युध्द की स्थिति में कौन किसके साथ रहेगा!
अनिल जैन
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2016-09-26 10:47 UTC
जम्मू-कश्मीर के उडी सेक्टर में भारतीय सेना के ठिकाने पर हुए भीषण आतंकवादी हमले से पूरा देश क्षुब्ध और उद्वेलित है। इस हमले में हमारे 18 जवान मारे गए। स्पष्ट हो गया है कि हमले में जैश-ए-मुहम्मद नामक कुख्यात आतंकवादी संगठन का हाथ है जिसे पाकिस्तानी सेना और आईएसआई से खाद-पानी मिलता है। कश्मीर घाटी में पिछले कुछ समय से जारी तनाव का पाकिस्तान फायदा उठाना चाहता है। एक तरफ वह संयुक्त राष्ट्र के मंच से कश्मीर मसले को उठा रहा है, वहीं दूसरी ओर कश्मीर घाटी में आतंकवादियों की घुसपैठ करा कर तथा नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम के उल्लंघन की उकसाने वाली कार्रवाई कर भारत पर दबाव बनाना चाहता है। उसकी इन हरकतों और इरादों से भारतीय जन-मन का दुखी और आक्रोशित होना स्वाभाविक है, लेकिन सरकार में जिम्मेदार पदों पर बैठे कुछ कुछ लोगों, सत्तारुढ दल के नेताओं-समर्थकों, निहित स्वार्थों से प्रेरित कुछ रिटायर सैन्य अफसरों और पूर्व नौकरशाहों तथा मीडिया के एक बडे हिस्से की ओर से इस जनाक्रोश को युध्दोन्माद में बदलने की जो कोशिशें की जा रही हैं वे मुद्दे से भटकाने वाली तो है ही साथ ही हमारे देश आर्थिक-सामाजिक तानेबाने के लिए भी कम नुकसानदायक नहीं हैं।