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भारत

हारने वाले सिर्फ राहुल ही नहीं हैं

हार केजरीवाल और करात की भी हुई है
अमूल्य गांगुली - 2014-06-03 10:29
पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की हार की चर्चा तो खूब हो रही है, पर हारने वाले लोग और भी हैं उनमें से अरविंद केजरीवाल और प्रकाश करात भी शामिल हैं। राहुल की तरह इन दोनों की मिट्टी भी काफी पलीद हुई है। अरविंद केजरीवाल की इस पराजय की भविष्यवाणी तो उनके गुरू अन्ना हजारे ने ही कर दी थी। उन्होंने केजरीवाल का सत्ता का भूखा कहा था।
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राज्यपालों पर मोदी की नजर

कुछ को इस्तीफा देने के लिए कहा जा सकता है
हरिहर स्वरूप - 2014-06-02 15:13
कांग्रेस सिकुड़कर लोकसभा में 44 सीटों तक सीमित हो गई है, लेकिन कांग्रेसी इस समय कम से कम 18 राज्यों में राज्यपाल के पदों पर विराजमान हैं। क्या नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए उन्हें हटाना संभव हो पाएगा? सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की पृष्ठभूमि में उन्हें हटाना आसान नहीं होगा। लेकिन पुराने अनुभवों देखते हुए उन्हें बर्खास्त करने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। पहले तो उन्हें इस्तीफा देने के लिए का जा सकता है और वैसा नहीं करने पद उन्हें उनके पदों से हटाने का आदेश जारी किया जा सकता है।
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मध्यप्रदेश कांग्रेस का आत्ममंथन

कड़वे सच से होगा साक्षात्कार
एल एस हरदेनिया - 2014-06-01 14:10
भोपालः जब मध्यप्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रामेश्वर नीखरा से प्रदेश में कांग्रेस की शर्मनाक हार का कारण पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मामले में हमारा आत्ममंथन पूरा नहीं हुआ है। इसमें करीब एक महीना लग सकता है और उसके बाद ही हम इसके कारणो के बारे में कुछ कह सकेंगे। गौरतलब हो कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की कुल 29 सीटों में से मात्र 2 पर ही विजय हासिल हुई थी।
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नरेन्द्र मोदी सरकार की विदेश नीति

शुरुआत अच्छी है
कल्याणी शंकर - 2014-05-30 17:01
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी जादुई टोपी से उस समय कबूतर निकाले, जब उन्होंने अपने शपथग्रहण समारोह में सार्क देशों की सरकारों के प्रमुखों को आमंत्रित कर डाला। शपथ ग्रहण के अगले दिन उन्होंने सभी सरकार प्रमुखों से अलग अलग बात करके उनके मन को जानने की कोशिश भी की। इसमें कोई शक नहीं कि ऐसा करके उन्होंने देश भर की प्रशंसा पाई है, लेकिन यह कहना अभी मुश्किल है कि उनकी विदेश नीति का वास्तविक दिशा कैसी होगी।
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नरेन्द्र मोदी की अच्छी शुरुआत

संघ का सरकार गठन में प्रभाव नहीं
अमूल्य गांगुली - 2014-05-30 01:16
नरेन्द्र मोदी के कैबिनेट की तीन विशेषताएं हैं। सबसे पहली विशेषता तो इसका छोटा होना है। इसमें 45 सदस्य हैं, जबकि मनमोहन कैबिनेट में 77 सदस्य थे। दूसरा, कैबिनेट को देखकर इस बात की पुष्टि हो जाती है कि भाजपा में प्रतिभा का अकाल है। अरुण जेटली को एक साथ ही वित्त और रक्षा जैसे दो विशालकाय मंत्रालय दिए जाने का और कोई कारण नहीं हो सकता है।
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केरल का केन्द्रीय कैबिनेट में प्रतिनिधित्व नहीं

