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भारत

असम कांग्रेस में अफरातफरी

गुटबाजी ने गोगोई को कमजोर कर दिया है
बरुण दास गुप्ता - 2014-06-24 12:52
कोलकाताः लोकसभा चुनाव में हुई भारी हार के कारण कांग्रेस आलाकमान की पकड़ प्रदेश कांग्रेस पर कमजोर पड़ती जा रही है। असम इसका एक उदाहरण है। वैसे कांग्रेस यहां भी हारी है। उस हार के कारण मुख्यमंत्री तरुण गोगाई की स्थिति भी काफी कमजोर हो गई है। अब उनसे इस्तीफा मांगा जा रहा है। वे इस्तीफा देना नहीं चाहते। उनके विरोधी अब कांग्रेस आलाकमान पर दबाव डाल रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाय। पर राष्ट्रीय स्तर पर शर्मनाक हार का सामना करने के बाद कांग्रेस आलाकमान का विश्वास भी जवाब दे रहा है। उसे यह समझ मे ंनहीं आ रहा है कि वह गोगाई को हटा दे या उन्हें अपने पद पर बनाए रखे और उनके विरोधी लोगों को ही डांट पिला दे। गोगाई के समर्थक और विरोधी फिलहाल कभी दिल्ली जाते हैं, तो कभी गौहाटी वापस आते हैं। उनका दिल्ली आना जाना तेज होता जा रहा है।
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राज्यपालों को हटाना मोदी के लिए आसान नहीं होगा

सुप्रीम कोर्ट का फैसला रास्ता रोक रहा है
हरिहर स्वरूप - 2014-06-23 10:05
यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि राज्यपाल के पदों का इस्तेमाल उन लोगों को दे दिया जाता है, जिन्हें जनता ने चुनाव में हरा दिया हो और जिसे पार्टी सरकार में नहीं खपा पाती। जो लोग चुनाव लड़ने से डरते हैं, उन्हें भी कभी कभी इस पद पर बैठा दिया जाता है। इसके अलावा, सेवानिवृत अधिकारियों को भी राज्यपाल पद पर इसलिए भेज दिया जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल में राजनीतिज्ञों की सेवा की थी।
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विदेश नीति पर खरी उतरेगी मोदी सरकार?

डा. शंकर स्वरूप शर्मा - 2014-06-21 11:07
मोदी सरकार को शपथ लेते हुए और सरकार का आगे बढ़ाने में अभी अधिक समय नहीं हुआ है उन पर अपनी विदेश नीति पर पकड़ मजबूत करने में काफी कठिनाई अनुभव हो रही है। चीन, अमरीका, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और अब इराक जो कि तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है उसमें भी भारत का अपनी नीति के तहत ढालना मुश्किल प्रतीत हो रहा है। पिछले तीन दिनों से प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मं़त्रालय लगातर इराक से संबंध साधने में लगा हुआ है। उत्तर क्षेत्र के राज्यों से इराक में गए भारतीयों को वहां मिलिटेंट गुट ने कैद करके रखा हुआ है। उनको छुड़ाने के लिए भारतीय विदेश विभाग जुटा हुआ लेकिन अभी तक उसका उनसे सम्पर्क नहीं हो पा रहा ताकि उन भारतीयों को सही सलामत भारत लाया जा सके। विदेश मंत्री श्रीमति सुषमा स्वराज उनके परिवार वालों को दिलासा देने में लगी हुई।

अच्छे दिनों के इंतजार में भारत

विजय कुमार मधु - 2014-06-21 10:59
जब भारत आजाद हुआ था तो ब्रिटिश हुकूमत ने सभी राजे-रजवाड़ों को स्वतन्त्र रहने के लिए छूट दे दी और भारत के विभाजन की लकीर खींच दी ताकि ये आपस लड़ मरे और फिर पुनः ये सब उनकी हुकूमत को तरसे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गुजरात प्रांत के नेता और लौहपुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने अपनी कुशाग्र बुद्धि से सभी को ना केवल एकत्रित किया बल्कि सभी राज्यों को भारतीय संविधान में अपने को नई सोच में ढालने की पेश की जिसमें वे अपने अधिकारों को सुरक्षित रख सकें और राजा-महाराजाओं के लिए वार्षिक तौर प्रिवीपर्स के धन-राशि भी तय कर दी लेकिन जब लौह-महिला इन्दिरा गांधी सत्ता में आई तो उन्होंने राजा-महाराजाओं के प्रिसीपर्स समाप्त कर दिए और वित्तीय संस्थाओं को भारतीय संविधान में ले लाई ताकि आम जनता तक उनकी सुविधाएं आसानी से पहुंच सकें।
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व्यापम घोटाले की आग आरएसएस के नेता तक

