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केरल में अमित शाह का मिशन

मतभेद हल करने में रहे विफल
पी श्रीकुमारन - 2016-06-28 12:24 UTC
तिरुअनंतपुरमः वह आए। उन्होंने देखा। लेकिन वे जीतने में विफल रहे। यह अटपटा लग सकता है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के ताजा केरल मिशन के लिए यही सच है। उनकी इस यात्रा पर जबर्दस्त हाइप पैदा किया गया था। यह मिशन 2019 को ध्यान में रखकर किया गया था। उद्देश्य 2019 में होने वाले चुनाव में ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटों पर चुनाव जीतने के लिए जमीन तैयार करना था।
भारत

बदरंग होता जा रहा है संसद का उच्च सदन

बहस के स्तर में भी गिरावट आ गई है
अनिल जैन - 2016-06-27 10:16 UTC
राज्यसभा के पिछले दिनों संपन्न हुए चुनाव को लेकर खास उत्सुकता इस वजह से थी कि इसके नतीजे संसद के इस उच्च सदन के मौजूदा समीकरण को किस हद तक प्रभावित कर पाएंगे और आखिरकार सदन की नई तस्वीर कैसी होगी। मगर चुनाव संपन्न होते-होते राजनीति में गिरावट का दृश्य ही प्रमुखता से उभर कर सामने आया। हैरानी की बात यह भी है कि कमोबेश सभी राजनीतिक दल, चाहे उनके घोषित उद्देश्य और दावे कुछ भी हों, किसी ने भी अनैतिक हथकंडे अपनाने से परहेज नहीं किया। चुनाव के दौरान दूसरी पार्टियों के विधायकों से अपने उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कराने, अपने विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने और 'किसी भी तरह’ अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कराने के लिए विभिन्न पार्टियों की ओर से धनबल व सत्ताबल के इस्तेमाल और प्रभाव के जो वाकये देखने को मिले, उन्हें हमारे लोकतंत्र के लिए कतई शुभ नहीं माना जा सकता।
भारत

खाद्य उत्पादों के व्यापार में शतप्रतिशत विदेशी निवेश

रक्षा के नाम पर कहीं हत्या न हो जाय!
उपेन्द्र प्रसाद - 2016-06-25 11:04 UTC
यूपीए सरकार के दौरान जब 2013 में मल्टी ब्रांड रिटेल को विदेशी कंपनियों के लिए खोल दिया गया था, तो उसका देश भर में विरोध किया गया था। विरोध करने वालों मंे तब भारतीय जनता पार्टी भी शामिल थी। उस विरोध के कारण यूपीए सरकार को अपने कदम वापस लेने पड़े थे। पर आज केन्द्र मे भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और इस सरकार ने एक बार फिर भारत के रिटेल बाजार को विदेशी कंपनियों के लिए खोल दिया है।

कर्नाटक में भी कांग्रेस में विद्रोह

पार्टी नेतृत्व को हस्तक्षेप करना होगा
कल्याणी शंकर - 2016-06-24 11:29 UTC
कांग्रेस का सिरदर्द समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। अब कर्नाटक उसके सिरदर्द का एक बड़ा कारण बन गया है। वहां भी कांग्रेसी विद्रोह पर उतारु हो गए हैं, हालांकि यह विद्रोह केन्द्रीय नेतृत्व के खिलाफ नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ है। लेकिन मुख्यमंत्री के खिलाफ छिड़ा यह विद्रोह कब पार्टी और केन्द्रीय नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह में परिणत हो जाए, यह कहा नहीं जा सकता।

मोदी के राज में राजन की विदाई आश्चर्यजनक नहीं

भाजपा को एक कठपुतली गवर्नर चाहिए
एस सेतुरमन - 2016-06-23 12:20 UTC
जब भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने घोषणा की कि अब वे अपने वर्तमान पद का कार्यविस्तार नहीं चाहते, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राहत की सांस ली होगी, क्योंकि अब उन पर यह आरोप नहीं लगेगा कि उन्होंने उनकी सेवा का विस्तार नहीं किया।

फैक्ट और एसबीटी पर सत्ता और विपक्ष एक साथ

केन्द्र सरकार के निर्णय का प्रदेशव्यापी विरोध
पी श्रीकुमारन - 2016-06-22 12:45 UTC
तिरुअनंतपुरमः केन्द्र सरकार के दो निर्णयों ने प्रदेश की सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर ला खड़ा कर दिया है। उसका एक निर्णय स्टेट बैक आॅफ त्रावणकोर का स्टेट बैंक आॅफ इंडिया में विलय है और दूसरा निर्णय फर्टिलाइजर और केमिकल्स त्रावणकोर का निजीकरण है।

