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भाषण से लोग प्रभावित तो हो सकते है पर पेट नहीं भरता

वर्तमान समस्याओं को हल करने की जिम्मेदारी वर्तमान सरकार की ही है
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-05-16 12:43
कर्नाटक विधान सभा चुनाव के दौरान यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विजयपुर में आमसभा को संबोधित करते हुये कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अच्छा भाषण दे तो लेते है पर केवल भाषण से ही आमजन का पेट नहीं भरता । सोनिया गांधी के इस वकतव्य में यह सच्चाई समाहित है कि केवल भाषण से राशन नहीं मिल सकता। अच्छे भाषण से देश की अवाम जरूर प्रभावित हो सकती पर समस्याएं नहीं मिट सकती। सरकार किसी की भी हो देश की अवाम समस्याओं से राहत पाना चाहती है। इसीलिये सरकार बदलती रहती है। आजतक सही मायने में उसे राहत नहीं मिल पाई। आजादी के बाद देश का विकास जरूर हुआ पर देश को लूटने की प्रक्रिया आजतक बंद नहीं हुई, जिससे समस्याएं कम होने के जगह दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। आज सभी सरकारें एक जैसी ही दिखाई देने लगी है जहां आमजन की कमाई पर जनता के चुने जनप्रतिनिधि ऐशों अराम की जिंदगी व्यतीत करने में लगे हुए है।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे

चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षण पर प्रतिबंध लगे
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-15 11:01
कर्नाटक विधानसभा चुनावों ने एक बार फिर चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों को गलत साबित कर दिया है। आमतौर पर ये गलत ही साबित होते हैं। इक्का दुक्का कभी कभी यह सही साबित हो जाएं, तो यह अलग बात है, अन्यथा ये गलत होने के लिए अभिशप्त हैं। सवाल यह उठता है कि ये गलत क्यों होते हैं? एक कारण तो सर्वेक्षण करने के तरीके हो सकते हैं। लेकिन क्या वाकई सर्वेक्षण के तरीके गलत होते हैं या जानबूझकर सर्वेक्षण के नतीजों को गलत किया जाता है, ताकि जनमत हो प्रभावित किया जा सके।

राज्यपाल ने दो दिनों मे झिडके दो बार

केरल सरकार पर राजनैतिक हिंसा का साया
पी श्रीकुमारन - 2018-05-14 11:05
तिरुवनंतपुरमः लगातार दो दिनों में दो बार राज्यपाल की झिड़क। यह पिनारायी विजयन के नेतृत्व वाले वाम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार की शासन करने की क्षमता पर एक गंभीर टिप्पणी है।

कर्नाटक चुनाव के नतीजे होंगे महत्वपूर्ण

यह देश की आने वाली राजनीति को भी करेंगे प्रभावित
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-12 10:46
कर्नाटक में विधानसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। यह चुनाव राज्य की सरकार चुनने के लिए हैं, लेकिन इसका प्रभाव सिर्फ कर्नाटक राज्य तक ही सीमित नहीं होगा। चुनाव के नतीजे आगे के दिनों में राष्ट्रीय राजनीति का स्वर निर्धारित करेंगे। हालांकि, बीजेपी ने देश के अधिकांश हिस्सों में अपना प्रभाव बढ़ाया है और इसे 21 राज्यों और भारत के केंद्र शासित प्रदेशों पर शासन करने का गर्व है, कर्नाटक का नुकसान लोकसभा के अगले आम चुनाव में उसकी जीत पर एक प्रश्न चिह्न लगाएगा।

बाजारवाद की मार: आम आदमी को राहत कैसे मिले?

डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-05-11 09:35
देश में आये दिन वेतन एवं सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में निरंतर मांग चलती रहती है। वेतन एवं सुविधाओं को लेकर यहां सरकारी क्षेत्र में आयोग भी गठित है जो समय - समय पर इस दिशा में विचार कर नया वेतन एवं सुविधाएं को लागू करता रहता है। हमारे जनप्रतिनिधि जिन्हें पहले केवल भत्ते एवं सुविधाएं मिला करती अब वेतन भोगी हो चले है पर वेतन आयोग के दायरे में नहीं आते। वे स्वयं ही इसका निर्धारण करते है। देश में अधिकांश ऐसे क्षेत्र है जो निजी क्षेत्र में आते है, जिनका वेतन एवं सुविधाओं का निर्धारण मालिक करता है। अधिकांश ऐसे क्षेत्र भी है जहां कोई नियमावली नहीं लागू। जो कुछ दे दिया वहीं उनका वेतन है। सुविधाएं तो बिल्कुल नगण्य है।

