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आतंकवादियों का न तो कोई अपना धर्म होता न कोई ईमान

उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-06-18 13:14 UTC
मुस्लिम धर्म में रमजान काल को बड़ा पवित्र एवं शंाति सौहार्द का प्रतीक माना गया है। रमजान काल का समापन मीठी ईद पर्व से होता है जिसमें हिन्दु मुस्लिम दोनों के मधुर मिलन के उभरे स्वरूप को देखा जा सकता है। इस तरह के पवित्र अवसर पर किसी की जान लेना नापाक कदम माना गया है।

मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस का जनसंपर्क अभियान

विधानसभा और लोकसभा के लिए प्रचार शुरू
एल एस हरदेनिया - 2018-06-15 13:31 UTC
भोपालः किसानों के 10 दिवसीय आंदोलन के समाप्त होने के बाद कांग्रेस और भाजपा में हलचल बढ़ गई है और दोनों पार्टियां लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने में जुट गई हैं। जबकि कांग्रेस बड़े पैमाने पर बैठक कर रही है, भाजपा कार्यकर्ताओं ने घर घर संपर्क करने का अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री, मंत्री, शीर्ष कार्यकर्ताओं, सांसदों और विधायकों सहित बीजेपी नेताओं ने घर घर जाकर चार साल के मोदी शासन और राज्य सरकार की उपलब्धियों की जानकारी देना शुरू कर दिया है।

इतिहास को लेकर लड़ाई

ठहरे हुए विचारों को स्थापित करने की जिद
अनिल सिन्हा - 2018-06-15 13:28 UTC
पिछले कुछ वर्षों से भारतीय इतिहास के हर हिस्से को विवाद में घसीट लिया गया है। आजादी के आंदोलन के इतिहास पर तो ऐसा घमासान है कि उससे जुड़ी हर हस्ति को गिराने का काम तेज गति से चल रहा है। । हिंदुओं और मुसलमानों के बीच के संबंधों तथा प्राचीन और मध्यकालीन भारत के बारे में एक ऐसी समझ बनाई जा रही है जो न तो ऐतिहासक रूप से सही है और न ही राजनीतिक रूप से। तीस के दशक में बनी सोच, जिसे न तो लोगोें का समर्थन मिला था और न ही तथ्यो का आधार, उसे स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। इतिहास पर हमलेे का यह हौसला बाबरी मस्जिद के ढहाने के बाद आया है क्यांेकि इस घटना से भाजपा-संघ परिवार को काफी ताकत मिली है।

क्या अटल बिहारी को भूल चुकी है भाजपा?

बीमार नेता पर राजनीति
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-06-15 13:25 UTC
अटल बिहारी वाजपेयी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए भर्ती हैं। उनका स्वास्थ्य तो वर्षों से खराब है और घर में रहकर ही वे अपना इलाज करवा रहे थे, लेकिन अब स्थिति कुछ ज्यादा खराब हो गई है और उन्हें एम्स में भर्ती करवाना पड़ा है।

संघ के आंगन में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

आलोचना का कोई समुचित आधार नहीं
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-06-12 16:44 UTC
देश जब से आजाद हुआ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्रियाकलाप संदेह के दायरे में आते रहे। देश प्रेम का जज्बा मन में लिये उभरा यह दल अपने उग्र विचारों एवं प्रखर प्रवृृत्ति के चलते हमेशा विवादों में उलझा रहा। इस दल पर हिन्दू कट्टरपंथी होने की छाप लगने के कारण मुस्लिम विरोधी होने के आरोप इस पर सदा लगते रहे है। उसके कारण धर्मनिरपेक्ष्य राजनीतिक दलों की निगाहों में यह संगठन सदा से ही उनकी आंखों की किरकिरी बना रहा, जिसपर सांप्रदायिक होने के सदा अरोप लगते रहे। जब कि यह संगठन अपने आप में एक अनुशासित संगठन रहा है जिसके सदस्यों के क्रिया कलाप सामाजिक सेवा से जुड़े रहे।

विपक्षी एकता 2019 तक भाजपा को हराने तकए जिन्दा रह पाएगी?

