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भारत

आम आदमी पार्टी का संकट

गलत लोगों की घुसपैठ ने नैया डुबोई
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-06-07 16:42 UTC
अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी का जितनी तेजी से उभार हुआ था, उतनी तेजी से ही उसका पतन होता दिखाई पड़ रहा है। पिछले साल दिसंबर महीने की दिल्ली विधानसभा चुनाव में सफलता पाने के बाद पार्टी के नेताआंे ने एक से बढ़कर एक गलतियां की, जिसका खामियाजा इसे भुगतना पड़ा है। कोई एक गलती की होती, तक तो बात शायद इतनी नहीं बिगड़ती, पर इसने तो गलतियों की श्रृंखला ही तैयार कर दी।
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तेलंगाना के गठन के बाद नवनिर्माण की चुनौतियां

कल्याणी शंकर - 2014-06-06 16:09 UTC
तेलंगाना अब एक वास्तविकता बन गया है। भारत संघ के 29 वें प्रदेश के रूप में उसने अस्तित्व प्राप्त कर लिया हैं। अब सवाल उठता है कि आगे क्या होगा? इसमें शक नहीं कि जिन पार्टियों और नेताओं ने इस राज्य के गठन के लिए संघर्ष किया, वे सफलता पाने के बाद इतरा रहे हैं, लेकिन गठन के साथ ही उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता है। नवगठित प्रदेश के सामने आज अनेक चुनौतियां हैं और अवसर भी। तेलंगाना और पड़ोसी आंध्र प्रदेश के बीच कटुता पैदा हो गई है, लेकिन दोनों प्रदेशों को इस कटुता को भूलकर एक दूसरे के सहयोग से अपने अपने विकास के काम को अंजाम देना चाहिए। दोनों राज्यों में पिछले विधानसभा चुनाव ने स्थाई सरकारें दी हैं। यह अच्छी बात है। दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को आपसी सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
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भाजपा बन गई है तृणमूल की मुख्य विरोधी पार्टी

कांग्रेस और वाम हाशिए पर
आशीष बिश्वास - 2014-06-05 16:55 UTC
कोलकाता: पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 42 में से कुल 36 सीटें मिलीं। सीटों के लिहाज से इसे तृणमूल का शानदार प्रदर्शन कहा जा सकता है। चुनाव के पहले ममता बनर्जी कह रही थीं कि उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसने पश्चिम बंगाल से बाहर भी अपने अनेक उम्मीदवार खड़े कर डाले थे। पर प्रदेश के बाहर के उसके सारे उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गई। तृणमूल उम्मीदवारों को सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही जीत हासिल हो सकी।
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दिल्ली विधानसभा के मध्यावधि चुनाव की सुगबुगाहट

अक्टूबर में हो सकते हैं चुनाव
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-06-05 03:48 UTC
नई दिल्लीः केन्द्र की दिल्ली सरकार के गठन के बाद अब प्रदेश की दिल्ली सरकार का मामला भी सुलटना है। राजनैतिक हलकों में पहले कयास लगाया जा रहा था कि केन्द्र की सरकार बनने के दिल्ली की प्रदेश राजनीति की गतिविधियां बढ़ेंगी और निलंबित विधानसभा से ही कोई सरकार निकल जाएगी। पर ऐसा होना अब नामुमकिन लगता है।
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हारने वाले सिर्फ राहुल ही नहीं हैं

हार केजरीवाल और करात की भी हुई है
अमूल्य गांगुली - 2014-06-03 10:29 UTC
पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की हार की चर्चा तो खूब हो रही है, पर हारने वाले लोग और भी हैं उनमें से अरविंद केजरीवाल और प्रकाश करात भी शामिल हैं। राहुल की तरह इन दोनों की मिट्टी भी काफी पलीद हुई है। अरविंद केजरीवाल की इस पराजय की भविष्यवाणी तो उनके गुरू अन्ना हजारे ने ही कर दी थी। उन्होंने केजरीवाल का सत्ता का भूखा कहा था।
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राज्यपालों पर मोदी की नजर

