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कांग्रेस मुख्यमंत्रियों के चयन में एक परिवार की भूमिका

लोकतंत्र पर परिवारतंत्र का हावी होना राष्ट्रहित में कदापि नहीं
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-12-17 13:25 UTC
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम में तेलंगाना को छोड़ सत्ता विरोधी लहर के कारण राजस्थान छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश एवं मिजोरम राज्यों में सत्ता परिवर्तन तो हो गया पर राजस्थान, छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश में जहां कांग्रेस के पक्ष में जनमत आया वहां लोकतांत्रिक ढंग से नेतृृत्व का चयन न हो पाना लोकतंत्र पर परिवारतंत्र का हावी होना दर्शाता है, जिसे राष्ट्रहित में कदापि नहीं कहा जा सकता। राजस्थान, छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश में दल के नेता चुनने की प्रक्रिया में बुलाई गई विधायकों की बैठक में एक नाम पर सहमति नहीं बन पाने के कारण दल के नेता तय करने का मामला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के पास पहुंच गया जहां इस मसले पर निर्णय लेने में गांधी परिवार की भूमिका उभरती नजर आई।

मायावती की अधूरी हसरतों का अंत

विधानसभा चुनावों में लगा करारा झटका
अनिल जैन - 2018-12-15 16:38 UTC
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ के विधानसभा चुनाव नतीजों से बसपा सुप्रीमो मायावती की हसरतों को झटका लगा है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में बसपा चुनावी गठबंधन की कांग्रेस की पेशकश को ठुकरा कर अकेले बूते चुनाव मैदान में उतरी थी, जबकि छत्तीसगढ में उसने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की नवगठित पार्टी ‘जनता कांग्रेस छत्तीसगढ’ के साथ गठबंधन किया था। लेकिन उसे कहीं उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली। यही नहीं, तीनों राज्यों में वह न तो सीटों के लिहाज से और न ही प्राप्त वोट-प्रतिशत के लिहाज से पिछले चुनावों के अपने प्रदर्शन को दोहरा सकीं। राजस्थान में उसे 3.0 फीसद वोटों के साथ छह सीटें, छत्तीसगढ में 3.9 फीसद और दो सीटें और मध्य प्रदेश में 5 फीसद वोटों के साथ दो सीटें हासिल हुई हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश में यह उसका अब तक का सबसे कमजोर प्रदर्शन है।

राजस्थान में गुज्जरों की हिंसा

क्या भारत एक जातिवादी लोकतंत्र बन गया है?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-12-14 13:38 UTC
सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए राजस्थान में जो हिंसा हुई है, वह अभूतपूर्व है। हिंसा भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए कोई नई घटना नहीं है। अपनी मांगों के समर्थन में और सरकार के किसी फैसले के खिलाफ हिंसक आंदोलन खूब होते रहे हैं। आरक्षण के मसले पर अबतक शायद सबसे ज्यादा हिंसा हुई है। राजस्थान में भी इस तरह की हिंसा खूब हुई है। ओबीसी आरक्षण के लिए वहां जाट हिंसक आंदोलन किया करते थे। इसमें वे सफल भी हुए और वहां के दो जिलों को छोड़कर अन्य सभी जिलों के जाट अब ओबीसी हैं। फिर गुज्जरों की हिसा होने लगी। जाटों के ओबीसी में शामिल होने के कारण उनके लिए उस श्रेणी में जाटों से प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो गया। तो फिर गुज्जरों ने अपनी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करवाने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया। उनके आंदोलन कई बार हुए। उसमें कई लोग मारे गए। सार्वजनिक संपत्ति का भारी नुकसान हुआ। सड़कों को जाम किया गया और रेलगाड़ियों को रोका गया। गुज्जरों के आंदोलन के विरोध में मीणा समुदाय भी सड़क पर आ गया। वह वहां पहले से ही अनुसूचित जाति में शामिल हैं और उन्हें यह मंजूर नहीं कि गुज्जर भी उनकी श्रेणी में आ जाय। समय समय पर राजपूतों और ब्राह्मणों ने भी ओबीसी में शामिल होने के लिए आंदोलन किए।

उत्तर प्रदेश में गठबंधन बनाने के लिए मायावती का कांग्रेस को समर्थन

कांग्रेस की जीत ने विपक्षी एकता को एक नई जिंदगी दी
प्रदीप कपूर - 2018-12-13 12:35 UTC
लखनऊः बीएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस के लिए अपनी पार्टी के समर्थन की घोषणा करने से 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ यूपी में भावी गठबंधन के आकार के बारे में कुछ संकेत उभर रहे हैं।

तीन राज्यों में भाजपा ने खो दी सरकार

क्या केन्द्र में फिर आ पाएगी अब मोदी सरकार?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-12-12 11:05 UTC
तीन हिन्दी प्रदेशों में भाजपा को मिली हार अप्रत्याशित नहीं है। पिछले कुछ समय से देश का राजनैतिक माहौल कुछ ऐसा बन रहा था, जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी का सितारा गर्दिश में जाता प्रतीत हो रहा था। यह सच है कि नोटबंदी और जीएसटी की यादों से लोग मुक्त हो चुके थे, लेकिन एससी/एसटी एक्ट के कारण देश की अधिसंख्य आबादी के लोग भाजपा सरकार से बहुत नाराज हो गए थे। भाजपा के लिए सबसे अधिक चिंता की बात यह थी कि नाराज होने वाले लोगों में वे ही लोग ज्यादातर थे, जो उन्हें सत्ता में लाया करते थे।

