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कर्नाटक चुनाव के नतीजे होंगे महत्वपूर्ण

यह देश की आने वाली राजनीति को भी करेंगे प्रभावित
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-12 10:46
कर्नाटक में विधानसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। यह चुनाव राज्य की सरकार चुनने के लिए हैं, लेकिन इसका प्रभाव सिर्फ कर्नाटक राज्य तक ही सीमित नहीं होगा। चुनाव के नतीजे आगे के दिनों में राष्ट्रीय राजनीति का स्वर निर्धारित करेंगे। हालांकि, बीजेपी ने देश के अधिकांश हिस्सों में अपना प्रभाव बढ़ाया है और इसे 21 राज्यों और भारत के केंद्र शासित प्रदेशों पर शासन करने का गर्व है, कर्नाटक का नुकसान लोकसभा के अगले आम चुनाव में उसकी जीत पर एक प्रश्न चिह्न लगाएगा।

बाजारवाद की मार: आम आदमी को राहत कैसे मिले?

डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-05-11 09:35
देश में आये दिन वेतन एवं सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में निरंतर मांग चलती रहती है। वेतन एवं सुविधाओं को लेकर यहां सरकारी क्षेत्र में आयोग भी गठित है जो समय - समय पर इस दिशा में विचार कर नया वेतन एवं सुविधाएं को लागू करता रहता है। हमारे जनप्रतिनिधि जिन्हें पहले केवल भत्ते एवं सुविधाएं मिला करती अब वेतन भोगी हो चले है पर वेतन आयोग के दायरे में नहीं आते। वे स्वयं ही इसका निर्धारण करते है। देश में अधिकांश ऐसे क्षेत्र है जो निजी क्षेत्र में आते है, जिनका वेतन एवं सुविधाओं का निर्धारण मालिक करता है। अधिकांश ऐसे क्षेत्र भी है जहां कोई नियमावली नहीं लागू। जो कुछ दे दिया वहीं उनका वेतन है। सुविधाएं तो बिल्कुल नगण्य है।

ग्राम स्वराज योजना पर नकारात्मक प्रचार से भाजपा चिंतित

यह योजना एक दलित टूरिज्म योजना बनकर रह गई है
प्रदीप कपूर - 2018-05-10 10:28
लखनऊः कर्नाटक में चुनाव अभियान के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहे जो भी दावा करें, उत्तर प्रदेश में दलित तक पहुंच बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही ग्राम स्वराज योजना ने बीजेपी और सरकार के लिए बड़ी शर्मिंदगी की स्थिति पैदा कर दी है।

पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगले

सुप्रीम कोर्ट का उचित फैसला
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-05-09 10:00
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को लखनऊ में मिले सरकारी बंगले के आबंटन को गैरकानूनी घोषित कर दिया है। अब उन्हें उन बंगलों से हटने पड़ेंगे। इस तरह का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने कोई पहली बार नहीं दिया है। दो साल पहले जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी, उस समय भी इसी तरह का आदेश देश के सर्वाच्च न्यायालय ने जारी किया था और लग रहा था कि वे पूर्व मुख्यमंत्री अपने अपने बंगले खाली कर देंगे।

विपक्षी एकता की राह में कई तरह के अगर-मगर

नेतृत्व का सवाल सबसे बड़ी बाधा है
अनिल जैन - 2018-05-08 10:54
अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ प्रमुख क्षेत्रीय दलों के बीच भाजपा और कांग्रेस से इतर तीसरे मोर्चे याकि फेडरल फ्रंट को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। इस सिलसिले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दिनों तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से मुलाकात कर लंबी बातचीत की है। राव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पिछले एक महीने से तीसरे मोर्चे के गठन की कवायद में जुटे हुए हैं। इस सिलसिले में चंद्रशेखर राव ने 10 मई को हैदराबाद में इन सभी नेताओं की औपचारिक बैठक बुलाई है। इस बैठक के लिए बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती को भी बुलाए जाने की संभावना है। तीसरे मोर्चे के गठन की दिशा में पहलकदमी कर रहे नेताओं की कोशिश भाजपा के असंतुष्ट नेताओं का समर्थन हासिल करने की भी है। इस सिलसिले में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और अरुण शौरी की ममता बनर्जी से मुलाकात हो चुकी है।

कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में डाला बड़ा प्रभाव

उमड़ती भीड़ से भाजपा परेशान
एल एस हरदेनिया - 2018-05-07 09:47
भोपालः कमल नाथ की भोपाल की यात्रा और उनके भव्य स्वागत ने मध्यप्रदेश की राजनीति में एक नया अध्याय खोल दिया है। उनके परिपक्व व्यवहार ने सत्तारूढ़ बीजेपी को यह महसूस करने के लिए मजबूर कर दिया है कि चुनौती असली है और यह आत्ममुग्ध होने का जोखिम नहीं उठा सकती।

