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कोरोना महामारी और हम

निबटने के झोलाछाप तरीके ही बढा रहे हैं संकट
अनिल जैन - 2021-05-26 12:05
भारत में नौकरशाही तो राजनीतिक सिस्टम का हिस्सा बहुत पहले से बनती रही है। आर्थिक, वैदेशिक और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और सलाहकार भी सरकार के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व की भाव-भंगिमा के अनुरूप सलाह देते रहे हैं, लेकिन कोरोना महामारी के दौर में यह पहली बार देखने को मिल रहा है शीर्ष पदों पर बैठे डॉक्टर और वैज्ञानिक भी पूरी तरह राजनीतिक सिस्टम का हिस्सा बन चुके हैं। वे भी सरकार की शहनाई पर तबले की संगत दे रहे हैं, यानी वही सब कुछ बोल रहे हैं जैसा सरकार चाहती है। समझ में ही नहीं आ रहा है कि देश में कोरोना महामारी से उपजे संकट का प्रबंधन कौन संभाल रहा है? डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की सरकार परस्ती का खामियाजा आम लोगों को सिर्फ आर्थिक रूप से ही नहीं उठाना पड रहा है, बल्कि उनकी सेहत के साथ भी गंभीर खिलवाड हो रहा है।

नरेंद्र मोदी फिर 2002 में वापस आ गए हैं

विश्व को संदेह है कि मोदी सरकार महामारी से निपटने की क्षमता रखती है
अमूल्य गांगुली - 2021-05-25 10:00
नरेंद्र मोदी के लिए पहिया पूरा घूम गया है। जिस तरह 2002 के गुजरात दंगों के बाद अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों में वे व्यक्तित्वहीन थे, उसी तरह उन्हें यूरोप और अमेरिका में फिर से निंदा का सामना करना पड़ रहा है, मुख्य रूप से मीडिया। इतना काफी नहीं था, तो सरकारों से भी उन्हें निंदा का सामना करना पड़ रहा है।

भारत का वैक्सिन संकट

गलती कहां हुई?
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-05-24 11:27
भारत ने कोरोना संकट के दौरान वह सब कुछ देखा, जिसकी कुछ महीने पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। लोग अस्पतालां में भर्त्ती होने के लिए दौड़ लगा रहे थे, लेकिन बेड नहीं मिल रहे थे। कहीं कहीं तो बेड की कालाबाजारी हो रही थी। अस्पताल में बेड पाने में असमर्थ लोग ऑक्सीजन के लिए दौड़ रहे थे, ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी। हॉस्पीटल में भर्त्ती लोगों को भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी। ऑक्सीजन के बिना हॉस्पीटल में भर्त्ती और हॉस्पीटल से बाहर हजारों क्या लाखां लोगों की मौत हो गई। भारत ने यह भी देखा कि भारी संख्या में लोग शवों में यमुना और गंगा में बहा रहे थे। दाह संस्कार के लिए उनके पास पैसे नहीं रहे होंगे। मामला शवों को बहाने तक सीमित नहीं था, अनेक लोग शवों को गंगा किनारे की रेत में दबा भी रहे थे, जो हवा चलने और रेतों के उड़ने के कारण सबकी आंखों के सामने आ गए।

डूबने से बचने की कोशिश कर रहा है आरएसएस

लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार ने व्यावहारिक रूप से कुछ नहीं किया
बिनॉय विश्वम - 2021-05-22 10:09
मोदी सरकार का वैचारिक अग्रदूत आरएसएस खुलकर सामने आया है. जबकि प्रधान मंत्री और उनकी टीम अपने विशिष्ट शैली में महामारी की दूसरी लहर से उत्पन्न गंभीर स्थिति को संभाल रही है, आरएसएस के संरक्षक संकट की वास्तविक गंभीरता को समझ सकते हैं। यह एक प्रणालीगत संकट है जिसने सरकार की इमारतों को हिलाना शुरू कर दिया है। आरएसएस यह अनुमान लगा सकता है कि केवल प्रधान मंत्री की सामान्य बयानबाजी से इसे दूर नहीं किया जा सकता है। पवित्र गंगा में तैरते मानव शरीर एक संदेश द रहे हैं। यह संकट के सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक आयाम के बारे में बताता है जो मोदी सरकार की स्वास्थ्य नीति का शुद्ध परिणाम है। अन्य क्षेत्रों की तरह, नीति कॉर्पोरेट पूंजी के असीम लालच की ऋणी है। इससे उत्पन्न मानवीय निराशा और क्रोध कोई सामान्य बात नहीं है जिसे सामान्य उपायों द्वारा दूर किया जा सकता है।

मध्य प्रदेश में कोविड की स्थिति में सुधार से राहत

सार्वजनिक भागीदारी आधारित मॉडल की सफलता
एल एस हरदेनिया - 2021-05-21 11:51
भोपालः मध्य प्रदेश की दूसरी कोरोना लहर शुरू होने के बाद से भारी मुश्किलों का सामना करने के बाद पिछले दो-तीन दिनों से लोग कुछ राहत महसूस कर रहे हैं। समाचार पत्र नए मामलों की संख्या में गिरावट और मौतों की संख्या के बारे में रिपोर्ट दे रहे हैं।

दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित भारत क्यों?

