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मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास मत

राहुल के दाव से पस्त हुई भाजपा
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-07-23 17:26 UTC
केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ पहला (और संभवतः) आखिरी अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया। यह होना ही था, क्योंकि मोदी सरकार भाजपा के बूते ही पूर्ण बहुमत में थी और अपने सहयोगी दलों के साथ उसे आरामदेह बहुमत प्राप्त था। लोकसभा की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी आॅल इंडिया अन्ना डीएमके भी उसके साथ ही मतदान करती रही है। इसलिए तेलुगू देशम पार्टी द्वारा पेश किया गया गया अविश्वास मत पराजित होेने के लिए पहले दिन से ही अभिशप्त था।

अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से शक्ति परीक्षण

बहस का स्तर बहुत नीचा रहा
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-07-21 10:38 UTC
देश में सन् 2019 में लोकसभा के चुनाव होने वाले है जिसे लेकर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष में जोरदार रूप से तैयारी शुरू हो गई है। वर्तमान में समस्त विपक्ष सत्ता पक्ष के खिलाफ एक साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। यह जानते हुए भी वर्तमान में संसद में भाजपा के पास पर्याप्त बहुमत है, संसद में लाये गये इस शक्ति परीक्षण के पीछे विपक्ष अपनी एकता को देखना एवं सत्ता पक्ष को दिखाना चाहता था जिसमें वह पूर्णतः सफल रहा । इस प्रस्ताव के माध्यम से आमजन के समक्ष विपक्ष सत्ता पक्ष को प्रश्नों के आधार पर कमजोर साबित करने के प्रयास में पुर्णरूप से जुटा रहा ।

मायावती ने प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा की घोषणा की

उन्होंने अपने सारे विकल्प खुल रखे हैं
प्रदीप कपूर - 2018-07-20 16:16 UTC
लखनऊः बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रधानमंत्री पद के लिए संभावित विपक्षी उम्मीदवार के रूप में खुद को लॉन्च करने की तैयारी कर रही हैं।

भाजपा को खुश करने के लिए नशाबंदी पर नीतीश का यूटर्न

कमजोर वर्गों के लोगों को इस कानून से सबसे ज्यादा नुकसान
अरुण श्रीवास्तव - 2018-07-19 17:05 UTC
नशाबंदी कानून को कमजोर करने का निर्णय मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में लिया गया था, लेकिन कुछ महीने पहले एक राष्ट्रीय नेता के निवास पर कुछ वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ मिलकर इसका फैसला किया गया था। उस बैठक में भाग लेने वाले बीजेपी नेताओं ने मांग की कि सरकार निषेध कानून के प्रावधानों को कमजोर करे। उनकी धारणा थी कि वह कानून उनकी पार्टी के हित के लिए हानिकारक है।
अमित शाह की बिहार यात्रा

नीतीश के पास राजग मे रहने के अलावा और कोई रास्ता नहीं

उपेन्द्र प्रसाद - 2018-07-18 10:56 UTC
अमित शाह बिहार की अपनी यात्रा से वापस आ चुके हैं। वहां उन्होंने नीतीश कुमार से भी बातचीत की। उनके यहां डिनर भी किया। बाद में उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव नीतीश उनकी पार्टी के साथ मिलकर ही लड़ेंगे और भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को बिहार की सभी 40 सीटों पर सफलता हासिल होगी। वे विजयी मुस्कान के साथ इस तरह का बयान दे रहे थे, जबकि नीतीश कुमार 12 जुलाई को हुई उसी बैठक के बाद राजग में बने रहने और सीटों के बंटवारे के मसले पर पूरे 5 दिनों तक मौन रहे।

विकास की आड़ में फूंका चुनावी बिगुल

एक्सप्रेस-वे पर उतरा मोदी का मिशन-2019
प्रभुनाथ शुक्ल - 2018-07-17 10:52 UTC
राजनीतिक लिहाज से सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में अपने दो दिवसीय दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी मिशन-2019 का आगाज कर दिया। गोरखपुर के मगहर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन बड़ी रैलियां पूर्वांचल मे हुई, जिनमें वाराणसी, मिर्जापुर के साथ सबसे अहम रैली आजगमगढ़ की रही जहां पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के दौरान सपा-बसपा को निशाने पर रखा। पूर्वांचल के पिछड़ेपन के लिए पूर्व की सपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया। सपा-बसपा दोस्ती पर भी तंज कसा। हलांकि रैली के बहाने मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस पर सीधा हमला बोला। पीएम ने कहां कांग्रेस सिर्फ मुसलमानों की पार्टी है। लेकिन उसमें भीे पुरुषों की है। तीन तलाक से जुझती महिलाओं की पीड़ा उसे कभी नहीं दिखी। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को भी आड़े हाथों लिया, उनके भाषण का अंश भी पढ़ा जिसमें वह कहते थे कि देश के प्राकृतिक संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है।

वर्तमान परिवेश में एक देश एक चुनाव कैसे संभव?

