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भारत

मध्यप्रदेश की राजनीति घोटाले और भ्रष्टाचार की चपेट में

शिवराज सिंह चौहान पर सीधा हमला
एल एस हरदेनिया - 2014-06-28 10:46 UTC
भोपालः कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच चल रहे वाक्युद्ध ने एक नई ऊंचाई हासिल कर ली है। कांग्रेस अब तक राज्य सरकार के मंत्रियों, उनके रिश्तेदारों, अन्य राजनैतिक कार्यकत्र्ताओं व नेताओं और अधिकारयिों के खिलाफ ही आरोप लगा रही थी। पर उसने अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सीधा हमला करना शुरू कर दिया है। उनके हमले के दायरे में मुख्यमंत्री चैहान की पत्नी साधना सिंह भी आ गई हैं।
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कड़वी घूंट पीने के लिए कांग्रेस तैयार नहीं

मुख्यमंत्रियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है
कल्याणी शंकर - 2014-06-27 17:11 UTC
लोकसभा चुनावों में शर्मनाक हार का सामना करने के बाद भी कांग्रेस सीख लेने को तैयार नहीं है। इस चुनाव के पहले हुए अनेक विधानसभा चुनावों में उसे मुह की खानी पड़ी थी। लेकिन तक शायद ही कभी भी हार के कारणों पर मंथन करने की हिम्मत कांग्रेस ने जुटाई थी। इस लोकसभा चुनाव मे तो उसकी अन्य चुनावांे की अपेक्षा ज्यादा शर्मनाक हार हुई। देश के अधिकांश राज्यों में उसके खाते नहीं खुल पाए और किसी भी राज्य में उसे दहाई अंकों में लोकसभा की सीट नहीं मिली। इतनी बड़ी हार के बाद कांग्रेस में जिस तरह का आत्ममंथन होना चाहिए था, वह अबतक न तो हुआ है ओर न इसके होने के कोई लक्षण ही दिख रहे हैं।
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सरकार बनते ही महंगाई का डोज

मोदी सरकार को संभलकर चलना होगा
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-06-26 11:20 UTC
सरकार गठन के तुरत बाद केन्द्र सरकार ने रेल किरायों एवं ढुलाई भाड़ों में भारी वृद्धि कर अपने आलोचकों को अपने ऊपर हमला करने का मौका दे डाला। उसके बाद उसकी चीनी आयात को कम करने की नीति से चीनी की कीमतों में भी वृदिृध के आसार बन गए हैं। माल ढुलाई के भाड़े बढ़ने से सभी वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं, जाहिर है इसके कारण मुद्रास्फीति की स्थिति के और भी गंभीर बनने की संभावना बन गई।
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मोदी के विरोधी उनकी पार्टी के अंदर ही

इंतजार कर रहे हैं हिंदू कट्टरपंथी
अमूल्य गांगुली - 2014-06-25 10:50 UTC
प्रकृति की तरह राजनीति में भी शून्य नहीं रह सकता। यह सोचना गलत होगा कि बहुमत पाकर नरेन्द्र कुमार मोदी निश्चिंत होकर अपनी सरकार चलाते रहेंगे और उनके सामने कोई समस्या आएगी ही नहीं। हालांकि विपक्ष की इस चुनाव में करारी हार हुई है, लेकिन नरेन्द्र मोदी की अपनी पार्टी के अंदर से ही मिली चुनौतियों का सामना करता रहना पड़ेगा।
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असम कांग्रेस में अफरातफरी

गुटबाजी ने गोगोई को कमजोर कर दिया है
बरुण दास गुप्ता - 2014-06-24 12:52 UTC
कोलकाताः लोकसभा चुनाव में हुई भारी हार के कारण कांग्रेस आलाकमान की पकड़ प्रदेश कांग्रेस पर कमजोर पड़ती जा रही है। असम इसका एक उदाहरण है। वैसे कांग्रेस यहां भी हारी है। उस हार के कारण मुख्यमंत्री तरुण गोगाई की स्थिति भी काफी कमजोर हो गई है। अब उनसे इस्तीफा मांगा जा रहा है। वे इस्तीफा देना नहीं चाहते। उनके विरोधी अब कांग्रेस आलाकमान पर दबाव डाल रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाय। पर राष्ट्रीय स्तर पर शर्मनाक हार का सामना करने के बाद कांग्रेस आलाकमान का विश्वास भी जवाब दे रहा है। उसे यह समझ मे ंनहीं आ रहा है कि वह गोगाई को हटा दे या उन्हें अपने पद पर बनाए रखे और उनके विरोधी लोगों को ही डांट पिला दे। गोगाई के समर्थक और विरोधी फिलहाल कभी दिल्ली जाते हैं, तो कभी गौहाटी वापस आते हैं। उनका दिल्ली आना जाना तेज होता जा रहा है।
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राज्यपालों को हटाना मोदी के लिए आसान नहीं होगा

सुप्रीम कोर्ट का फैसला रास्ता रोक रहा है
हरिहर स्वरूप - 2014-06-23 10:05 UTC
यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि राज्यपाल के पदों का इस्तेमाल उन लोगों को दे दिया जाता है, जिन्हें जनता ने चुनाव में हरा दिया हो और जिसे पार्टी सरकार में नहीं खपा पाती। जो लोग चुनाव लड़ने से डरते हैं, उन्हें भी कभी कभी इस पद पर बैठा दिया जाता है। इसके अलावा, सेवानिवृत अधिकारियों को भी राज्यपाल पद पर इसलिए भेज दिया जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल में राजनीतिज्ञों की सेवा की थी।
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विदेश नीति पर खरी उतरेगी मोदी सरकार?

