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भारत

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, सपा और बसपा का सूपड़ा साफ

मोदी लहर ने कहर बरपाया
प्रदीप कपूर - 2014-05-20 11:49
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा के चुनाव ने तीन प्रधानमंत्री उम्मीदवारों की उम्मीदों पर न केवल पानी फेर दिया है, बल्कि उन्हें सदमे में भी डाल दिया है। राहुल गांधी, मुलायम सिंह यादव और मायावती प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे थे, लेकिन सपना पूरा होना तो दूर, तीनों के सामने अस्तित्व का संकट भी खड़ा होता दिखाई दे रहा है।

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गठबंधन युग का अंत

भाजपा को मिला अकेले बहुमत
हरिहर स्वरूप - 2014-05-19 17:26
बीस साल पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमण ने कहा था कि भारत में गठबंधन राजनीति के युग की शुरुआत हो गई है। अब दो दशक के बाद गठबंधन युग का अंत हो गया है। गठबंधन की राजनीति के युग का अनुभव कोई अच्छा नहीं रहा है। गठबंधन प्रभावी सरकार चलाने में विफल रहा है।
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कांग्रेस की ऐतिहासिक पराजय

उपेन्द्र प्रसाद - 2014-05-17 17:47
लोकसभा का पिछला चुनाव इस मायने में भी ऐतिहासिक है कि इसमें कांग्रेस को अबतक की सबसे करारी हार मिली है। इसके मात्र 45 सांसद लोकसभा में जीतकर आए हैं। इसके पहले 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे कम सीटें मिली थीं। उस समय भी कांग्रेस का नेतृत्व सोनिया गांधी ही कर रही थीं। तब उसे मात्र 112 लोकसभा सीटें मिली थीं। 1998 में सीताराम केसरी के नेतृत्व में हुई 140 सीटो पर जीत से वह बहुत कम थी। गौरतलब हो कि 140 सीटों पर हुई जीत को नाकाफी मानते हुए कांग्रेसियों ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में सीताराम केसरी को अपमानित कर हटा दिया था।

केरल कांग्रेस (मणि) ने दी कांग्रेस को चेतावनी

भाजपा 16 मई के बाद नहीं रहेगी अछूत
पी श्रीकुमारन - 2014-05-16 10:23
तिरुअनंतपुरमः आने वाली घटनाओं की छाया पहले ही दिखाई पड़ने लगती है, ऐसा कई लोग कहते हैं। केरल में कुछ ऐसा ही होता दिखाई पड़ रहा है। केरल कांग्रेस (मणि) ने कुछ इसी तरह के संकेत दिए हें। उसने यूडीएफ का नेतृत्व कर रही कांग्रेस को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह राजनैतिक छुआछूत में विश्वास नहीं करती।
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लोकसभा चुनाव नतीजे के बाद हो सकता है भारी बदलाव

मुलायम सिंह खुद बन सकते हैं मुख्यमंत्री
प्रदीप कपूर - 2014-05-16 01:34
लखनऊः लोकसभा चुनाव के नतीजे उत्तर प्रदेश की राजनीति की दिशा को बदल सकते हैं। इसका असर तो पूरे प्रदेश के राजनैतिक समीकरण पर पड़ेगा, लेकिन इसका प्रभाव अखिलेश सरकार के अस्तित्व पर भी पड़ सकता है। समाजवादी पार्टी की सरकार को तो कोई खतरा नहीं है, लेकिन अखिलेश यादव मुख्यमंत्री का पद खो सकते हैं और उनकी जगह खुद मुलायम सिंह यादव सरकार का नेतृत्व कर सकते हैं।
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दिल्ली प्रदेश सरकार के गठन को लेकर अटकलबाजियों का दौर

क्या केजरीवाल फिर से बनेंगे मुख्यमंत्री?
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-05-14 10:22
नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद दिल्ली में केन्द्र की सरकार तो बननी है ही, केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली के सरकार गठन का मामला भी लटका हुआ है। केजरीवाल की सरकार के इस्तीफे के बाद कायदे से विधानसभा को भंग कर दिया जाना चाहिए था, क्योंकि कोई वैकल्पिक सरकार बन नहीं पा रही थी, पर उपराज्यपाल ने विघानसभा को निलंबित कर रखा है। विधानसभा को निलंबित रखा जाय या भंग कर दिया जाय, यह एक राजनैतिक निर्णय है और यदि यह भंग नहीं हो पाई है, तो इसके पीछे केन्द्र की यूपीए सरकार की भी कोई समझ है।