क्या मोदी सरकार इसकी सुध लेगी?
पी श्रीकुमारन - 2014-05-28 16:42
तिरुअनंतपुरमः जैसी कि पहले से उम्मीद की जा रही थी, नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में केरल को कोई जगह नहीं मिली है। यदि इसे जगह नहीं मिली है, तो इसके लिए खुद यही जिम्मेदार है। 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के किसी उम्मीदवार को जीत दिलाने में यह विफल रहा। वैसे भाजपा का कोई प्रत्याशी यहां से न तो लोकसभा में और न ही विधानसभा में जीत पाया है, लेकिन इस बार लग रहा था कि तिरुअनंतपुरम से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पी राजगोपाल चुनाव जीत भी सकते हैं, हालांकि चुनाव नतीजे आने के बाद पता चला कि वे जीतते जीतते रहे गए। अब चूंकि केरल से कोई भाजपा सांसद है ही नहीं, तो फिर किसी के केन्द्र की भाजपा सरकार में मंत्री बनने की संभावना ही कहां रह जाती?
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नई सरकार के सामने चुनौतियों का पहाड़

क्या देश को अर्थसंकट से बाहर कर पाएंगे मोदी
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-05-27 09:36
तीन दशक बाद पहली बार केन्द्र में एक पार्टी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी है। यह प्रशासन की दृष्टि से अच्छी बात है, पर सवाल यह है कि नरेन्द्र मोदी की सरकार उन समस्याओं को हल कर पाएगी, जो आज हमारे देश के सामने खड़ी है। 1991 में नरसिंहराव की सरकार जब बनी थी, तो उस समय भी भारी अर्थसंकट चल रहा था। महंगाई बढ़ी हुई थी। विदेशी मुद्राकोष खाली पड़ा था। सरकार को देश की प्रतिष्ठा अंतरराष्ट्रीय बाजार में बचाने के लिए सोने तक को गिरवी रखना पड़ा था। वैसे माहौल में नरसिंह राव ने सत्ता संभाली थी और उनकी पार्टी के पास बहुमत भी नहीं था।

बांग्लादेश मोदी के पीएम बनने से चिंतित

विपक्ष ने सरकार मोदी को बधाई देने पर हसीना को कोसा
आशीष बिश्वास - 2014-05-27 01:47
कोलकाताः नरेन्द्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद जहां वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उन्हें बधाई दी है, वहीं वहां का विपक्ष भयभीत है। उसने मोदी को बधाई देने के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना भी की है।
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मध्यप्रदेश में कांग्रेस का सफाया

चौहान ने दिलाई भाजपा को भारी जीत
एल एस हरदेनिया - 2014-05-24 17:48
भोपालः यह 1977 के लोकसभा चुनाव की लगभग पुनरावृति थी। उस साल के चुनाव में पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो गया था, लेकिन मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में ही उसके एक उम्मीदवार जीते थे। इस बार भी मध्यप्रदेश मंे कांग्रेस का सफाया हो गया है और छिंदवाड़ा ने उसकी इज्जत बचाई। हालांकि मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा के अलावा उसकी जीत गुना मंे भी हुई है, जहां से उसके उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव जीते हैं। छिंदवाड़ा से तो कमलनाथ 1980 से लगातार जीतते आ रहे हैं। सिर्फ एक बार वे पराजित हुए थे। वे आठवीं बार लोकसभा में छिंदवाड़ा का नेतृत्व कर रहे हैं।
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वंश कांग्रेस की समस्या का समाधान नहीं

आमूलचूल बदलाव ही कांग्रेस को बचा सकता है
कल्याणी शंकर - 2014-05-23 17:16
कांग्रेस के अन्दर बदलाव की चाहे जितनी बात हो, लेकिन बदलता कुछ नहीं है। अपनी सबसे शर्मनाक पराजय के बाद कांग्रेस में जिस तरह की प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही हैं, उससे इस बात की पुष्टि होती है। यह सच है कि कोई यह उम्मीद नहीं करता कि कांग्रेस नेहरू खानदान से छुटकारा पा लेगा, क्योंकि यही पार्टी को एक करके रखता है। यही कारण है कि खानदान की गिरती साख के बावजूद कांग्रेस पर यह खानदान हावी है। यह खानदान अब पार्टी की जीत सुनिश्चित नहीं कर सकता। उसके उम्मीदवारों को वोट भी नहीं दिला सकता, लेकिन पार्टी को एक रखने की क्षमता अभी भी इसमें शेष बची हुई है। इसलिए नेतृत्व में बदलाव भी इस समय कोई विकल्प नहीं है। कांग्रेस के लिए आज जरूरी यह है कि इसमें आमूलचूल बदलाव हो।