Loading...
 
Skip to main content

View Articles

भारत को रुपया रूबल व्यापार का प्रस्ताव मान लेना चाहिए

मोदी और पुतिन की बातचीत में सुरक्षा और व्यापार पर होगा जोर
नन्तू बनर्जी - 2015-11-05 10:27
रूस ने भारत को वस्तु विनिमय व्यापार को फिर से शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। इस वस्तु विनिमय व्यापार को रूपया- रूबल व्यापार भी कहा जाता रहा है। रूस जब सोवियत संघ का हिस्सा था, तो उसके साथ इस तरह के व्यापार का समझौता था। लेकिन बाद में वह समाप्त हो गया। उस व्यापार को शुरू करने का एक नया प्रस्ताव बहुत ही सही समय पर आया है। भारत को इसे स्वीकार कर लेना चाहिए।

बराक ओबामा की मध्यपूर्व नीति को झटका

पुतिन ने अमेरिका की धाक वहां समाप्त कर दी
अरुण श्रीवास्तव - 2015-11-05 10:26
सीरिया में अमेरिकी वर्चस्व को उस समय बहुत बड़ा झटका लगा, जब रूस ने वहां उग्रवादियों के खिलाफ जमकर बमबारी शुरू कर दी। उसके बाद ओबामा प्रशासन ने अपना चेहरा बचाने के लिए आईएसआईएस के खिलाफ अपने सैनिकों की तैनाती शुरू कर दी है।

नरेन्द्र मोदी का अति पिछड़ा कार्ड

बैकवर्ड फाॅरवर्ड की लड़ाई में एक नया मोड़
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-11-02 10:22
चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव ने इस चुनाव को बैकवर्ड फाॅरवर्ड की लड़ाई करार दिया था। वह 1990 के दशक की भाषा बोल रहे थे। 2005 से एक के बाद एक 5 आम चुनावों मंे पराजय का सामना करने के बाद मुस्लिम-यादव समीकरण पर से उनका भरोसा उठ गया था। उन्हें पता चल गया था कि जिसे वे मुस्लिम-यादव समीकरण की जीत बताया करते थे, वास्तव में वह पिछड़े वर्गों के लोगों की लामबंदी के कारण संभव हुआ करती थी। इस सत्य के अहसास के साथ उन्होंने नीतीश कुमार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और वैसा करते समय बिहार के चुनाव को उन्होंने बैकवर्ड फाॅरवर्ड की लड़ाई बनाने का मन बना लिया था। उन्हें पता है कि पिछड़े वर्गो के साथ उनके द्वारा किए गए विश्वासघात के कारण अब वे वर्ग उनके नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर पाएंगे और इसलिए उन्होंने नीतीश कुमार को अपना मुखौटा बनाने का फैसला कर लिया।

आरक्षण मसले पर भारी पड़ रहे हैं मोदी

नीतीश और लालू के पास जवाब नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-11-02 10:20
लालू यादव और नीतीश ने जब बिहार में आरक्षण को एक चुनावी मुद्दा बनाया था, तो उन्हें इसका अंदाज नहीं था कि यह मुद्दा ऐसा मोड़ ले लेगा, जहां उनको लेने के देने पड़ने लगेंगे। नरेन्द्र मोदी ने अब आरक्षण के उनके ही हथियार से उन पर ही हमला करना शुरू कर दिया है और उनके पास बचाव में कुछ कहने को रह नहीं गया है।
भारत

अभी और डूबेगी कांग्रेस

राहुल गांधी स्वाभाविक राजनीतिज्ञ नहीं हैं
कल्याणी शंकर - 2015-10-30 10:36
एक सौ तीस साल पुरानी कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर नये और पुराने का द्वंद्व सामने आ रहा है। माखनलाल फोतदार की नई पुस्तक ’’ चीनार लीव्स ’’ इस लड़ाई को सामने ला रही है। फोतेदार वरिष्ठ कांग्रेसियों के उस डर को जाहिर कर रहे हैं, जिसे अनुसार राहुल गांधी में नेतृत्व करने की क्षमता नहीं है और वे पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ भी नहीं हो सकते हैं।
भारत

क्या मध्यप्रदेश अपनी दाल गंवा रहा है?