कुछ को इस्तीफा देने के लिए कहा जा सकता है
हरिहर स्वरूप - 2014-06-02 15:13 UTC
कांग्रेस सिकुड़कर लोकसभा में 44 सीटों तक सीमित हो गई है, लेकिन कांग्रेसी इस समय कम से कम 18 राज्यों में राज्यपाल के पदों पर विराजमान हैं। क्या नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए उन्हें हटाना संभव हो पाएगा? सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की पृष्ठभूमि में उन्हें हटाना आसान नहीं होगा। लेकिन पुराने अनुभवों देखते हुए उन्हें बर्खास्त करने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। पहले तो उन्हें इस्तीफा देने के लिए का जा सकता है और वैसा नहीं करने पद उन्हें उनके पदों से हटाने का आदेश जारी किया जा सकता है।
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मध्यप्रदेश कांग्रेस का आत्ममंथन

कड़वे सच से होगा साक्षात्कार
एल एस हरदेनिया - 2014-06-01 14:10 UTC
भोपालः जब मध्यप्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रामेश्वर नीखरा से प्रदेश में कांग्रेस की शर्मनाक हार का कारण पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मामले में हमारा आत्ममंथन पूरा नहीं हुआ है। इसमें करीब एक महीना लग सकता है और उसके बाद ही हम इसके कारणो के बारे में कुछ कह सकेंगे। गौरतलब हो कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की कुल 29 सीटों में से मात्र 2 पर ही विजय हासिल हुई थी।
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नरेन्द्र मोदी सरकार की विदेश नीति

शुरुआत अच्छी है
कल्याणी शंकर - 2014-05-30 17:01 UTC
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी जादुई टोपी से उस समय कबूतर निकाले, जब उन्होंने अपने शपथग्रहण समारोह में सार्क देशों की सरकारों के प्रमुखों को आमंत्रित कर डाला। शपथ ग्रहण के अगले दिन उन्होंने सभी सरकार प्रमुखों से अलग अलग बात करके उनके मन को जानने की कोशिश भी की। इसमें कोई शक नहीं कि ऐसा करके उन्होंने देश भर की प्रशंसा पाई है, लेकिन यह कहना अभी मुश्किल है कि उनकी विदेश नीति का वास्तविक दिशा कैसी होगी।
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नरेन्द्र मोदी की अच्छी शुरुआत

संघ का सरकार गठन में प्रभाव नहीं
अमूल्य गांगुली - 2014-05-30 01:16 UTC
नरेन्द्र मोदी के कैबिनेट की तीन विशेषताएं हैं। सबसे पहली विशेषता तो इसका छोटा होना है। इसमें 45 सदस्य हैं, जबकि मनमोहन कैबिनेट में 77 सदस्य थे। दूसरा, कैबिनेट को देखकर इस बात की पुष्टि हो जाती है कि भाजपा में प्रतिभा का अकाल है। अरुण जेटली को एक साथ ही वित्त और रक्षा जैसे दो विशालकाय मंत्रालय दिए जाने का और कोई कारण नहीं हो सकता है।
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केरल का केन्द्रीय कैबिनेट में प्रतिनिधित्व नहीं

क्या मोदी सरकार इसकी सुध लेगी?
पी श्रीकुमारन - 2014-05-28 16:42 UTC
तिरुअनंतपुरमः जैसी कि पहले से उम्मीद की जा रही थी, नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में केरल को कोई जगह नहीं मिली है। यदि इसे जगह नहीं मिली है, तो इसके लिए खुद यही जिम्मेदार है। 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के किसी उम्मीदवार को जीत दिलाने में यह विफल रहा। वैसे भाजपा का कोई प्रत्याशी यहां से न तो लोकसभा में और न ही विधानसभा में जीत पाया है, लेकिन इस बार लग रहा था कि तिरुअनंतपुरम से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पी राजगोपाल चुनाव जीत भी सकते हैं, हालांकि चुनाव नतीजे आने के बाद पता चला कि वे जीतते जीतते रहे गए। अब चूंकि केरल से कोई भाजपा सांसद है ही नहीं, तो फिर किसी के केन्द्र की भाजपा सरकार में मंत्री बनने की संभावना ही कहां रह जाती?