यह देश अपनों का देश है किसी और का नहीं
आंदोलन के तौर तरीकों को हमें बदलना होगा
2018-04-13 07:05
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देश को आजादी तो मिली पर आज तक किसी ने इसे अपना नहीं समझा। सभी इसे आज तक इसे अपने अपने तरीेके से स्वहित में कमजोर बनाने में लगे है। आजतक आंदोलन के तौर तरीेके पूर्व की भाॅति ही देखे जा सकते जहां तोड़ - फोड़, आगजनी, रेल पटरी उखड़ने जैसी अहितकारी घटनाएं आज भी जारी हैं, जिनमें सबसे ज्यादा सार्वजनिक एवं राष्टीªय सम्पति का नुकसान ही होता है जिसकी भरपाई किसी और को नहीं , अपने को ही करनी पड़ती है। आज यह देश किसी और का नहीं , अपनो की ही देश है जिसे समझना बहुत जरूरी है। इस तथ्य को नहीं समझने के कारण आज भी लुटेरे इस देश को लूट रहे है। देश में सबकुछ रहते हुए भी विकास के कदम से कई कदम हम पीछे खड़े है। बाजारवाद में कभी अग्रणी रहा हमारा देश आज पीछे खड़ा है जहां विदेशी सामानों की भरमार है। सार्वजनिक प्रतिष्ठानों की तहत लगे देश में बड़े उद्योग बंदी की कगार पर है। आंदोलन के तहत देश की करोड़ो की सम्पदा का आज तक नुकसान पहुंचा चुके है।