने सिर्फ सात और निर्दलीय ने 4 सीटें जीतीं। बांग्लादेश के जन्म के बाद यह 11 वां आम चुनाव था।

कमलनाथ ने सरकारी कामकाज में व्यापक बदलाव के आदेश दिए

मध्य प्रदेश में अब मंत्री नहीं कर सकेंगे घोषणाएं
एल एस हरदेनिया - 2019-01-01 10:31 UTC
भोपालः विभागों के आवंटन के तुरंत बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने दूरगामी निहितार्थों की कई घोषणाएं की हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के कामकाज में एक बुनियादी बदलाव की घोषणा की है। अपने गृह नगर छिंदवाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, कमलनाथ ने कहा कि भविष्य में नई परियोजनाओं और योजनाओं की घोषणा अधिकारियों द्वारा की जाएगी न कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों द्वारा। रविवार को सार्वजनिक बैठक में अपने भाषण के दौरान, उन्होंने कहा कि जनता नेताओं द्वारा की गई घोषणाओं और लंबे वादों से तंग है। अब, अधिकारी योजनाओं की घोषणा करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें लागू किया जाए।

तेजी से बदल रही है कांग्रेस

राहुल ने राजनीति के फोकस को बदल दिया है
अनिल सिन्हा - 2018-12-31 11:17 UTC
हम लोग तेजी से 2019 के लोक सभा चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं और देश की राजनीति में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। पिछले दिनों में हमने बहस का एक ऐसा ढांच विकसित कर लिया है कि समाज, अर्थ और राजनीति- सभी क्षेत्रों की पड़ताल कुछ चुने हुए सवालों को ही लेकर होती है। यही कांग्रेस में हो रहे बदलाव को भी लेकर हुआ है। हम यह देख नहीं पा रहे हैं की राहुल गांधी ने कांग्रेस की राजनीति में कितने बदलाव ला दिए हैं। इनके असर में देश की राजनीति भी बदल रही है। यह सच है कि कांग्रेस की राजनीतिक संस्कृति ठहर चुकी थी। इसे लोकतांत्रिक बनाना लगभग नामुमकिन ही था। मीडिया का बड़ा हिस्सा इन बदलावों पर नजर डालने के लिए अभी भी तैयार नहीं है। लोग मानें या न मानें, राहुल ने बरसों से तंग रही कांग्रेस की राजनीति को फैला दिया है और देश की राजनीति के फोकस को भी बदल दिया है।