सोयाबीन के नुकसान का जवाब नहीं
एल एस हरदेनिया - 2015-10-29 10:21
भोपालः एक समय था, जब मध्य प्रदेश को सोया प्रदेश के रूप में जाना जाता था। लेकिन इस साल ऐसा रह नहीं पाएगा।

मध्यपूर्व में एक बड़ा खिलाड़ी बन गया है रूस

ईरान, इराक और सीरिया के साथ उसकी दोस्ती अमेरिका को खटकी
अरुण श्रीवास्तव - 2015-10-28 11:52
अमेरिका की दादागीरी समाप्त हो गई है। किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि विश्व पर अमेरिका का वर्चस्व इस तरह समाप्त हो जाएगा। रूस ने 30 सितंबर को सीरिया मे सशस्त्र हस्तक्षेप किया। वैसा वहां की सरकार के अनुरोध पर किया गया। उस हस्तक्षेप के साथ ही वहां अमेरिका की दादागीरी समाप्त हो गई।
भारत

न्यायिक स्वायत्ता की जीत हुई

काॅलेजियम व्यवस्था को दुरुस्त किए जाने की जरूरत
हरिहर स्वरूप - 2015-10-27 10:53
कार्यपालिका ने हमेशा कोशिश की कि वह न्यायपालिका पर नियंत्रण स्थापित करे, लेकिन वह कभी सफल नहीं हुई। सच तो यह है कि न्यायपालिका ने जजों की नियुक्ति में अपनी ताकत बढ़ाकर नियुक्ति के मामले में राजनीतिज्ञों की भूमिका को ही समाप्त कर दिया। इस तरह से न्यायपालिका ने अपनी स्वतंत्रता सुनिश्चित कर ली। जजों का स्थानांतरण भी न्यायपालिका के अपने अधिकार क्षेत्र का हिस्सा हो गया।
भारत

दादरी जैसी घटनाएं और विदेशी निवेश

अराजक स्थितियों में ही भागते हैं उद्यमी
उपेन्द्र प्रसाद - 2015-10-26 15:52
'मेक इन इंडिया' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक बहुत ही महत्वकांक्षी योजना है, जिसके तहत वे भारत को दुनिया के उत्पादकों की सबसे पसंदीदा जगह बनाना चाहते हैं। भारत में श्रम की बहुलता है और यह सस्ता भी है, हालांकि कुशल श्रमिकों की यहां कमी है। इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार कौशल विकास का अभियान चला रही है और प्रधानमंत्री को उम्मीद है कि श्रमिकों की कुशलता की अवस्था को भी भारत प्राप्त कर लेगा।

अफ्रीका से संबंध मजबूत कर रहा है भारत

दिल्ली के शिखर सम्मेलन से होगी नये युग की शुरुआत
अशोक बी शर्मा - 2015-10-23 10:12
भारत अफ्रीकी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। इसकी शुरुआत दिल्ली में होने वाले 5 दिवसीय शिखर सम्मेलन से होगी, जिसमें अफ्रीकी देशों की सरकारों के प्रमुख हिस्सा लेने वाले हैं। इस तरह के सम्मेलन की शुरुआत 2008 में हुई थी। वह सम्मेलन दिल्ली में ही हुआ था। दूसरा शिखर इथिओपिया के आदिस अबाबा में हुआ था। अफ्रीका के साथ भारत का बहुत पुरान संबंध रहा है। भारत ने वहां चल रहे आजादी के आंदोलनों का समर्थन किया था और रंगभेद के खिलाफ भी लड़ाई में उनका साथ दिया था। चीन का इस समय अफ्रीकी देशों के साथ गहरा संबंध है, इसलिए वह इस मायने में भारत पर भारी पड़ता है। आर्थिक मामलों में अफ्रीकी देशों के साथ योजनाबद्ध तरीके से संबंध बनाने में भारत पिछड़ गया है। अब प्रधानमंत्री मोदी अफ्रीका से भारत के संबंधों को बढ़ाने को लेकर काफी गंभीर हो गए हैं।