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अमित शाह का ‘मिशन केरल’ एक फ्लॉप शो

पार्टी की राज्य ईकाई में गुटबंदी का दबदबा
पी श्रीकुमारन - 2018-07-11 09:36 UTC
तिरुअनंतपुरमः बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का बहुप्रचारित केरल मिशन निराशाजनक रूप से फ्लॉप हो गया है। राज्य में बीजेपी का संकट बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा पूर्व राज्य प्रमुख कुमानमान राजशेखरन को हटाकर उन्हें मिजोरम का गवर्नर बनाकर राज्य की राजननीति से दूर करने के कारण हुआ है, हालांकि वैसा इसलिए किया गया था ताकि पार्टी की गुटबंदी समाप्त हो।

जयपुर में प्रधानमंत्री का लाभार्थियों से जनसंवाद

राजस्थान में भाजपा का चुनावी शंखनाद
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-07-10 09:54 UTC
राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर के अमरूदों के बाग से भाजपा ने प्रधानमंत्री लाभार्थी जनसंवाद के माध्यम से चुनावी शंखनाद करके प्रदेश के जनमानस को इस वर्ष के अंतराल में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी ओर आकर्षित करने का भरपूर प्रयास किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी यह अच्छी तरह मालूम है कि वर्तमान में राजस्थान की हवा भाजपा सरकार के विपरीत बह रही है और इस वर्ष के अंतराल में तीन बड़े हिन्दी प्रदेश राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव जहां भाजपा की सरकार कार्यरत है वर्ष 2019 के प्रारम्भ में होने वाले लोकसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में काफी महत्वपूर्ण है।

लोकसभा और विधानसभाओं के साथ-साथ चुनाव

इस पर की जा रही चर्चा समय की बर्बादी के अलावा और कुछ नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-07-09 09:51 UTC
लोकसभा और राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव साथ साथ होने को लेकर चल रही चर्चा रुकने का नाम नहीं ले रही है, जबकि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक साथ चुनाव हमेशा हो पाना संभव ही नहीं। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद इसकी चर्चा शुरू की थी। निर्वाचन आयोग से पूछा गया था। निर्वाचन आयोग ने कहा कि उसे एक साथ चुनाव कराने में कोई समस्या नहीं होगी, लेकिन इसका फैसला वह नहीं ले सकता।

अदालत के फैसले के बाद केजरी सरकार की अग्निपरीक्षा

उपराज्यपाल को मुख्यमंत्री की सलाह पर ही चलना होगा
योगेश कुमार गोयल - 2018-07-07 08:50 UTC
दिल्ली में निर्वाचित सरकार और उपराज्यपाल के बीच लंबे समय से चली आ रही अधिकारों की जंग को लेकर गत 4 जुलाई को आए देश की सर्वोच्च अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ के फैसले की हालांकि हर राजनीतिक दल अपने-अपने नफा-नुकसान के हिसाब से व्याख्या कर रहा है, कोई इसे अपनी सरकार की जीत बता रहा है तो कोई दिल्ली सरकार की अराजकता की हार लेकिन अदालती फैसले को ध्यान से देखें तो यह न किसी की हार है और न किसी की जीत बल्कि दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों के दौरान अधिकारों की लड़ाई को लेकर जो अजीबोगरीब स्थिति बन गई थी, अदालत ने दिल्ली से जुड़े कानूनों की नए सिरे से व्याख्या कर उन्हीं अधिकारों को स्पष्ट किया है।

सेना की गोपीनियता का भंग होना राष्ट्रहित में कदापि नहीं

सेना का हर एक जवान देश की शान है
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-07-06 15:40 UTC
सेना देश की शान होती है जो हर संकट व मुसीबतों के समय देशवासियों की रक्षा करती है। देश की बाहरीे एवं आंतरिक विरोधी शक्तियों का मुकाबला कर देश की प्रतिष्ठा को बचाती है। आज हम सभी अपनी सेना के बल पर ही अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे है। सेना को अधिकार है कि देश की रक्षा में जो उचित लगे, दुश्मनों के खिलाफ कार्यवाही करे। इस दिशा में वह हर तरह से स्वतंत्र है। जब भी उसकी इस स्वतंत्रता पर किसी भी तरह अकुंश लगाने की राजनीतिक कोशिश की गई, देश विरोधी ताकतों का मनोबल बढ़ा है। आंतकवादी गतिविधियों में विस्तार हुआ है। सेना के कीमती जवानों सहित कई निर्दोशों की जान बेवजह गई है, जिसकी शहादत को किसी भी कीमत पर भुलाया नहीं जा सकता ।

