उफ! पेरियार के प्रदेश में यह कलंक-कथा
दलित पिछड़ी जातियों की हिंसा के शिकार हो रहे
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2016-03-28 13:08 UTC
आधुनिक भारत में तमिलनाडु को जाति-व्यवस्था और ब्राह्मणवाद विरोधी आंदोलन की आदिभूमि माना जाता है। वहां देश की आजादी के पहले और उसके बाद भी पेरियार रामास्वामी नायकर के नेतृत्व में बाल विवाह, देवदासी प्रथा, विधवा पुनर्विवाह विरोधी अवधारणा और दलितों व स्त्रियों के शोषण आदि सामाजिक बुराइयों के विरुध्द लंबे समय तक आंदोलन चले हैं। उसी तमिलनाडु के त्रिपुर में पिछले दिनों कथित सम्मान के नाम पर एक दलित युवक की दिनदहाडे सरेआम हत्या की घटना दहला देने वाली और सामाजिक विकास के लिहाज से गंभीर चिंता पैदा करने वाली है। इससे ज्यादा हैरानी और अफसोस की बात और क्या होगी कि जिस दौर में जाति की जड़ता तोड़ने को सामाजिक विकास के लिए एक जरुरी प्रक्रिया के तौर पर देखा जा रहा हो, उसमें किसी दलित युवक को इसलिए मार डाला जाए कि उसने प्रेम और विवाह में जाति के सवाल को परे कर दिया था।