Loading...
 
Skip to main content

View Articles

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम पर अटकलों का बाजार गर्म

राजु कुमार - 2018-12-06 10:27 UTC
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव हुए हफ्ते भर बीत गए। परिणाम आने में अभी भी हफ्ते भर का समय है। इस बीतते दिनों के साथ अटकलों की हांडी ज्यादा गरम होती जा रही है। परिणाम चाहें जो हो, लेकिन चारों ओर बस यही शोर, किसकी बन रही है सरकार - कांग्रेस या भाजपा की? बात यही से शुरू होती है - क्या खबर है? क्या लग रहा है? क्या सीन बन रहा है? "खबर", "लगना" व "सीन बनने" के सबके अपने दावे या प्रति दावे हैं, सबके अपने अनुभव हैं, सबके अपने गणित हैं और सबके अपने तर्क हैं।

उत्तर प्रदेश में थी भारी दंगे की साजिश

उपेन्द्र प्रसाद - 2018-12-06 10:19 UTC
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने भी यह बता दिया है कि बुलंदशहर में गोवंश की हत्या का मामला एक बड़ी सजिश का हिस्सा था और वह कानून-व्यवस्था बिगड़ने का कोई साधारण मामला नहीं था। पुलिस प्रमुख के उस बयान के बाद अब यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि कुछ देश और समाज विरोधी तत्व भारी पैमाने पर दंगा करवाना चाहते थे और उसके लिए ही गौहत्या का ताना बाना बुना गया था। यह तो स्थानीय पुलिस और उसके प्रमुख शहीद सुबोध कुमार सिंह की दुरदर्शिता थी कि उत्तर प्रदेश एक भारी खून खराबे से बच गया। वह खून खराबा आजाद भारत का सबसे बड़ा खून खराबा भी हो सकता था, क्योंकि बुलंदशहर जिले के ही एक छोर पर तीन दिनों का मुस्लिम इज्तेमा संपन्न हुआ था, जिसमें कम से कम 10 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था, वैसे उसमें हिस्सा लेने वालों का एक अनुमान 50 लाख भी है।

तेलंगाना विधानसभा चुनावः मुस्लिम मतदाता बनेंगे किंगमेकर

योगेश कुमार गोयल - 2018-12-05 11:04 UTC
देश के सबसे युवा राज्य तेलंगाना में 7 दिसम्बर को विधानसभा की सभी 119 सीटों के लिए कुल 1761 उम्मीदवार मैदान में हैं। सत्तारूढ़ दल तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सहित कांग्रेस गठबंधन और भाजपा ने मतदाताओं के हर वर्ग को लुभाने के लिए हर वो पासा फेंकने का भरसक प्रयास किया है, जिससे उनके पक्ष में हवा बह सके। किसी भी पार्टी के लिए इस राज्य में मुस्लिम मतदाताओं का अत्यधिक महत्व है, यही कारण है कि हर दल मुस्लिम वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। कांग्रेस जहां छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में ‘सॉफ्ट हिन्दुत्व’ की रणनीति अपनाती नजर आई, वहीं उसे तेलंगाना में खुलकर मुस्लिम कार्ड खेलना पड़ रहा है। दरअसल तेलंगाना में करीब 13 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जो यहां की करीब 40 फीसदी सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करने में अहम भूमिका निभाएंगे और निश्चित रूप में सरकार के गठन में मुस्लिम मतदाताओं भूमिका किंगमेकर की होगी।

राहुल गांधी की जनेऊ-गोत्र राजनीति

क्या भारतीय राजनीति का हिन्दुत्वकरण हो चुका है?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-12-04 10:27 UTC
जनेऊ दिखाने के बाद राहुल गांधी ने देश और दुनिया को अपना गोत्र भी आखिर बता ही दिया। भारतीय जनता पार्टी के नेता उनसे उनका गोत्र पूछ रहे थे। अपने तरीके से राहुल ने उन्हे बता दिया कि उनका गोत्र दत्तात्रेय है। जब वे मंदिरों का भ्रमण कर रहे थे, तो उनकी धार्मिक आस्था पर सवाल खड़े किए जा रहे थे। उनकी जाति को लेकर भी सवाल किए जा रहे थे। तब राहुल ने दुनिया का यह दिखा दिया कि वे जनेऊधारी ब्राह्मण हैं। जाति के बाद गोत्र पूछा जाना भी स्वाभाविक था, क्योंकि धार्मिक अनुष्ठान में पुरोहित अपने जजमान का गोत्र भी पूछता है और बिना गोत्र बताए कोई हिन्दू धार्मिक कर्मकांड नहीं कर सकता।

भोपाल गैस त्रासदी के 34 साल

अभी भी अनुत्तरित हैं सारे सवाल
अनिल जैन - 2018-12-03 11:10 UTC
दिसंबर 1984 के पहले सप्ताह में यूनियन कार्बाइड के कारखाने से निकली जहरीली गैस (मिक यानी मिथाइल आइसो साइनाइट) ने अपने-अपने घरों में सोए हजारों को लोगों को एक झटके में हमेशा-हमेशा के लिए सुला दिया था। जिन लोगों को मौत अपने आगोश में नहीं समेट पाई थी वे उस जहरीली गैस के असर से मर-मर कर जिंदा रहने को मजबूर हो गए थे। ऐसे लोगों में कई लोग तो उचित इलाज के अभाव में मर गए और और जो किसी तरह जिंदा बच गए उन्हें तमाम संघर्षों के बावजूद न तो आज तक उचित मुआवजा मिल पाया है और न ही उस त्रासदी के बाद पैदा हुए खतरों से पार पाने के उपाय किए जा सके हैं। अब भी भोपाल में यूनियन कारबाइड कारखाने का सैंकडों टन जहरीला मलबा उसके परिसर में दबा या खुला पडा हुआ है। इस मलबे में कीटनाशक रसायनों के अलावा पारा, सीसा, क्रोमियम जैसे भारी तत्व है, जो सूरज की रोशनी में वाष्पित होकर हवा को और जमीन में दबे रासायनिक तत्व भू-जल को जहरीला बनाकर लोगों की सेहत पर दुष्प्रभाव डाल रहे हैं। यही नहीं, इसकी वजह से उस इलाके की जमीन में भी प्रदूषण लगातार फैलता जा रहा है और आसपास के इलाके भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। मगर न तो राज्य सरकार को इसकी फिक्र है और न केंद्र सरकार को।
विश्व दिव्यांग दिवस 3 दिसंबर पर विशेष