बिहार का टाॅपर घोटाला

नीतीश सरकार पर काला धब्बा
उपेन्द्र प्रसाद - 2016-06-21 11:05 UTC
बिहार के टाॅपर घोटाले के मुख्य अभियुक्त लालकेश्वर सिंह गिरफ्तार हो चुके हैं। उनकी पत्नी उषा सिन्हा भी गिरफ्तार हो गईं। उसके पहले घोटाले का लाभ पाने वाले बच्चा यादव भी गिरफ्तार हो गए। यानी जिन तीन लोगों की पुलिस को सबसे ज्यादा तलाश थी, वे तीनों कानून के शिकंजे में आ गए हैं। इसके लिए नीतीश कुमार की बिहार पुलिस को निश्चय ही बधाई देनी होगी। पिछले दो एक महीने से बिहार की पुलिस अपराध के बाद जिस तरह से सक्रिय होकर अपराधियों को गिरफ्तार करती है अथवा उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर देती है, वह बिहार के लिए निश्चय ही एक नई घटना है। इससे पता चलता है कि पुलिस पर अपराधियों को बचाने के लिए सरकार की ओर से कोई राजनैतिक दबाव नहीं पड़ता। यह अच्छी बात है। देश के अन्य राज्यों की पुलिस को भी बिहार से इस मामले में सीख लेनी चाहिए।

किसानों की जमीनी हकीकत, सरकार और किसानी पत्रकारिता

शशिकान्त सुशांत - 2016-06-20 13:33 UTC
विभिन्न समाचार पत्रों में सरकार ने आधे पेज का विज्ञापन देकर किसानों से अपील की है कि वे दलहन और तिलहन की खेती करें और ज्यादा से ज्यादा मूल्य पाएं। भारत सरकार के उस विज्ञापन में अरहर यानी तूअर का खरीद मूल्य सबसे ज्यादा 5500 रुपये बोनस सहित दिए जाने की घोषणा की गई है। इसके बाद मूंग का खरीद मूल्य 5200 रुपये वैसे ही अन्य दालों की कीमतें तय की गई हैं।

उत्तर प्रदेश में एजेंडा हिंदुत्व का, झंडा विकास का

पर इस रणनीति की भी सीमाएं हैं
अनिल जैन - 2016-06-20 13:30 UTC
अब इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव विकास या सुशासन के नाम पर नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ हिंदुत्व से जुडे उग्र नारों और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के हथकंडों के बूते लडेगी। इस बात का स्पष्ट संकेत उसने हाल ही में इलाहबाद में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के जरिए देकर करीब आठ महीने बाद होने वाले चुनाव के लिए अपनी तैयारी का आगाज भी कर दिया है। हालांकि अगले साल पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं जो भाजपा के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं हैं लेकिन राष्ट्रीय राजनीति और खासकर 2019 के आमचुनाव में दिल्ली की सत्ता बरकरार रखने के लिहाज से उत्तर प्रदेश उसके लिए एक तरह से 'प्रश्न प्रदेश’ बना हुआ है। आम समझ भी यही कहती है कि दिल्ली के सत्ता-सिंहासन का रास्ता लखनऊ से ही होकर गुजरता है।

रैंकिंग घोटाले ने नीतीश सरकार को हिलाया

संगठन छात्रों की बदहाली पर हो रही है चर्चा
अरुण श्रीवास्तव - 2016-06-19 05:01 UTC
पटनाः घोटालों की भूमि बिहार में एक और घोटाले की चर्चा हो रही है और यह घोटाला रैंकिंग घोटाला के नाम से जाना जा रहा है। राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों और व्यापारियों का एक काॅकस इस घोटाले को अंजाम दे रहा है। यह कोई ताजातरीन घोटाला नहीं है, बल्कि बिहार में बरसों से चल रहा है। शिक्षा माफिया बिहार में बहुत समय से हरकत में हैं। वे चुपचाप गुपचुप तरीके से अपना काम करते हैं। लेकिन इस बार मीडिया की सक्रियता के कारण इस रैंकिंग घोटाले का पर्दाफाश हो गया।