सरकार की अविवेकपूर्ण नीतियां इसके लिए जिम्मेदार
डॉ अरुण मित्रा - 2021-05-20 13:15
कोविड मामलों की संख्या और इससे होने वाली मौतों की संख्या गंभीर चिंता का विषय है। वर्तमान में भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दुनिया में कोविड मामलों की कुल संख्या में दूसरे नंबर पर है। यह सच है कि हमारे पास एक बड़ी आबादी है और इसलिए संख्या अधिक है, लेकिन दक्षिण एशिया के अन्य देशों के साथ अनुपातिक संख्या की तुलना भी चिंताजनक है। हम एक ही जातीय पृष्ठभूमि से आते हैं, समान संस्कृति, भोजन की आदतें, पोषण की स्थिति है और आय में असमानताओं के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तक पहुंच में असमानताएं समान हैं।

कोरोना ने कामकाजी महिलाओं को बना दिया है बेरोजगार

घरों में काम करने वाली महिलाओं की सरकार सहायता करे
एल. एस. हरदेनिया - 2021-05-19 09:53
लॉकडाउन के कारण वेतनभोगी लोगों को छोड़कर समाज का कोई वर्ग ऐसा नहीं है जिसकी आय लगभग शून्य न हो गई हो। इसी तरह के वर्ग में घरेलू कामकाज करने वाली महिलाएं (जिन्हें डोमेस्टिक वर्कर कहा जाता है) शामिल हैं।

कोविशील्ड पर असमंजस में लोग

सरकार की सफाई ने भ्रम और भी बढ़ाया है
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-05-18 09:57
मोदी सरकार कोरोना संकट शुरू होने के साथ ही बहुत ही गैरजिम्मेदारान तरीके से इसे हैंडल कर रही है। शुरू में ही लॉकडाउन का जिम्मा उसे राज्य सरकारों को देना चाहिए था और जहां जरूरत थी, वहीं लॉकडाउन लगाना चाहिए था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने एक साथ ही पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया और उसके साथ जो समस्याएं आने वाली थी, उसके बारे में कुछ भी सोचना जरूरी नहीं समझा। केन्द्र सरकार ने गड़बड़ियों का एक लंबा सिलसिला शुरू किया, जो अभी भी जारी है। पांच राज्यों में चुनाव को लंबा खींचवाना और कुम्भ की इजाजत देना केन्द्र सरकार के ऐसे दो कदम हैं, जिनके कारण देश में कोरोना की दूसरी बहुत ही भयानक लहर उठी और उसमें करोड़ों परिवार तबाह हो गए। इसके लिए दुनिया भर में नरेन्द्र मोदी निंदा हो रही है। लापरवाही और गैरजिम्मेदारी यही तक सीमित नहीं है।

शर्म निरपेक्ष सत्ता की संवेदना के मरने का ऐलान करते बयान

भागवत अब मोदी के पिछलग्गू हो गए हैं
अनिल जैन - 2021-05-17 11:03
एक तरफ दुनिया के तमाम छोटे-बडे़ और अमीर-गरीब सभ्य देश हैं, जिन्होंने भारत में कोरोना महामारी के चलते अस्पतालों में मरीजों की भीड, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं के अभाव में असमय दम तोड रहे लोगों, श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए लगी कतारों, जलती चिताओं से उठती लपटों, नदियों में तैर रही इंसानी लाशों पर मंडराते चील-कौवों की तस्वीरे देख कर सच्ची संवेदना दिखाई है और मदद का हाथ आगे बढ़ाया है। तो दूसरी ओर भारत में केंद्र सरकार, सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ओर से लगातार मगरूरी भरे ऐसे बयान आ रहे हैं, जो लोगों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं।

यूपी पंचायत चुनाव के नतीजों के संदेश

अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराया जा सकता है
प्रदीप कपूर - 2021-05-15 10:14
लखनऊः पंचायत के नतीजों के बाद भाजपा की प्रमुख जिलों में अपमानजनक हार का सामना करने के बाद विपक्ष उत्साहित है।