आखिर कैसे आत्मनिर्भर बन पायेंगे देश में दिव्यांगजन?

हम उनके प्रति दया या तिरस्कार का भाव न रखें
रमेश सर्राफ - 2018-12-01 09:50 UTC
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1992 में अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के रूप में 3 दिसम्बर का दिन तय किया गया था। इस दिवस को समाज और विकास के सभी क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देना और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में दिव्यांग लोगों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। दिसम्बर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकलांगों को ‘दिव्यांग’ कहने की अपील की थी, जिसके पीछे उनका तर्क था कि किसी अंग से लाचार व्यक्तियों में ईश्वर प्रदत्त कुछ खास विशेषताएं होती हैं। तब से भारत में हर जगह विकलांग के स्थान पर दिव्यांग शब्द प्रयुक्त होने लगा है।

क्या हनुमानजी दलित थे?

देवताओं को जातियों में बांट रहे हैं योगीजी
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-11-30 10:09 UTC
राजस्थान में एक चुनावी भाषण में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने हनुमानजी को दलित बताकर अपने आपको प्रहसन का पात्र बना लिया है। योगी देश की सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री ही नहीं हैं, बल्कि खुद एक संन्यासी हैं और धार्मिक प्रवचन देने में वे सिद्धहस्त माने जाते हैं। वे राजनीति में हैं और राजनैतिक भाषण करने का भी उनका लंबा अनुभव है और कहने की जरूरत नहीं कि वे एक अच्छे वक्ता भी हैं। यही कारण है कि देश में जहां कहीं भी चुनाव होता है, तो भारतीय जनता पार्टी की तरफ से उन्हें स्टार प्रचारक के रूप में वहां भेजा जाता है। सच तो यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद वे भारतीय जनता पार्टी के दूसरे सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं।

कश्मीर में राज्यपाल शासन

सत्ता सबको चाहिए, लोकतंत्र किसी को नहीं
अनिल जैन - 2018-11-29 10:41 UTC
अब इस हकीकत से कोई इनकार नहीं कर सकता कि कश्मीर का मसला अपनी विकृति की चरम अवस्था में पहुंच गया है। मौजूदा सरकार, शासक दल और राज्यपाल के साथ ही सूबे की राजनीति को प्रभावित करने वाले तमाम राजनीतिक दलों के तेवरों को देखते हुए इस स्थिति का कोई तुरत-फुरत हल दिखाई नहीं देता। केंद्र सरकार ने पिछले साढे चार वर्षों के दौरान कश्मीर को लेकर जितने भी प्रयोग किए है, उससे तो मसला सुलझने के बजाय इतना ज्यादा उलझ गया है कि कश्मीर अब देश के लिए समस्या नहीं रहा बल्कि एक गंभीर प्रश्न बन गया है। वैसे यह प्रश्न बीज रूप में तो हमेशा ही मौजूद रहा लेकिन इसे विकसित करने का श्रेय उन नीतियों और फैसलों को है, जो अंध राष्ट्रवाद और संकुचित लोकतंत्र की देन हैं। इस सिलसिले में केंद्र में अलग-अलग समय पर रहीं अलग-अलग रंग की सरकारें ही नहीं, बल्कि सूबाई सरकारें भी बराबर की जिम्मेदार रही हैं।

उत्तर प्रदेश में विभाजित आरक्षण कार्ड

क्या हो पाएगा भाजपा को लाभ?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-11-28 13:48 UTC
पिछले तीन दशकों से आरक्षण भारतीय राजनीति का सबसे ज्वलंत मुद्दा रहा है। इसके कारण अनेक सरकारें गिरी हैं और अनेक सरकारें गिरी हैं। राजनैतिक दल इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते रहे हैं और उनको फायदा होता भी रहा है। उत्तर प्रदेश में यह आने वाले समय में एक बार फिर राजनीति को प्रभावित करने वाला सबसे प्रमुख मसला बनने वाला है। भले लोग कहें कि राम मंदिर सबसे बड़ा मसला होगा और भारतीय जनता पार्टी इसी मसले की राजनीति करके फिर से सत्ता हासिल करना चाहेगी, लेकिन अतीत में यह साबित हो चुका है कि राममंदिर एक स्तर तक ही भाजपा को फायदा पहुंचा पाती है और वह स्तर उसे सत्ता में नहीं पहुंचा पाता। इसलिए मंदिर के अलावा जो अन्य प्रमुख मसला उसके सामने है वह है आरक्षण।

मध्य प्रदेश चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भी है भूमिका

योगेश कुमार गोयल - 2018-11-27 10:14 UTC
देश के जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, उनमें सर्वाधिक महत्व मध्य प्रदेश का माना जा रहा है क्योंकि इन पांच राज्यों में सर्वाधिक 230 विधानसभा सीटें और सबसे ज्यादा 29 लोकसभा सीटें इसी राज्य में हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में पांच करोड़ मतदाता 2907 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे, जिनमें 1102 निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं।