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एक बार फिर कैश संकट

यह राजनेताओं द्वारा कैश की जमाखोरी का नतीजा तो नहीं?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-04-18 11:55 UTC
नोटबंदी के समय के खौफनाक दिन एक बार फिर सामने आते दिखाई दे रहे हैं। देश के अनेक राज्यों में एटीएम खाली रह रहे हैं और कैश निकालने वाले लोग फिर एक एटीएम के दूसरे एटीएम के चक्कर लगा रहे हैं और कहीं कहीं तो वे रतजगा भी करने लगे हैं। कैश संकट पिछले दो सप्ताह से चल रहा है। जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो हजार रुपये के नोटों की जमाखोरी की आशंका जताते हुए एटीएम में कैश का सूखा पड़ने की बात की, तो हमारी केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया की नींद टूटी है फिर नोटबंदी के दिनो के ही दावे और वायदे दुहराए जा रहे हैं। लेकिन उस समय के वायदे और दावे बार बार गलत साबित हो रहे थे, इसलिए लोगों द्वारा सरकारी बयानों में यकीन करना मुश्किल है।

उन्नाव कांड से भाजपा सांसद परेशान

योगी की नवनिर्मित खराब छवि भाजपा पर बोझ
प्रदीप कपूर - 2018-04-17 13:22 UTC
लखनऊः भाजपा के सांसद और विधायक उन्नाव में सामूहिक बलात्कार और पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में की गई हत्या के मामले पर राज्य सरकार द्वारा बरते गए गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से परेशान हैं। ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव अगले साल होने हैं, तो भाजपा सांसद इस खतरे से चिंतित हैं कि राज्य सरकार पर बलात्कार पीड़ितों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाने से उपजा जनता का गुस्सा उनकी जीत की संभावनाओं को समाप्त कर सकता है।

अम्बेडकर के समर्थक बाबा साहेब के सिद्धांतों से दूर

दलितों के संपन्न तबकों को खुद आरक्षण छोड़ देना चाहिए
भरत मिश्र प्राची - 2018-04-16 12:53 UTC
सभी वर्ग के लोगों के सहयोग से ही देश को आजादी मिली पर वर्ग संघर्ष की राजनीति से देश को आजादी आज तक नहीं मिली। इसे दूर करने के लिये बाबा साहेब आम्बेडकर ने आजादी के बाद बने संविधान में आवश्यक प्रावधान कर सभी को जातीय समरसता के तहत लाने का भरपूर प्रयास किया। इसी प्रवधान के तहत समाज के कमजोर तबके को ऊपर उठाने के लिये अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को आरक्षण के तहत तमाम सुविधाएं प्रदान की गई।

खेत-खेत में कुंड से बढ़ेगा भूजल

पानी सहेजने के लिए नवाचार पर जोर
राजु कुमार - 2018-04-16 12:50 UTC
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में स्थित कुंडी भंडारा को देखने के लिए देश-दुनिया के लोग पहुंचते हैं। कुंडी भंडारा वह ढांचा है, जिसे 1615 में मुगल सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना ने बनवाया था। कुंडी भंडारा एक जल संरचना है। उस समय बुरहानपुर में जल संकट था, जिससे निपटने के लिए यह जल संरचना इराक व ईरान की तर्ज पर बनाई गई थी। यह आज भी चालू अवस्था में है। मुगल बादशाह अकबर के समय बुरहानपुर एक प्रमुख सैनिक छावनी थी। बुरहानपुर को दक्खिन का द्वार माना जाता था। इसलिए इस महत्वपूर्ण नगर में पानी उपलब्ध कराने के लिए इसे बनाया गया था।

इस पैंतरेबाजी से तो संसद चलने से रही

संस्थागत नौटंकी किसी भी दृष्टि से शोभनीय नहीं
अनिल जैन - 2018-04-14 09:22 UTC
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक दिवसीय उपवास संपन्न हो गया। उनके साथ ही उनके मंत्रियों और सांसदों ने भी देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर उपवास किया। उनकी यह कवायद देश के विभिन्न भागों में जारी जातीय और सांप्रदायिक हिंसा या हाल के दिनों में उजागर हुई बलात्कार की पाशविक वारदातों पर रोष जताने या प्रायश्चित करने के तौर पर नहीं थी। यह उपवास विपक्ष के खिलाफ था। प्रधानमंत्री के उपवास रखने की घोषणा विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस पर यह आरोप लगाते हुए की गई थी कि उसने संसद नहीं चलने दी। उपवास के रूप में प्रधानमंत्री और सत्तारूढ दल का यह राजनीतिक उपक्रम अपने आप में असाधारण तो था ही, पूरी तरह औचित्यहीन भी था। जो सत्ता में होता है उसके खिलाफ विपक्षी दल या अन्य दूसरे लोग आमतौर पर धरना, प्रदर्शन, अनशन आदि करते हैं। याद नहीं आता कि इस तरह का प्रतिरोधात्मक उपक्रम भारत या दुनिया के किसी भी देश के शासनाध्यक्ष ने कभी किया हो।

मध्यप्रदेश में आप की बढ़ती सक्रियता

पोहा चौपाल व किसान यात्रा पर है जोर आप का
राजु कुमार - 2018-04-14 09:17 UTC
मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनावों की सघन तैयारी में जुट गई है। पार्टी ने प्रदेश के हर घर तक पहुंचने के लिए रणनीति बनाई है। पिछले एक साल से आप मध्यप्रदेश में अपनी संगठनात्मक विस्तार देने में लगी है। अब मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कुछ महीने ही रह गए हैं। ऐसे में आप की कोशिश है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उसकी सशक्त उपस्थिति हो। आप एक ओर आम जनता से अपने को कनेक्ट करने के लिए पोहा चैपाल एवं किसान यात्रा पर जोर दे रही है, तो दूसरी ओर संभावित उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया भी शुरू कर चुकी है। राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की सक्रियता भी मध्यप्रदेश में बढ़ गई है।

बीजेपी अब देश के क्रोनी कैपिटलिस्टों की डार्लिंग

विशाल धन 2019 के चुनाव में इसकी सबसे बड़ी ताकत
नित्य चक्रवर्ती - 2018-04-13 13:02 UTC
भारतीय जनता पार्टी केंद्र में और देश के कुल 29 राज्यों में से 21 में सत्ता में होने का लाभ उठाते हुए अपना खजाना लगातार बढ़ाती जा रही है। राजनीतिक दान प्राप्त करने के मामले में राजनीतिक दलों के बीच भाजपा की नंबर एक की स्थिति के बारे में एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की नवीनतम रिपोर्ट में कोई नई बात नहीं है, लेकिन जो खुलासा हुआ है, वह यह है कि भाजपा और मुख्य विपक्ष कांग्रेस के बीच अंतर काफी बढ़ गया है। 2016-17 में बीजेपी के खजाने में आमद 81 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि कांग्रेस के खजाने में आमद 14 फीसदी की। इसका अर्थ है कि 2016-17 में भाजपा की आमदनी कांग्रेस के चार गुना से अधिक है।
कर्नाटक विधानसभा का चुनाव

खराब हो चुकी है भाजपा की राजनैतिक जमीन

उपेन्द्र प्रसाद - 2018-04-13 07:09 UTC
राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में हुए उपचुनावों में हार का सामना करने के बाद कर्नाटक की जीत भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह सच है कि इस समय उसकी या उसकी भागीदारी वाली सरकारें देश के 21 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में है, लेकिन उसके लिए अगला लोकसभा चुनाव जीतना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। यदि लोकसभा मे उसकी जीत नहीं हुईं, तो फिर 21 राज्यों में से अनेक में उसकी सरकारें जाती रहेंगी। और लोकसभा में जीत दर्ज करने के लिए उसे देश के उन राज्यों के मतदाताओं पर अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी, जहां से लोकसभा की ज्यादा सीटें आती हैं।

यह देश अपनों का देश है किसी और का नहीं

आंदोलन के तौर तरीकों को हमें बदलना होगा
भरत मिश्र प्राची - 2018-04-13 07:05 UTC
देश को आजादी तो मिली पर आज तक किसी ने इसे अपना नहीं समझा। सभी इसे आज तक इसे अपने अपने तरीेके से स्वहित में कमजोर बनाने में लगे है। आजतक आंदोलन के तौर तरीेके पूर्व की भाॅति ही देखे जा सकते जहां तोड़ - फोड़, आगजनी, रेल पटरी उखड़ने जैसी अहितकारी घटनाएं आज भी जारी हैं, जिनमें सबसे ज्यादा सार्वजनिक एवं राष्टीªय सम्पति का नुकसान ही होता है जिसकी भरपाई किसी और को नहीं , अपने को ही करनी पड़ती है। आज यह देश किसी और का नहीं , अपनो की ही देश है जिसे समझना बहुत जरूरी है। इस तथ्य को नहीं समझने के कारण आज भी लुटेरे इस देश को लूट रहे है। देश में सबकुछ रहते हुए भी विकास के कदम से कई कदम हम पीछे खड़े है। बाजारवाद में कभी अग्रणी रहा हमारा देश आज पीछे खड़ा है जहां विदेशी सामानों की भरमार है। सार्वजनिक प्रतिष्ठानों की तहत लगे देश में बड़े उद्योग बंदी की कगार पर है। आंदोलन के तहत देश की करोड़ो की सम्पदा का आज तक नुकसान पहुंचा चुके है।

कौन है संसद में हंगामे के गुनहगार?

लोकतंत्र के भविष्य के लिए यह अशुभ संकेत है
अनिल जैन - 2018-04-10 09:21 UTC
देश की सबसे बडी पंचायत यानी संसद में जिस तरह का अभूतपूर्व गतिरोध इस बजट सत्र के दौरान बना, उसे देखते हुए डेढ दशक पुराना वाकया याद आता है। साल 2003 की बात है। उस समय देश में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में राष्ट्रीय गठबंधन की सरकार थी। अमेरिका ने इराक पर हमला बोल दिया था। विपक्षी पार्टियां संसद में अमेरिका के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कराने की मांग कर रही थीं। विदेश मंत्रालय एक वक्तव्य जारी कर उस हमले की निंदा कर चुका था लेकिन तत्कालीन विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा संसद में निंदा प्रस्ताव लाने के पक्ष में नहीं थे। कुछ दिनों तक हंगामे की वजह से संसद में गतिरोध बना रहा। अंततः वाजपेयी ने सिन्हा और तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री सुषमा स्वराज को बुलाकर उन्हें समझ दी कि संसद सुचारू रूप से चले यह जिम्मेदारी सरकार की होती है, लिहाजा हमें विपक्ष से सिर्फ मीडिया के माध्यम से ही संवाद नहीं करना चाहिए बल्कि संसद से इतर अनौपचारिक तौर पर भी बात करते रहना चाहिए।