दुनिया में बढ़ती भूख की चुनौती

भूखमरी हमारे लिए एक सामाजिक कलंक है
प्रभुनाथ शुक्ल - 2018-07-05 16:45 UTC
घर के ठंडे चूल्हे पर खाली पतीली है, बताओ कैसे लिख दूं धूप फागुन सी नशीली है, मशहूर शायर अदम गोंडवी की भूख से सराबोर यह शेर हमें सोचने पर मजबूर करता है। जबकि सपने बेंच कर सिंहासन हासिल करने वाली जमात सिर्फ भाषण बेंचती है। भारत और दुनिया भर में भूख आम समस्या बन गयी है। राजनीति गरीबी और भूखमरी मिटाने में सालों से लगी है, लेकिन भूखे लोगों की भूख नहीं मिट पायी।

आखिरकार बदल ही गई परोक्ष कर व्यवस्था

जीएसटी राज का एक साल
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-07-04 14:32 UTC
वस्तु सेवा कर (जीएसटी) का एक साल पूरा हो गया है और यह इसकी समीक्षा करने का सही वक्त है। यह भारत के इतिहास का सबसे व्यापक कर सुधार था और इसकी पूरी संभावना थी कि इसके कारण व्यापार और व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है और उसके कारण उपभोक्ताओं को भी परेशानी हो सकती है। नई कर व्यवस्था से महंगाई घटेगी या बढ़ेगी, इसे लेकर भी दो मत थे और इस पर भी विवाद था कि इसके राजनैतिक नतीजे क्या होंगे। चूंकि इसके कारण होने वाली शुरुआती परेशानियों से सरकार की लोकप्रियता ही घटती, इसलिए इसके राजनैतिक नतीजे का आकलन सत्तारूढ़ पार्टी की चुनावी हार-जीत से ही की जा सकती है।

कश्मीरः वही पुराना तरीका

इसे सिर्फ भूगोल का हिस्सा समझना गलत है
अनिल सिन्हा - 2018-07-03 09:28 UTC
मोदी सरकार के ताजा फैसले बताते हैं कि सरकार यह मान कर चल रही है कि कश्मीर की समस्या के हल का कोई रास्ता तुरंत खुलने वाला नहीं है। इसका मतलब यही है कि समस्या से जुड़े पक्षों-हुर्रियत, राजनीतिक दल और पाकिस्तान- से कोई बातचीत नहीं होगी, कम से कम 2019 के लोक सभा चुनावों तक। यह भी तय है कि सत्ताधारी पार्टी इसे एक चुनावी मुद्दा बनाएगी।

फिर जोर मार रही है पवार की महत्वाकांक्षा

अधूरी हसरतों को पूरा करने के लिए आखिरी मौका
अनिल जैन - 2018-07-02 09:15 UTC
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता के सवाल पर तमाम क्षेत्रीय दलों के बीच जारी पैंतरेबाजी के क्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सुपीमो शरद पवार ने नया पत्ता फेंका है। इसी महीने की शुरुआत में भाजपा के खिलाफ एक व्यापक विपक्षी गठबंधन बनाने की जरूरत पर जोर देने तथा उसके लिए सूत्रधार का किरदार निभाने के लिए खुद को प्रस्तुत करने वाले इस मराठा सरदार ने अब आश्यर्यजनक रूप से चुनाव से पहले विपक्षी एकता की व्यावहारिकता पर सवाल खडा कर दिया है। उन्होंने अपने इस रुख को शीर्षासन कराते हुए कहा है- "विपक्षी एकता को लेकर मीडिया में काफी अटकलें चल रही हैं। हमारे कुछ मित्र इस दिशा में कोशिश भी कर रहे हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि चुनाव से पहले यह संभव है।"

नीतीश कुमार मंझधार में

तेजस्वी ने इरादे पर फेरा पानी
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-06-30 09:41 UTC
लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारो को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से बातचीत होने वाली है। लेकिन उसके पहले नीतीश अपने आपको कमजोर पा रहे हैं। कुछ दिन पहले उनकी पार्टी के प्रवक्ता और वे खुद भी कुछ ऐसे तेवर दिखा रहे थे, मानो यदि भाजपा ने उनकी बात नहीं मानी, तो पता नहीं वह क्या कर देंगे। वे भाजपा नेताओं पर दबाव बना रहे थे और कह रहे थे कि उनके बिना बिहार में भाजपा जीत हासिल कर ही नहीं सकती, जबकि सच यह है कि 2014 में भाजपा उनके बिना चुनाव लड़ रही थी और वे भाजपा के बिना चुनाव लड़ रहे थे। तब भाजपा को 22 सीटें मिली थीं और उनकी पार्टी को सिर्फ 2 सीटें और वे दोनों भी बहुत ही मामूली मतों के अंतर से।