विपक्षी एकता: विचारधारा की उलझनें

विपक्षी पार्टियों के पास मोदी-विरोध का कोई साझा मुद्दा नहीं
अनिल सिन्हा - 2018-05-05 10:37
दिल्ली के कंस्टीच्यूशन क्लब में 1 मई को लगी विपक्षी नेताओं की जमघट असरदार थी। कई पार्टियों ने इसमें हिस्सा लिया। समाजवादी अंादोलन के शीर्ष नेताओं में से एक मधु लिमये की जयंती पर आयोजित इस सभा का विषय भी मौके के मुताबिक ही था-प्रगतिशील ताकतों की एकता। मधु लिमये आरएसएस और भारतीय जनसंघ (भारतीय जनता पार्टी का पुराना संस्करण) के कट्टर विरेाधी तथा समाजवादी और साम्यवादी पार्टियां की एकता के हिमायती थे। हालांकि गैर-कांग्रेसवाद और इंदिरा गांधी के तीखे विरोध की राजनीति में वे आगे रहे, लेकिन अपनी धारा के वे शायद अकेले नेता थे जिन्होंने आरएसएस की राजनीति का उस समय इतना तीव्र विरोध किया था जब कोई उसे बड़ा खतरा मानने को तैयार नहीं था। वे हिंदुत्व को देश के लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा मानते थे। उन्होंने 1977 में सत्ता में आई जनता पार्टी के उन सदस्यों को आरएसएस की सदस्यता छोड़ने के लिए कहा था जो भारतीय जनसंघ के विलय के बाद पार्टी में आए थे।

विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का हर घर पहुंचने की योजना

मध्यप्रदेश के चुनावों में सोशल मीडिया पर रहेगा जोर
राजु कुमार - 2018-05-05 03:58
मध्यप्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ भाजपा ने आज से चुनावी शंखनाद कर दिया। भोपाल में आयोजित भाजपा के प्रदेश स्तरीय विस्तारित बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की। इसमें भाजपा के मंडल स्तरीय पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर अमित शाह ने पार्टी पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में भाजपा बहुत अधिक मार्जिन से जीत को सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि पार्टी के स्थानीय पदाधिकारी हर घर तक जाएं। प्रदेश में हर व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं की जानकारी पहुंचनी चाहिए और उनकी अपेक्षाएं पार्टी तक आनी चाहिए। उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस विभाजनकारी नीतियों पर चल रही है। कांग्रेस के लोग संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को अपमानित करने का काम कर रही है।

कांग्रेस एवं भाजपा के लिए प्रतिष्ठा बना कर्नाटक का चुनाव

पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा बन सकते हैं किंगमेकर
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-05-04 10:31
दक्षिण भारत के कर्नाटक में, जहां कांग्रेस सŸााधारी है, मई माह के दूसरे सप्ताह में होने जा रहे विधान सभा चुनाव क्षण प्रति क्षण रोचक बनते जा रहे है जहां देश के प्रमुख दो राष्ट्रीय राजनैतिक दल भाजपा एवं कांग्रेस आमने सामने है जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। वहां कांग्रेस अपनी सŸाा को बरकरार रखने के प्रयास में जी तोड़ मेहनत कर रही है वहीं भाजपा पूर्वोत्तर भारत की त्रिपुरा एवं मेघालय राज्य में अपना परचम लहराने के बाद दक्षिण भारत की प्रमुख विधान सभा क्षेत्र कर्नाटक पर अपना विजय पताका फहराकर यह साबित करने के अथक प्रयास में जुटी दिखाई दे रही है कि देश के चारो ओर उसी का सम्राज्य स्थापित हो चला है।

सीरिया और तुर्की में असुरक्षित अभिव्यक्ति

वैश्विक स्तर पर सिकुड़ती प्रेस की आजादी
प्रभुनाथ शुक्ल - 2018-05-03 16:07
अभिव्यक्ति की आजादी का सीधा सवाल प्रेस की स्वतंत्रता से जुड़ा है। जिस मुल्क में वैचारिक आजादी की स्वतंत्रता नहीं, वहां कभी सच्चे लोकतंत्र की स्थापना नहीं की जा सकती है। अभिव्यक्ति की स्वाधीनता न सिर्फ बोलने, लिखने की आजादी देता है बल्कि समता, समातना की स्थापना कर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में अहम भूमिका निभाती है। वैश्विक स्तर पर बदलते हालता प्रेस की आजादी पर सवाल खड़े करते हैं। मीडिया संस्थानों में अब निष्पक्ष तौर से काम करना जोखिम भरा हो गया है।