गठबंधन की राजनीति को एक सक्षम नेतृत्व चाहिए
हरिहर स्वरूप - 2018-06-11 10:11 UTC
कर्नाटक में चुनावी सफलता और उत्तर प्रदेश के उपचुनाव से उत्साहित विपक्ष 2019 के आम चुनावों की जीत के प्रति निश्चिंत दिख रही है। यदि विपक्ष एक साथ रहता है, तो भाजपा नरेंद्र और अमित शाह की अगुवाई में जीत नहीं पाएगी। पर सवाल यह है कि विपक्ष का नेतृत्व तृत्व कौन करेगा? कांग्रेस, जो कि सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है, नेतृत्व के लिए अपने दावे को को आगे करेगी। लेकिन प्रधान मंत्री पद के लिए कई उम्मीदवार हैं। इन उम्मीदवारों में ममता बनर्जी, मायावती और चंद्रबाबू नायडू भी शामिल हैं।

प्रणब की नागपुर यात्रा का राजनीतिक और सामाजिक महत्व

संघ की छवि बनाने की कोशिश
अनिल सिन्हा - 2018-06-09 10:44 UTC
पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी का आरएसएस के नागपुर मुख्यालय में आयोजित एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भाग लेना भारतीय राजनीति की एक बड़ी घटना है। इसमें दो बातें साफ दिखाई देती है। एक, आरएसएस आने वाले लोक सभा चुनावों में एक नए तरीके से मैदान में आएगा और दूसरा, राहुल गांधी को अपनी ही पार्टी के कारपोरेट समर्थक लाबी का सामना करना पड़ेगा। इस घटना पर जानबूझ कर संवाद और सहमति का मुलम्मा चढाया जा रहा है। लेकिन हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रणब दा कोई भोले राजनेता नहीं है और न ही उनका इतिहास किसी जुझारू नेता का है। वह आपातकाल में संजय गांधी के सहयोगी थे और बाद में कारपोरेट समर्थक आर्थिक नीतियों को लागू करने में आगे रहने वाले नेताओं में से रहे हैं। उनके नागपुर जाने को न तो आम सहमति बनाने के गांधीवादी कदम के रूप में लिया जाना चाहिए और न ही एक गैर-राजनीतिक कदम के रूप में।

आरएसएस के कैंप में प्रणब मुखर्जी

संघ का मंसूबा पूरा नहीं हो सका
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-06-08 10:26 UTC
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने कैंप में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को जिन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आमंत्रित किया था, वे उद्देश्य पराजित हो चुके हैं। एक तरफ आरएसएस की भाजपा भारत को कांग्रेस मुक्त बनाने का अभियान चलाती है, तो दूसरी तरफ वह कांग्रेसियों को भारतीय जनता पार्टी में शामिल करने के लिए भी प्रेरित करती है। प्रणब मुखर्जी को अपने कैंप में बुलाकर वह इसी अभियान को मजबूती प्रदान करना चाहता था।

योगी बनाम बाबा: सुशासन की खुली पोल

उपेन्द्र प्रसाद - 2018-06-07 16:56 UTC
बाबा रामदेव और योगी आदित्यनाथ की सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, इसका पता उस समय चला जब पतंजति उद्योग समूह के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए अपने फूड पार्क को उत्तर प्रदेश से बाहर ले जाने की घोषणा की दी। यह एक सनसनीखेज खबर थी। क्योंकि बाबा रामदेव भारतीय जनता पार्टी और उसके नेताओं के साथ कुछ इस तरह जुड़े हुए हैं कि कोई सोच भी नहीं सकता कि भाजपा की सरकार में उनका दिक्क्त हो सकती है।

शिव सेना-बीजेपी में दरार से सांप्रदायिक तनाव

महाराष्ट्र सरकार स्थिति नियंत्रित करने में विफल
डॉ भालचंद्र कांगो - 2018-06-06 16:31 UTC
औरंगाबादः शिवसेना ने 19 मई को औरंगाबाद में शहर पुलिस और गृह विभाग के खिलाफ हिंदू शक्ति मार्च का आयोजन किया और आरोप लगाया कि हालिया हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में वे नाकाम रहे।