डा. शंकर स्वरूप शर्मा - 2014-06-21 11:07 UTC
मोदी सरकार को शपथ लेते हुए और सरकार का आगे बढ़ाने में अभी अधिक समय नहीं हुआ है उन पर अपनी विदेश नीति पर पकड़ मजबूत करने में काफी कठिनाई अनुभव हो रही है। चीन, अमरीका, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और अब इराक जो कि तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है उसमें भी भारत का अपनी नीति के तहत ढालना मुश्किल प्रतीत हो रहा है। पिछले तीन दिनों से प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मं़त्रालय लगातर इराक से संबंध साधने में लगा हुआ है। उत्तर क्षेत्र के राज्यों से इराक में गए भारतीयों को वहां मिलिटेंट गुट ने कैद करके रखा हुआ है। उनको छुड़ाने के लिए भारतीय विदेश विभाग जुटा हुआ लेकिन अभी तक उसका उनसे सम्पर्क नहीं हो पा रहा ताकि उन भारतीयों को सही सलामत भारत लाया जा सके। विदेश मंत्री श्रीमति सुषमा स्वराज उनके परिवार वालों को दिलासा देने में लगी हुई।

अच्छे दिनों के इंतजार में भारत

विजय कुमार मधु - 2014-06-21 10:59 UTC
जब भारत आजाद हुआ था तो ब्रिटिश हुकूमत ने सभी राजे-रजवाड़ों को स्वतन्त्र रहने के लिए छूट दे दी और भारत के विभाजन की लकीर खींच दी ताकि ये आपस लड़ मरे और फिर पुनः ये सब उनकी हुकूमत को तरसे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गुजरात प्रांत के नेता और लौहपुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने अपनी कुशाग्र बुद्धि से सभी को ना केवल एकत्रित किया बल्कि सभी राज्यों को भारतीय संविधान में अपने को नई सोच में ढालने की पेश की जिसमें वे अपने अधिकारों को सुरक्षित रख सकें और राजा-महाराजाओं के लिए वार्षिक तौर प्रिवीपर्स के धन-राशि भी तय कर दी लेकिन जब लौह-महिला इन्दिरा गांधी सत्ता में आई तो उन्होंने राजा-महाराजाओं के प्रिसीपर्स समाप्त कर दिए और वित्तीय संस्थाओं को भारतीय संविधान में ले लाई ताकि आम जनता तक उनकी सुविधाएं आसानी से पहुंच सकें।
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व्यापम घोटाले की आग आरएसएस के नेता तक

शर्मा की गिरफ्तारी के बाद चौहान के इस्तीफे की हो रही है मांग
एल एस हरदेनिया - 2014-06-21 09:19 UTC
भोपालः प्रसिद्ध गजल गायक स्वर्गीय जगजीत सिंह की एक पंक्ति है कि ’’ बात निकलेगी, तो बहुत दूर तलक जाएगी।’’ मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले पर जो लोग आज नजर लगाए हुए हैं, उनकी जुबान पर यह पंक्ति आज कल चढ़ी हुई है। लक्ष्मीकांत शर्मा की इस घोटाले में गिरफ्तारी के बाद अब और लोगों पर भी कहर टूटने की आशंका व्यक्त की जा रही है। गिरफ्तारी के पहले श्री शर्मा ने अपने विश्वस्त लोगों को कहा था कि यदि वे पकड़े गए, तो अन्य अनेक लोग भी पकड़े जाएंगे। अब वे वास्तव में पकड़ लिए गए हैं और जेल की हवा खा रहे हैं, तो सवाल उठना स्वाभाविक है कि और किन किन पर शामत आने वाली है।
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अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए कठोर कदम

क्या ऐसा कर पाएंगे प्रधानमंत्री मोदी
कल्याणी शंकर - 2014-06-20 11:56 UTC
गोवा में अपनी पार्टी के कार्यकत्र्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश की हालत को ठीक करने के लिए कुछ कठोर कदम उठाने पड़ सकते हैं और लोगों के बीच में उनकी जो अच्छी छवि बनी है, उसका थोड़ा नुकसान भी हो सकता है। उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में वहां उपस्थित लोगों से पूछा कि उन्हें क्या इस तरह के कदम उठाने चाहिए। इसका स्वाभाविक जवाब था हां उठाने चाहिए।