ग्राम स्वराज योजना पर नकारात्मक प्रचार से भाजपा चिंतित

यह योजना एक दलित टूरिज्म योजना बनकर रह गई है
प्रदीप कपूर - 2018-05-10 10:28
लखनऊः कर्नाटक में चुनाव अभियान के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहे जो भी दावा करें, उत्तर प्रदेश में दलित तक पहुंच बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही ग्राम स्वराज योजना ने बीजेपी और सरकार के लिए बड़ी शर्मिंदगी की स्थिति पैदा कर दी है।

पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगले

सुप्रीम कोर्ट का उचित फैसला
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-09 10:00
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को लखनऊ में मिले सरकारी बंगले के आबंटन को गैरकानूनी घोषित कर दिया है। अब उन्हें उन बंगलों से हटने पड़ेंगे। इस तरह का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने कोई पहली बार नहीं दिया है। दो साल पहले जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी, उस समय भी इसी तरह का आदेश देश के सर्वाच्च न्यायालय ने जारी किया था और लग रहा था कि वे पूर्व मुख्यमंत्री अपने अपने बंगले खाली कर देंगे।

विपक्षी एकता की राह में कई तरह के अगर-मगर

नेतृत्व का सवाल सबसे बड़ी बाधा है
अनिल जैन - 2018-05-08 10:54
अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ प्रमुख क्षेत्रीय दलों के बीच भाजपा और कांग्रेस से इतर तीसरे मोर्चे याकि फेडरल फ्रंट को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। इस सिलसिले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दिनों तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से मुलाकात कर लंबी बातचीत की है। राव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पिछले एक महीने से तीसरे मोर्चे के गठन की कवायद में जुटे हुए हैं। इस सिलसिले में चंद्रशेखर राव ने 10 मई को हैदराबाद में इन सभी नेताओं की औपचारिक बैठक बुलाई है। इस बैठक के लिए बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती को भी बुलाए जाने की संभावना है। तीसरे मोर्चे के गठन की दिशा में पहलकदमी कर रहे नेताओं की कोशिश भाजपा के असंतुष्ट नेताओं का समर्थन हासिल करने की भी है। इस सिलसिले में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और अरुण शौरी की ममता बनर्जी से मुलाकात हो चुकी है।

कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में डाला बड़ा प्रभाव

उमड़ती भीड़ से भाजपा परेशान
एल एस हरदेनिया - 2018-05-07 09:47
भोपालः कमल नाथ की भोपाल की यात्रा और उनके भव्य स्वागत ने मध्यप्रदेश की राजनीति में एक नया अध्याय खोल दिया है। उनके परिपक्व व्यवहार ने सत्तारूढ़ बीजेपी को यह महसूस करने के लिए मजबूर कर दिया है कि चुनौती असली है और यह आत्ममुग्ध होने का जोखिम नहीं उठा सकती।

विपक्षी एकता: विचारधारा की उलझनें

विपक्षी पार्टियों के पास मोदी-विरोध का कोई साझा मुद्दा नहीं
अनिल सिन्हा - 2018-05-05 10:37
दिल्ली के कंस्टीच्यूशन क्लब में 1 मई को लगी विपक्षी नेताओं की जमघट असरदार थी। कई पार्टियों ने इसमें हिस्सा लिया। समाजवादी अंादोलन के शीर्ष नेताओं में से एक मधु लिमये की जयंती पर आयोजित इस सभा का विषय भी मौके के मुताबिक ही था-प्रगतिशील ताकतों की एकता। मधु लिमये आरएसएस और भारतीय जनसंघ (भारतीय जनता पार्टी का पुराना संस्करण) के कट्टर विरेाधी तथा समाजवादी और साम्यवादी पार्टियां की एकता के हिमायती थे। हालांकि गैर-कांग्रेसवाद और इंदिरा गांधी के तीखे विरोध की राजनीति में वे आगे रहे, लेकिन अपनी धारा के वे शायद अकेले नेता थे जिन्होंने आरएसएस की राजनीति का उस समय इतना तीव्र विरोध किया था जब कोई उसे बड़ा खतरा मानने को तैयार नहीं था। वे हिंदुत्व को देश के लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा मानते थे। उन्होंने 1977 में सत्ता में आई जनता पार्टी के उन सदस्यों को आरएसएस की सदस्यता छोड़ने के लिए कहा था जो भारतीय जनसंघ के विलय के बाद पार्टी में आए थे।