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भारत

नई सरकार के सामने चुनौतियों का पहाड़

क्या देश को अर्थसंकट से बाहर कर पाएंगे मोदी
उपेन्द्र प्रसाद - 2014-05-27 09:36 UTC
तीन दशक बाद पहली बार केन्द्र में एक पार्टी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी है। यह प्रशासन की दृष्टि से अच्छी बात है, पर सवाल यह है कि नरेन्द्र मोदी की सरकार उन समस्याओं को हल कर पाएगी, जो आज हमारे देश के सामने खड़ी है। 1991 में नरसिंहराव की सरकार जब बनी थी, तो उस समय भी भारी अर्थसंकट चल रहा था। महंगाई बढ़ी हुई थी। विदेशी मुद्राकोष खाली पड़ा था। सरकार को देश की प्रतिष्ठा अंतरराष्ट्रीय बाजार में बचाने के लिए सोने तक को गिरवी रखना पड़ा था। वैसे माहौल में नरसिंह राव ने सत्ता संभाली थी और उनकी पार्टी के पास बहुमत भी नहीं था।

बांग्लादेश मोदी के पीएम बनने से चिंतित

विपक्ष ने सरकार मोदी को बधाई देने पर हसीना को कोसा
आशीष बिश्वास - 2014-05-27 01:47 UTC
कोलकाताः नरेन्द्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद जहां वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उन्हें बधाई दी है, वहीं वहां का विपक्ष भयभीत है। उसने मोदी को बधाई देने के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना भी की है।
भारत

मध्यप्रदेश में कांग्रेस का सफाया

चौहान ने दिलाई भाजपा को भारी जीत
एल एस हरदेनिया - 2014-05-24 17:48 UTC
भोपालः यह 1977 के लोकसभा चुनाव की लगभग पुनरावृति थी। उस साल के चुनाव में पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो गया था, लेकिन मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में ही उसके एक उम्मीदवार जीते थे। इस बार भी मध्यप्रदेश मंे कांग्रेस का सफाया हो गया है और छिंदवाड़ा ने उसकी इज्जत बचाई। हालांकि मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा के अलावा उसकी जीत गुना मंे भी हुई है, जहां से उसके उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव जीते हैं। छिंदवाड़ा से तो कमलनाथ 1980 से लगातार जीतते आ रहे हैं। सिर्फ एक बार वे पराजित हुए थे। वे आठवीं बार लोकसभा में छिंदवाड़ा का नेतृत्व कर रहे हैं।
भारत

वंश कांग्रेस की समस्या का समाधान नहीं

आमूलचूल बदलाव ही कांग्रेस को बचा सकता है
कल्याणी शंकर - 2014-05-23 17:16 UTC
कांग्रेस के अन्दर बदलाव की चाहे जितनी बात हो, लेकिन बदलता कुछ नहीं है। अपनी सबसे शर्मनाक पराजय के बाद कांग्रेस में जिस तरह की प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही हैं, उससे इस बात की पुष्टि होती है। यह सच है कि कोई यह उम्मीद नहीं करता कि कांग्रेस नेहरू खानदान से छुटकारा पा लेगा, क्योंकि यही पार्टी को एक करके रखता है। यही कारण है कि खानदान की गिरती साख के बावजूद कांग्रेस पर यह खानदान हावी है। यह खानदान अब पार्टी की जीत सुनिश्चित नहीं कर सकता। उसके उम्मीदवारों को वोट भी नहीं दिला सकता, लेकिन पार्टी को एक रखने की क्षमता अभी भी इसमें शेष बची हुई है। इसलिए नेतृत्व में बदलाव भी इस समय कोई विकल्प नहीं है। कांग्रेस के लिए आज जरूरी यह है कि इसमें आमूलचूल बदलाव हो।
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पश्चिम बंगाल में वामदल हाशिए पर

भाजपा को मिली बड़ी बढ़त
आशीष बिश्वास - 2014-05-23 05:02 UTC
कोलकाताः लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पश्चिम बंगाल में एक तथ्य सबका सिर चकरा रहा है और वह यह है कि भाजपा की बढ़त से वाम दल हाशिए पर क्यों चले गए। भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ रहा है, यह तो साफ दिखाई दे रहा था, लेकिन इसके कारण माना जा रहा था कि तृणमूल कांग्रेस को नुकसान होगा और वामपंथी दलों को फायदा होगा।
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भाजपा की यह रिकार्ड तोड़ जीत क्यों?

