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मुजफ्फरपुर बलात्कार गृह, नीतीश के पाखंड का पर्दाफाश

उपेन्द्र प्रसाद - 2018-08-03 11:28 UTC
मुजफ्फरपुर की एक बालिका गृह में रह रही 44 बच्चियों में से कम से कम 34 बच्चियों के साथ बलात्कार का मामला सामने आया है। वह बालिका गृह एक एनजीओ चलाता है, लेकिन उसे राज्य की नीतीश सरकार से 34 लाख रुपये सालाना उस गृह के रखरखाव और बच्चियों पर खर्च करने के लिए मिलते हैं। उसमें उन बच्चियों को रखा जाता है, जो अपने मां-बाप से बिछुड़कर सड़कों या रेलवे स्टेशनों पर भटकती हुई पुलिस को मिलती हैं। उनके मां- बाप को उन्हें सौंपने तक उन बच्चियों को पुलिस मुजफ्फरपुर की कथित बालिका गृह जैसे संस्थानों को सुपुर्द कर देती है। कहने को तो सामाजिक कार्यों में लगे लोग उस तरह के अस्थाई शेल्टर होम चलाते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में पैसे सरकार के ही खर्च होते हैं।

सूबाई नेताओं की अखिल भारतीय महत्वाकांक्षा

राहुल की राह आसान नहीं
अनिल जैन - 2018-08-02 10:38 UTC
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने यह कह कर सबको चैंका दिया था कि अगर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलता है या वह सबसे बडी पार्टी बनकर उभरती है तो वे प्रधानमंत्री बनने को तैयार हैं। कांग्रेस कुछ नेता तो इस आशय का बयान पहले से ही देते आ रहे थे, लेकिन उन्हें कोई गंभीरता से नहीं ले रहा था। लेकिन राहुल के बयान की जहां नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी ने खिल्ली उडाई थी, वहीं कांग्रेस के ही कई संभावित सहयोगी दलों ने भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया जताई थी। इसके बावजूद कांग्रेस की ओर से कहा जाता रहा कि राहुल ही प्रधानमंत्री होंगे।

असम में नागरिक रजिस्टर को लेकर मचा बवाल

तो क्या असम को बांग्लादेशियों का गढ़ बन जाने दें?
योगेश कुमार गोयल - 2018-08-01 09:49 UTC
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की 30 जुलाई को जारी दूसरी सूची के बाद इसमें करीब चालीस लाख लोगों के नाम न होने को लेकर राजनीति गर्मा गई है। एनआरसी की वर्तमान सूची के अनुसार 28938677 लोगों की नागरिकता की पुष्टि हुई है जबकि 4052703 लोग एनआरसी से बाहर हैं।

2019 चुनाव में दक्षिण भारत

महागठबंधन की संभावनाएं धूमिल
अनिल सिन्हा - 2018-07-31 16:44 UTC
साल 2019 में हो रहे लोकसभा चुनावों में दक्षिण भारत के राज्यों में मतदाता का क्या रूख होगा, इसका अंदाजा लगाना बड़े-बड़े चुनाव-पंडितों के लिए भी मुश्किल है। अभी जो हालात हैं वे यही बताते हैं कि वहां ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस महागठबंधन नहीं बना पाएगी और भाजपा को भी करीब-करीब अकेले ही चुनाव में जाना पड़ेगा। सिर्फ कर्नाटक में कांग्रेस महागठबंधन बनाने में कामयाब हो सकती है। बाकी जगह अकेले या छोटे गठबंधनों से ही उसे काम चलाना पड़ेगा।

पाक का ताज अपने आप में एक राज

फिर भी नये दौर का स्वागत
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-07-30 13:35 UTC
पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान में हुये आम चुनाव में जो परिणाम सामने आये है जिसमें 26/11 के हमले के मास्टर माइंड आतंकी हाफिज सईद की पार्टी मुस्लिम लिग को वहां की अवाम ने बिल्कुल नकार कर यह साबित करने का भरपूर प्रयास किया है कि वह भी खून खराबे से दूर रहकर अमन चैन चाहती है। गौरतलब हो कि हाफिज ने पाक के आम चुनाव में अपने 265 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे।

राहुल गांधी को सोच बदलनी होगी

अब वे पप्पू नहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष है
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-07-28 11:37 UTC
संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान विपक्षी नेता कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार की नीतियों प्रर प्रहार करते हुए अपने भाषण के अंतिम दौर में भावना में बहकर जो भाव व्यक्त करते हुये कहा कि प्रधानमंत्री जी! मैं आज भी आपके लिये पप्पू हूं ,कल भी रहूंगा मेंरे दिल में सभी के लिये प्यार है, नफरत नहीं ! कांग्रेस सदा प्यार लुटाना जानती है , अपनी सीट छोड़ आगे बढ़े और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गले लगाया । इस प्रसंग का जिस तरीके से संसद में सत्ता पक्ष की ओर से परिहास किया गया एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस भाव भंगिमा से इस परिवेश पर नाटकीय मुद्रा में अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करते हुये पूरे संसद में मजाक उड़ाया तथा संसद अध्यक्ष ने भी इसे संसद की गरिमा के विपरीत माना। यह एक विचारणीय मुददा बन गया है।

क्यों उठ रहे हैं राफेल सौदे पर गंभीर सवाल?