अर्जेंटीना को ब्रिक्स का सदस्य बनाना चाहता है भारत

जुलाई शिखर सम्मेलन में इस मसले पर होगी चर्चा
नित्य चक्रवर्ती - 2014-05-13 10:07
नई दिल्लीः आगामी जुलाई महीने में ब्रिक्स का शिखर सम्मेलन ब्राजील में होने जा रहा है। ब्रिक्स में इस समय ब्राजील, रूस, इंडिया (भारत), चीन और दक्षिण अफ्रीका सदस्य देश हैं इन देशों के नाम के पहले अक्षरों को आपस में मिलाकर ही इस संगठन का नाम ब्रिक्स पड़ा है। अब भारत चाहता है कि अर्जेंटीना को भी इसका सदस्य बना दिया जाय। आगामी शिखर सम्मेलन में भारत के इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी।
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भाजपा को 200 से ज्यादा सीटें मिलने की संभावना

कांग्रेस की कीमत पर बढ़ेगी भाजपा की सीटें
अशोक बी शर्मा - 2014-05-12 11:40
12 मई को अंतिम चरण के मतदान के बाद सबकी नजरें 16 मई पर गड़ गई हैं। उस दिन चुनावी नतीजे आने वाले हैं। नतीजें क्या आएंगे, यह पहले से ही बहुत साफ दिखाई दे रहा है। अनेक मत सर्वेक्षणों के नतीजे हैं कि कांग्रेस और यूपीए की स्थिति बहुत ही खराब है। लोग बदलाव चाहते हैं। अब सिर्फ नम्बरों को लेकर ही अटकलें लगाई जा रही हैं।
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राजनीति अपने सबसे नीचले स्तर पर

उपेन्द्र प्रसाद - 2014-05-10 16:14
मतदान के अंतिम दौर में जाति का वह भी खासकर मोदी की जाति का जो सवाल खड़ा हुआ है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। नरेन्द्र मोदी की जाति ओबीसी श्रेणी में आती है, यह देश के अनेक राजनीतिज्ञों को पहले से ही पता था। जाति हमारे राजनैतिक सोच का एक बड़ा हिस्सा है, इसलिए राजनेता भी एक दूसरे की जाति सूंघने की कोशिश करते रहते हैं। इसलिए उन लोगों से नरेन्द्र मोदी की जाति छिपी हुई नहीं थी। पर मोदी की एक खासियत यह है कि उन्होंने इस लोकसभा चुनाव से पहले जाति की राजनीति कभी नहीं की। कहते हैं कि जब भाजपा नेताओं ने राजनीति के तहत मोदी की जाति का कार्ड खेलने का प्रस्ताव रखा था, तो उन्होंने इसका विरोध किया था। उनके समर्थकों में अगड़ी जातियों के लोगों की संख्या भी बहुत अच्छी है और वे नहीं चाहते थे कि पिछड़ा कार्ड खेलकर वे अगड़ी जातियों में अपनी स्वीकार्यता को कम करें। उनकी शिकायत थी कि उनको राजनैतिक रूप से कमजोर करने के लिए गुजरात में कांग्रेस ने उनकी पिछड़ी जाति के होने का कार्ड खेला था।
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दो लोकसभा क्षेत्रों पर सबकी नजर

अनुचित तुलना के कारण मूल विषय नजरअंदाज
कल्याणी शंकर - 2014-05-09 10:05
उत्तर प्रदेश के दो लोकसभा क्षेत्रों पर मीडिया की निगाह सबसे ज्यादा है। सच कहा जाय तो इन दोनों पर निगाहें जरूरत से ज्यादा है। ये क्षेत्र हैं अमेठी और बनारस। उन दोनों क्षेत्रों में प्रधानमंत्री पद के दो दावेदार चुनाव लड़ रहे हैं। बनारस से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं, तो अमेठी से कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के दावेदार राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं। नरेन्द्र मोदी को तो भारतीय जनता पार्टी और उसके नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने तो बतौर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर रखा है, जबकि कांग्रेस को ऐसा करने की जरूरत ही नहीं पड़ी है, क्योंकि राहुल गांधी उसके सहज अघोषित प्रधानमंत्री उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा भी है कि यदि चुनाव होने के बाद सांसद उन्हें प्रधानमंत्री बनाना चाहेंगे, तो उन्हें यह चुनौती स्वीकार होगी।