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ट्रंप आउटसोर्सिंग रोकने की अपनी जिद पर अड़े

पूर्वी भारतीय कंपनियों को अपना बिजनेस माॅडल बदलना पड़ेगा
कल्याणी शंकर - 2017-03-08 11:50 UTC
भारत की सिल्कन वैली बंगलुरु और हैदराबाद की साइबर सिटी, जिनमें भारत के बड़ी आईटी कंपनियों के ठिकाने हैं, इस समय अनिश्चितता और आशंका से कांप रही हैं। इसका कारण अमेरिका के टंªप प्रशासन द्वारा एच1-बी वीजा को रोक दिया जाना है। भारत के साॅफ्टवेयर उद्योग की हालत पहले से ही पतली चल रही रही है और उसका मुनाफा लगातार गिरता जा रहा है। उसके साथ साथ टंªप प्रशासन का फैसला उसके ऊपर और भी भारी पड़ता जा रहा है।

अमेरिका और चीन में व्यापार युद्ध की आशंका

भारत को इसका लाभ उठाना चाहिए
सुब्रत मजुमदार - 2017-02-03 12:45 UTC
एक कहावत है कि जब अमेरिका छींकता है, तो पूरी दुनिया को जुकाम हो जाता है। अब जब अमेरिकी राष्ट्रपति अमेरिका प्रथम और अमेरिकी खरीदें व अमेरिकी को रोजगार दें, तो चीन को कंपकंपी आ रही है। चीन निर्यातोन्मुख देश है और उसके विकास का इंजिन अमेरिका है। चीन का डर उस समय सामने आया, जब चीन के राष्ट्रपति शीपिंग ने कहा कि मैं इस बिन्दु को सामने रखना चाहता हूं कि दुनिया की समस्याओं के लिए भूमंडलीकरण जिम्मेदार नहीं है।

ओबामा काल में भारत अमेरिकी संबंध के स्वर्णिम साल

क्या ट्रंप सिलसिले को तोड़ देंगे?
कल्याणी शंकर - 2017-01-18 11:14 UTC
पिछले मंगलवार को ओबामा ने अपने 8 साल के कार्यकाल को पूरा करने के बाद एक भाव विह्वल भाषण दिया। 8 साल पहले जब वे राष्ट्रपति के पद पर बैठे थे, तो उनके अपने देश और भारत समेत दुनिया के अन्य देशों की उनसे अनेक अपेक्षाएं थीं। अब जब वे अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं तो यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत की अपेक्षाओं पर उनका कार्यकाल कितना खरा उतरा।

शंघाई सहयोग संगठन का शिखर सम्मेलन

भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है
नित्या चक्रबर्ती - 2017-01-06 11:06 UTC
शंघाई सहयोग संगठन की पूर्ण सदस्यता प्राप्ति की सारी प्रकिया पूरी हो जाने के बाद होने वाले शिखर सम्मेलन में भारत को पूरी ताकत के साथ उसमें हिस्सा लेना चाहिए। वह शिखर सम्मेलन इस साल के बीच में होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह एक बहुत अच्छा अवसर प्रदान करता है और इसका इस्तेमाल कर वे यूरेशिया क्षेत्र में भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकते हैं। संगठन के सदस्य देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जा सकता है।