यह प्रयोग भारत में पहले ही विफल हो चुका है
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-07-16 12:02 UTC
स्वतंत्रता उपरान्त देश में कई वर्षो तक लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते रहे तब आज जैसी अनेक राजनीतिक पार्टिया नहीं हुआ करती थीं। उस समय देश में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस थी एवं अन्य छोटे - छोटे राजनीतिक दल कांग्रेस विचारधारा से अलग हटकर अवश्य थे जिनका जनाधार नहीं के बराबर रहा। इसमें जनसंघ, समाजवादी , कम्यूनिष्ट विचार धारा की भाकपा एवं माकपा पार्टिया प्रमुख रही। आज जैसे क्षेत्रिय राजनतिक दल भी उन दिनों नहीं सक्रिय रहे। देश में जैसे - जैसे सत्ता सुख बटोरने की प्रवृृति हावी होती गई, राजनीतिक दलों में माफिया वर्ग का वर्चस्व बढ़ता चला गया। देश में राजनीतिक अस्थिरता का महौल बनने लगा, कई राजनीतिक दल उभर आये जिनमें क्षेत्रीय दलों की प्रमुखता सर्वोपरि बनी रही।

ऐसे कैसे सुधरेंगे दिल्ली के हालात

उपराज्यपाल अभी भी कर रहे हैं मनमानी
योगेश कुमार गोयल - 2018-07-14 09:44 UTC
भले ही गत 4 जुलाई को देश की सर्वोच्च अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने बहुप्रतीक्षित फैसले में दिल्ली में उपराज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच सरकार के गठन के बाद से चली आ रही अधिकारों की लड़ाई को लेकर दिल्ली से जुड़े कानूनों की नए सिरे से व्याख्या कर उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के अधिकारों को स्पष्ट कर दिया हो किन्तु सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद उपराज्यपाल के क्रियाकलापों में साफ नजर आ रहा मनमाना रवैया दिल्ली सरकार के साथ-साथ संविधान के जानकारों को भी रास नहीं आ रहा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अधिकारों की नए सिरे से व्याख्या कर अपने फैसले से केजरीवाल सरकार के साथ-साथ उपराज्यपाल को भी आईना दिखाया और दोनों को उनके अधिकार तथा अधिकारों के उपयोग की सीमाएं भी बताई लेकिन लगता नहीं कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच की यह जंग इतनी आसानी से थम जाएगी।

बुराड़ी कांड के पीछे क्या था?

‘लगे रहो मुन्ना भाई’ के केमिकल लोचे ने फंदे पर लटकाया
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-07-13 11:59 UTC
दिल्ली की बुराड़ी में 11 लोगों की मौत की गुत्थी लगभग पूरी तरह सुलझ गई है। लोगों को दहलाने वाली इस घटना ने राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय कुख्याति पा ली। एक साथ एक संयुक्त परिवार के सभी 11 सदस्यों का फांसी पर लटक कर मर जाना अपने आप में एक दहशत भर देने वाली घटना थी। इस तरह की घटना कम से कम भारत में नहीं हुई थी कि एक ही परिवार के इतने सारे सदस्य एक साथ अपने ही घर में फांसी के फंदे पर लटकते मिले।

विज्ञान और विकास ने जीती जिंदगी की जंग

कामयाब हुआ जिंदगी को बचाने का मिशन
प्रभुनाथ शुक्ल - 2018-07-12 10:58 UTC
थाईलैंड में इंसानी जिंदगी बचाने का चमत्कारिक मिशन पूरा हो गया। थाईलैंड की थैम लुआंग गुफा में फंसे 12 जूनियर फुटबाॅलर और कोच को सुरक्षित निकाल लिया गया। मिशन पर पूरी दुनिया की निगाह टिकी थी। दुनिया भर में मासूम खिलाड़ियों के लिए दुआएं हो रहीं थीं। घटना पूरी दुनिया के लिए चुनौती बनी थी। सभ्यता के विकास और आधुनिक जीवन शैली की अकल्पनीय वारदात थी। मौत की गुफा से 18 दिन की इंसानी जद्दोजहद के बाद सभी को सुरिक्षत बाहर निकाल लिया गया। विज्ञान के साथ तकनीकी विकास की यह बड़ी जीत साबित हुई।