जाति समीकरण उसके अनुकूल थी
उपेन्द प्रसाद - 2014-05-22 04:13 UTC
कुछ राजनैतिक विश्लेषकांे का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में लोगों ने जाति की दीवारें तोड़ दीं और इसके कारण भारतीय जनता पार्टी की रिकार्ड तोड़ जीत हुई। लेकिन सचाई यह नहीं है। सचाई यह है कि जातीय समीकरण भारतीय जनता पार्टी के पक्ष मे थे, इसलिए उसकी जीत हुई। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड की 134 लोकसभा सीटों में से भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों को 116 सीटें मिलीं। भाजपा को खुद 105 सीटें मिली। यदि शेष 11 सीटों पर भी भाजपा के ही उम्मीदवार होते, तो भी उन क्षेत्रों से वे ही जीतते।
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उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, सपा और बसपा का सूपड़ा साफ

मोदी लहर ने कहर बरपाया
प्रदीप कपूर - 2014-05-20 11:49 UTC
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा के चुनाव ने तीन प्रधानमंत्री उम्मीदवारों की उम्मीदों पर न केवल पानी फेर दिया है, बल्कि उन्हें सदमे में भी डाल दिया है। राहुल गांधी, मुलायम सिंह यादव और मायावती प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे थे, लेकिन सपना पूरा होना तो दूर, तीनों के सामने अस्तित्व का संकट भी खड़ा होता दिखाई दे रहा है।

भारत

गठबंधन युग का अंत

भाजपा को मिला अकेले बहुमत
हरिहर स्वरूप - 2014-05-19 17:26 UTC
बीस साल पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमण ने कहा था कि भारत में गठबंधन राजनीति के युग की शुरुआत हो गई है। अब दो दशक के बाद गठबंधन युग का अंत हो गया है। गठबंधन की राजनीति के युग का अनुभव कोई अच्छा नहीं रहा है। गठबंधन प्रभावी सरकार चलाने में विफल रहा है।
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कांग्रेस की ऐतिहासिक पराजय

उपेन्द्र प्रसाद - 2014-05-17 17:47 UTC
लोकसभा का पिछला चुनाव इस मायने में भी ऐतिहासिक है कि इसमें कांग्रेस को अबतक की सबसे करारी हार मिली है। इसके मात्र 45 सांसद लोकसभा में जीतकर आए हैं। इसके पहले 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे कम सीटें मिली थीं। उस समय भी कांग्रेस का नेतृत्व सोनिया गांधी ही कर रही थीं। तब उसे मात्र 112 लोकसभा सीटें मिली थीं। 1998 में सीताराम केसरी के नेतृत्व में हुई 140 सीटो पर जीत से वह बहुत कम थी। गौरतलब हो कि 140 सीटों पर हुई जीत को नाकाफी मानते हुए कांग्रेसियों ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में सीताराम केसरी को अपमानित कर हटा दिया था।

केरल कांग्रेस (मणि) ने दी कांग्रेस को चेतावनी

भाजपा 16 मई के बाद नहीं रहेगी अछूत
पी श्रीकुमारन - 2014-05-16 10:23 UTC
तिरुअनंतपुरमः आने वाली घटनाओं की छाया पहले ही दिखाई पड़ने लगती है, ऐसा कई लोग कहते हैं। केरल में कुछ ऐसा ही होता दिखाई पड़ रहा है। केरल कांग्रेस (मणि) ने कुछ इसी तरह के संकेत दिए हें। उसने यूडीएफ का नेतृत्व कर रही कांग्रेस को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह राजनैतिक छुआछूत में विश्वास नहीं करती।