योगेश कुमार गोयल - 2018-07-28 11:34 UTC
राफेल एक फ्रांसीसी कम्पनी ‘दसाल्ट एविएशन’ द्वारा निर्मित दो इंजन वाला मध्यम मल्टी रोल काॅम्बैट एयरक्राफ्ट (एम.एम.आर.सी.ए.) है। इस विमान में कई ऐसी विशेषताएं हैं, जो इसे विश्व का बेहतरीन लड़ाकू विमान बनाने के लिए पर्याप्त हैं। यह हवाई हमला, वायु वर्चस्व, जमीनी समर्थन, भारी हमला, परमाणु प्रतिरोध इत्यादि कई प्रकार के कार्य बखूबी करने में सक्षम है। इसकी टैक्नोलाॅजी बेहतरीन है। यह परमाणु मिसाइल ले जाने में भी सक्षम है। भारत के लिए इसे इसलिए भी महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इस तरह के विमान अभी तक पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान के पास भी नहीं हैं।

संकट में हैं भारत के बैंक

क्या मोदी सरकार इन्हें दूर कर पाएगी?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-07-26 10:52 UTC
भारत के बैंको के सामने जो संकट हैं, वे संकट यदि किसी पश्चिमी देश में होते तो उसकी बैंकिंग व्यवस्था इतनी चुनौतियों के बीच ढह जाती, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था या कहिए समाज में ही एक अस्थिरताकारी ताकत है, जिसके कारण बड़ा से बड़ा संकट भी हमें अस्थिर नहीं कर पाते। समस्याग्रस्त भारतीय बैंकों को इसी का लाभ मिल रहा है और इस बीच यह हमारे नीति निर्माताओं के विवेक और अर्थकौशल पर यह निर्भर करता है कि बैंको के सामने खड़े अभूतपूर्व संकट को वह कैसे दूर करें।

पीछा करता विपक्ष और भागती सरकार

सरकार में बैठे लोग अपने को गिरा हुआ दिखाने से नहीं बच सके
अनिल जैन - 2018-07-25 12:21 UTC
लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के गिरने पर शायद ही किसी को हैरानी हुई होगी। जिन विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस दिए थे, उन्हें भी यह गलतफहमी कतई नहीं थी कि उनके प्रस्ताव से सरकार गिर जाएगी। इसके बावजूद सत्ताधारी खेमे में अविश्वास प्रस्ताव के पेश होने से लेकर उस पर मत-विभाजन होने तक जिस तरह की बेचैनी और बदहवासी तथा बहस के दौरान जो बौखलाहट दिखाई दी, वह हैरान करने वाली रही। इससे भी ज्यादा हास्यास्पद और हैरान करने वाला वह मुदित और आनंदित भाव रहा जो अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद सत्तापक्ष के महारथियों और रथियों के चेहरे पर तैरता दिखा।

नौ लाख पेड़ों की कमी से जूझ रही है दिल्ली

स्वस्थ जीवन के लिए कम होती प्राणवायु
योगेश कुमार गोयल - 2018-07-24 10:56 UTC
दिल्ली सरकार द्वारा यह तर्क देते हुए राजधानी में पेड़ काटने के सभी आदेश हालांकि रद्द किए जा चुके हैं कि पेड़ काटने के नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) द्वारा भी दक्षिणी दिल्ली की कालोनियों के पुनर्विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई पर अस्थायी रोक लगाई जा चुकी है तथा दिल्ली हाईकोर्ट ने भी 26 जुलाई तक पेड़ों की कटाई पर रोक लगाते हुए सरकार से सवाल किए हैं कि क्षतिपूरक वनीकरण नीति के तहत लगाए जाने वाले 10 छोटे पौधे एक बड़े पेड़ की बराबरी कैसे कर सकते हैं? कड़ी फटकार लगाते हुए हाईकोर्ट द्वारा दो टूक शब्दों में कहा गया है कि दक्षिणी दिल्ली की सरकारी आवासीय कालोनियों के पुनर्निर्माण के नाम पर 16500 पेड़ों को काटने का प्रस्ताव इस शहर को मरने के लिए छोड़ देने जैसा है।