वर्ष के आगाज की यह उम्मीद
अंत निराशानक नहीं हो सकता
2013-01-07 13:15
-
वर्ष 2012 का अंत अगर हमारे देश की बेटी की भयानक त्रासदी के साथ हुई तो दूसरी ओर इसके विरुद्ध देश भर में उभरा आक्रोश का परिदृश्य नए वर्ष के लिए बेहतर उम्मीद भी जगा रहा है। अगर 2011 के अंत एवं 2012 की शुरुआत को याद करें तो उस समय मुंबई में अन्ना हजारे और उनके साथियों के अनशन में जन समर्थन के अभाव से निराशा का माहौल पैदा हो गया था। उनके साथियों ने यह वक्तव्य दिया था कि हमारा आंदोलन इस समय निराशाजनक स्थिति में है और लोग सुझाव दें कि हम आगे क्या करें। सरकार और सरकारी पार्टी उस अभियान का उपहास उड़ा रही थी। यानी 2011 का अंत तथा 2012 की शुरुआत जनांदोलन एवं परिवर्तन के लिए बाध्यकारी दबाव की दृष्टि से निराशाजनक था। 2012 के अंत एवं 2013 की शुरुआत में स्थिति उलट है।