ट्रंप की जीत का श्रेय हिलेरी को ही मिलना चाहिए

सांडर्स को गलत तरीके से पराजित करना डेमोक्रेट पर भारी पड़ा
उपेन्द्र प्रसाद - 2016-11-12 10:56 UTC
डोलाल्ड ट्रंप की अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हुई जीत से दुनिया भर और खुद अमेरिका के अनेक लोग हैरान हैं। वे लोग ट्रंप की जीत की उम्मीद नहीं कर रहे थे और उनकी जीत की आशंका से डर भी रहे थे, क्योंकि राष्ट्रपति उस उम्मीदवार की कुछ बातें लीक से हटकर थीं। ट्रंप अमेरिका में दूसरे देशों के मुसलमानों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की बात कर रहे थे। इराक में शहीद हुए एक अमेरिकी मुस्लिम जवान के परिवार के साथ बहुत ही क्रूरता से पेश आए थे। महिलाओं के प्रति भी वे कुछ असम्मानजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को वे एक नाटक बता रहे थे। अमेरिकी युवकों की बेरोजगारी के लिए वे आउटसोर्सिंग को जिम्मेदार बता रहे थे और राष्ट्रपति बनने पर उसपर रोक लगाने की घोषणा कर रहे थे। वे मुक्त व्यापार को अमेरिकी हितों के खिलाफ बोल रहे थे। जापान को अमेरिका द्वारा दी जा रही सुरक्षा का भी वे मजाक उड़ा रहे थे और कह रहे थे कि यदि जापान पर कोई हमला होगा, तो अमेरिकी सेना उसे बचाने जाएगी और जब अमेरिका पर हमला होगा, तो जापान के लोग अपने घरों में बैठकर सोनी टीवी देखेंगे। चीन के बारे में भी वे कुछ ऐसी बातें कर रहे थे, जिससे लगता था कि उनके राष्ट्रपति बनने से उस देश के साथ भी संबंध खराब होंगे। पाकिस्तान को वे दुनिया का सबसे खतरनाक देश बता रहे थे। भारत के अनेक लोगों को डर लग रहा था कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद आउटसोर्सिंग पर नियंत्रण लगेगा और भारत में उसका खराब असर पड़ेगा। अमेरिका में आ रहे विदेशी लोगों के प्रति भी उनके विचार अच्छे नहीं थे।

डोनाल्ड ट्रंप मानवता के लिए खतरा

इसे लेकर भारत को कोई भ्रम नहीं पालना चाहिए
नित्य चक्रबर्ती - 2016-11-05 09:13 UTC
अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 8 नवंबर को मतदान होंगे। यह चुनाव अमेरिकी इतिहास का सबसे घिनौने चुनाव प्रचार का साक्षी रहा है। मतदाताओं में 10 लाख से भी ज्यादा लोग भारतीय मूल के हैं। चुनाव में मुख्य मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन और रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच है, हालांकि दो अन्य उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं।

अगले कदम को लेकर पाकिस्तान संशय में

नवाज शरीफ को पीछे कर सेना प्रमुख ने कमान संभाली
अमूल्य गांगुली - 2016-10-05 11:13 UTC
पाकिस्तान को हमेशा भारत की तरफ से अपने अस्तित्व पर खतरा मंडराता दिखाई देता है। भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के कारण वह सदमे में है और उसे वह खतरा सच होता दिखाई दे रहा है।

संकट मे दक्षेस: पाकिस्तान नहीं जाएंगे मोदी

उपेन्द्र प्रसाद - 2016-09-28 11:46 UTC
आगामी नंवबर महीने में हो रहे दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन के पाकिस्तान में होने वाले शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नहीं शामिल होने की घोषणा के बाद दक्षिण एशिया के इस क्षेत्रीय सहयोग संगठन के भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है। भारत की घोषणा के बाद बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भूटान ने भी उसके बहिष्कार के संकेत दे डाले हैं। इस संगठन में इस समय कुल 8 सदस्य हैं और उनमें चार यदि उसका बहिष्कार कर दें, तो फिर शिखर बैठक का कोई मतलब ही नहीं रह जाता है।

समूह-20 शिखर सम्मेलन: कोई ठोस योजना उभर कर सामने नहीं आई

सुब्रत मजूमदार - 2016-09-09 06:47 UTC
हांगझाउ में समूह-20 के देशों का शिखर सम्मेलन संपन्न हो गया, लेकिन इसके नतीजे निराशाजनक हैं। इस समूह की स्थापना दुनिया के दो वित्तीय संकट के बाद हुई थी। जाहिर है, वित्तीय और आर्थिक संकटों से उबरने के लिए इसका गठन किया गया। पहला संकट 1997 का करेंसी संकट था और दूसरा संकट लेहमान को 2008 में लगा झटका था, जिसके कारण पूरी दुनिया में ही आर्थिक संकट शुरू हो गया था। उसके बाद ही समूह-20 अस्तित्व में आया।

काबुल में गोरखा की मौत से नेपाल परेशान

कनाडा दूतावास के रवैये पर आपत्ति
आशीष बिश्वास - 2016-06-29 13:02 UTC
नेपाल के राजनीतिज्ञ कनाडा सरकार की आलोचना कर रहे हैं। इसका कारण काबुल में हुए एक आत्मघाती हमले में 14 गोरखा जवानों की मौत है। उस मौत को नेपाल कनाडा की लापरवाही का परिणाम बता रहे हैं।