विवादों से नहीं होगा महिला क्रिकेट का भला

कैसे होगी महिला क्रिकेट की साख को पहुंचे नुकसान की भरपाई?
योगेश कुमार गोयल - 2018-12-11 19:49 UTC
टी-20 विश्व कप के बाद भारतीय महिला क्रिकेट टीम के प्रशिक्षक रहे रमेश पोवार और एकदिवसीय महिला टीम की कप्तान तथा भारतीय महिला टीम की सबसे सफल बल्लेबाज मिताली राज के बीच मिताली को टीम से बाहर रखे जाने और बार-बार अपमानित किए जाने के आरोपों के चलते पिछले दिनों विवाद इतना गहराया कि कोच की विदाई करनी पड़ी। चूंकि इस विवाद के तूल पकड़ने के बाद सीधे तौर पर भारतीय महिला क्रिकेट को नुकसान पहुंचा, इसलिए बीसीसीआई तक यह मामला पहुंचने के बाद जिस प्रकार मामले को शांत करने के लिए पोवार का 30 नवम्बर को टीम का कोचिंग करार खत्म होते ही उनकी छुट्टी कर दी गई, उसके लिए बीसीसीआई की सराहना करनी होगी।

कौन हैं भारतीय संविधान के निर्माताः भीमराव अम्बेडकर या राजेन्द्र प्रसाद?

उपेन्द्र प्रसाद - 2018-12-11 19:45 UTC
पिछले तीन दिसंबर को भारत के पहले राष्ट्रपति संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅक्टर राजेन्द्र प्रसाद की जयंती मनाई गई। उस दिन सोशल मीडिया पर यह चर्चा जोरों पर रही कि भारत के संविधान निर्माता देश रत्न डाॅक्टर राजेन्द्र प्रसाद थे, क्योंकि संविधान का निर्माण जिस संविधान सभा ने किया था, उसके अध्यक्ष डाॅक्टर प्रसाद ही थे। और जिस व्यक्ति ने संविधान के निर्माण का नेतृत्व किया हो, उसी व्यक्ति को हम संविधान निर्माता कह सकते हैं किसी और को नहीं।

बुलंदशहर में पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या देश के लिए अशुभ संकेत

अनिल जैन - 2018-12-08 10:28 UTC
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जहां अपनी हर सभाओं में ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाते हुए काल्पनिक किस्सों और मनगढंत तथ्यों के सहारे देश के महान स्वाधीनता सेनानियों और राष्ट्रनायकों को अपमानित करते हैं और अपने राजनीतिक विरोधियों के लिए गाली-गलौच वाली शब्दावली का इस्तेमाल करते हैं, वहीं दूसरी ओर नीचे के स्तर पर सत्ता का संरक्षण प्राप्त लफंगों की बेलगाम फौज ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए कभी गोरक्षा के नाम पर, कभी तिरंगे के कथित अपमान के नाम पर तो कभी तथाकथित लव जिहाद और कभी बच्चा चोरी की अफवाह पर किसी भी बेगुनाह को सरेआम पीट देती है या उसे मौत के घाट उतार देती है। कभी-कभी तो बलात्कारियों और दूसरे अपराधियों को बचाने के लिए भी इन नारों का इस्तेमाल होता है। इस सिलसिले में ताजा मामला पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का है।
भोपाल गैस त्रासदी के 34 साल

हवा में जहर अंदर भी और बाहर भी

श्वास रोगों से जूझते भोपाल गैस पीड़ित
राजु कुमार - 2018-12-07 15:58 UTC
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अब हर 2-3 दिसंबर को एक रस्म अदायगी होती है। चारों ओर बस एक ही चर्चा भोपाल गैस त्रासदी का। लेकिन 34 साल बाद भी उस हादसे से जूझते लोगों और उनके लिए संघर्ष कर रहे संगठनों के लिए हर रोज संघर्ष का दिन होता है। एक ओर गैस पीड़ित परिवार बीमारियों से जूझते हुए लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के शिकार बन रहे हैं, तो दूसरी ओर गैस पीड़ितों के लिए बने संगठन न्याय की आस में कानूनी लड़ाइयां रह रहे हैं। मुश्किल दौर से गुजर रहे गैस पीड़ितों को अब समाज के अन्य तबके से कम सहयोग मिल रहा है, ऐसे में उनका दर्द कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है।

मतदान के बाद मध्यप्रदेश में बढ़ेंगे तनाव

ईवीएम सुरक्षा और निर्वाचन आयोग की मनमानी का डर
एल एस हरदेनिया - 2018-12-07 10:21 UTC
भोपालः चुनाव अभियान के दौरान मध्य प्रदेश में जितना तनाव रहा, उससे ज्यादा तनाव मतदान संपन्न होने के बाद पैदा हो रहा है। ईवीएम सुरक्षा और चुनाव अधिकारियों की भूमिका को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं और पीड़ित कार्ड खेलकर राजनैतिक परिदृश्य खराब करती रहीं है। पीड़ितों में से मुख्यमंत्री शिव राज सिंह चौहान भी शामिल हैं। वो तो चुनाव आयोग को अमानवीय कहने की सीमा तक चले गए हैं।