शर्मा की गिरफ्तारी के बाद चौहान के इस्तीफे की हो रही है मांग
एल एस हरदेनिया - 2014-06-21 09:19
भोपालः प्रसिद्ध गजल गायक स्वर्गीय जगजीत सिंह की एक पंक्ति है कि ’’ बात निकलेगी, तो बहुत दूर तलक जाएगी।’’ मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले पर जो लोग आज नजर लगाए हुए हैं, उनकी जुबान पर यह पंक्ति आज कल चढ़ी हुई है। लक्ष्मीकांत शर्मा की इस घोटाले में गिरफ्तारी के बाद अब और लोगों पर भी कहर टूटने की आशंका व्यक्त की जा रही है। गिरफ्तारी के पहले श्री शर्मा ने अपने विश्वस्त लोगों को कहा था कि यदि वे पकड़े गए, तो अन्य अनेक लोग भी पकड़े जाएंगे। अब वे वास्तव में पकड़ लिए गए हैं और जेल की हवा खा रहे हैं, तो सवाल उठना स्वाभाविक है कि और किन किन पर शामत आने वाली है।
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अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए कठोर कदम

क्या ऐसा कर पाएंगे प्रधानमंत्री मोदी
कल्याणी शंकर - 2014-06-20 11:56
गोवा में अपनी पार्टी के कार्यकत्र्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश की हालत को ठीक करने के लिए कुछ कठोर कदम उठाने पड़ सकते हैं और लोगों के बीच में उनकी जो अच्छी छवि बनी है, उसका थोड़ा नुकसान भी हो सकता है। उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में वहां उपस्थित लोगों से पूछा कि उन्हें क्या इस तरह के कदम उठाने चाहिए। इसका स्वाभाविक जवाब था हां उठाने चाहिए।
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खराब मानसून महंगाई बढ़ने का बहाना नहीं हो सकता

सरकार को किसानों की सहायता के लिए आगे आना होगा
अशोक बी शर्मा - 2014-06-19 10:56
भारत में मानसून प्रवेश कर चुका है। कुछ हिस्सों मंे वर्षा हो रही है और आने वाले कुछ दिनों में ही मानसून अपने आगोश में पूरे देश को ले लेगा। इस बीच मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि इस साल देश में औसत से कम वर्षा होगी। इसके कारण देश भर में हताशा फैल रही है। हताशा का कारण यह नहीं है कि देश में अनाज की कमी है। सच तो यह है कि देश में अनाज का पर्याप्त भंडार है। लेकिन लोग परेशान हैं, तो इसका कारण बढ़ती महंगाई है।
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कांग्रेस का सीखने से इनकार

हार के कारणों पर कोई विचार मंथन नहीं
अमूल्य गांगुली - 2014-06-18 12:46
कांग्रेस को न तो कुछ सीखने की परवाह है और न कुछ भूलने की। उसकी पिछले लोकसभा में शर्मनाक हार हुई, लेकिन वह शर्म करने को भी तैयार नहीं है। जब पिछले साल इसने 4 प्रदेशों की विधानसभाओं में हार का सामना किया था, तो इसने कहा था कि हार के कारणों पर गहरा आत्ममंथन होगा। लेकिन उसने वैसा कुछ भी नहीं किया। यही कारण है कि उसके कुछ महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में उसे उससे भी बड़ी हार का सामना करना पड़ा।
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मोदी की भूटान यात्रा: आपसी संबंध सुधारने में सहायक

बरुण दास गुप्ता - 2014-06-17 08:13
कोलकाताः भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूटान यात्रा सफल रही है और वह एक राजनयिक के रूप में अपनी क्षमता दुनिया को दिखाने में सफल रहे हैं। भूटान को वह आश्वस्त करने में सफल रहे हैं कि भारत उसके हितों की रक्षा करने में ईमानदार हैं। उन्होंने कहा कि भूटान अपने राजनैतिक और आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए भारत पर विश्वास कर सकता है और वह चीन के दबंगई व्यवहार के कारण अपने आपको असुरक्षित नहीं समझे।
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नरेन्द्र मोदी श्रेष्ठतम प्रधानमंत्री वक्ता

पहले सत्र ने अच्छा प्रभाव छोड़ा
हरिहर स्वरूप - 2014-06-17 08:05
एक लंबे अरसे के बाद संसद के दोनों सदनों ने पहली बार किसी प्रधानमंत्री को अलिखित भाषण करते सुना। प्रधानमंत्री के पास कोई लिखित भाषण तो था ही नहीं, उन्होंने कोई नोट्स भी नहीं अपने पास बना रखे थे और न ही प्वाॅइंट्स नोट कर रखे थे। उन्होंने जो कुछ भी कहा संसद मंे भाषण करते समय ही तैयार किया हुआ था। वह एक बहुत ही शक्तिशाली भाषण था, जिसमें राष्ट्रपति के अभिभाषण में भाग लेने वाले विपक्षी सांसदों के सवालों के जवाब भी शामिल थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सभी आलोचकों को जवाब दिया। लिख कर लाए बिना सबको जवाब दे देना और वह भी बहुत ही प्रभावशाली भाषा में प्रभावशाली तरीके से, एक बहुत बड़ी बात थी। सच कहा जाय, तो संसद में दिया गया नरेन्द्र मोदी का यह भाषण उनका अबतक का दिया गया सर्वश्रेष्ठ भाषण था।