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झारखंड में चुनाव दिसंबर में

क्या जीत के प्रति आश्वस्त नहीं है भाजपा?
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-09-23 09:55
दो राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। इस साल के अंत तक तीन राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव होने हैं। वे राज्य हैं- हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड। इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि तीनों राज्यों के चुनाव एक साथ ही हो जाएंगे। वैसे यह सच है कि झारखंड की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त होगा, जबकि अन्य दोनों राज्यों की विधानसभाओं के कार्यकाल नवंबर के आरंभिक दिनों में समाप्त होंगे। लेकिन नवंबर और दिसंबर में बहुत ज्यादा का अंतर नहीं होता। और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो एक साथ ही देश की सभी विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा के चुनाव के साथ कराने की बातें बार बार करते रहते हैं। इसलिए अनुमान लगाया जा रहा था कि झारखंड विधानसभा का चुनाव भी हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव के साथ हो जाएगा।

भाषाई विविधता भारत की सभ्यतागत पहचान है

हिन्दी थोपने का अमित शाह का विचार लोकतंत्र विरोधी है
सागरनील सिन्हा - 2019-09-21 10:08
भारत विभिन्न भाषाओं, धर्मों, जातियों और विभिन्न खाद्य पदार्थों, संस्कृतियों और पहनावों का देश है। यदि कोई चीज जो भारत को वैश्विक मंच पर गर्वित करती है, वह है यह विविधता, जो यहां सदियों से मौजूद है। ऐसा नहीं है कि इस आधुनिक सदी में ऐसे देश नहीं हैं जो विविधता के लिए जाने जाते हैं। जाहिर है, समृद्ध भाषाई विरासत वाले कई देश हैं। लेकिन, भारत इस दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिन्हें अविश्वसनीय भाषाई और सांस्कृतिक बहुलता वाली संस्कृतियों के उत्कर्ष का एक लंबा सभ्यतागत इतिहास विरासत में मिला ।

मानसून ने मध्य प्रदेश में मचाई महातबाही

खड़ी फसलें, जानवर और इंसानों की हुई बर्बादी
एल एस हरदेनिया - 2019-09-20 09:42
भोपालः बेमौसम बारिश ने मध्य प्रदेश को भारी नुकसान पहुंचाया है। मानव जीवन, खड़ी फसलों, घरों, और मवेशियों को हुआ नुकसान बहुत बड़ा है। सबसे ज्यादा नुकसान मंदसौर जिले में हुआ है, जहां 40 लोग पहले ही अपनी जान गंवा चुके हैं।

फारूक अब्दुल्ला को पीएसए में बंद करना अतिवादी कदम

पूर्व मुख्यमंत्री के साथ हो रहा है भारी अन्याय
अमृतानंद चक्रवर्ती - 2019-09-19 08:56
15 सितंबर, 2019 की रात को, जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट, 1978 (पीएसए) के तहत अनुभवी नेता जम्मू-कश्मीर के तीन बार के मुख्यमंत्री लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला को गिरफ्तर कर लिया। वैसे वे पहले से ही अपने घर में नजरबंद थे। श्री अब्दुल्ला को 5 अगस्त 2019 से ही केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 की समाप्ति के साथ 42 दिनों की अवधि के लिए नजरबंद रखने के बाद यह अभूतपूर्व कार्रवाई हुई। अपने घर नजरबंदी के हफ्तों के बाद उनके सहयोगी श्री वाइको ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। अदालत के सामने पेश करने की मांग की थी और सरकार से उनकी हिरासत की वैधता के बारे में पूछा था। न्यायिक जांच से बचने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने रात में ही पीएसए के तहत श्री अब्दुल्ला को हिरासत में लेने का फैसला किया, लेकिन यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या यह आदेश वास्तव में 42 दिनों के लिए उनके घर में नजरबंदी को वैध बना सकता है। कई लोग कहेंगे कि यह नहीं हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने काॅमन सिविल कोड की हिमायत की

मोदी को इसे संभव बनाने का जनादेश प्राप्त है
कल्याणी शंकर - 2019-09-18 10:09
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय के आग्रह के बाद एक समान नागरिक संहिता के लिए आगे बढ़ेंगे? सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह एक बार फिर से इस तरह के एक कोड के पक्ष में अपनी राय दी है, जो यह बताता है कि संविधान के निर्माताओं को उम्मीद थी कि राज्य इस तरह के कोड में लाएगा। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने शुक्रवार को कहा, ‘‘हालांकि हिंदू कानूनों को वर्ष 1956 में संहिताबद्ध कर दिया गया था, लेकिन देश के सभी नागरिकों पर एक समान नागरिक संहिता लागू करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।’’

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को ब्राह्मण ही श्रेष्ठ क्यों लगते हैं?

वे अपनी पूर्ववर्ती स्पीकर के नक्शे कदम पर ही चल रहे हैं
अनिल जैन - 2019-09-17 09:45
मौजूदा वक्त में जब देश की तमाम संवैधानिक संस्थान और उनमें बैठे लोग अपने पतन की नित्य नई इबारतें लिखते हुए खुद को सरकार के दास के रूप में पेश कर रहे हों, तब ऐसे माहौल में लोकसभा अध्यक्ष भी कैसे पीछे रह सकते हैं! हालांकि इस सिलसिले में सोलहवीं लोकसभा की अध्यक्ष रहीं सुमित्रा महाजन भी ऐसा काफी कुछ कर गई हैं, जिससे इस संवैधानिक पद की मर्यादा का हनन हुआ है। लेकिन जो वे नहीं कर सकीं, उसे अब सत्रहवीं यानी मौजूदा लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला पूरा करते दिख रहे हैं। बाकी मामलों में तो वे अपनी पूर्ववर्ती के नक्श-ए-कदम पर चल ही रहे हैं।

भाजपा कमलनाथ के खिलाफ चला रही है घंटानाद अभियान

मध्य प्रदेश कांग्रेस कह रही है कोई संकट नहीं
एल एस हरदेनिया - 2019-09-16 14:31
भोपालः शायद मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस में विभाजन का फायदा उठाने के लिए, मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने संघर्ष का रास्ता अपनाया है। इस रणनीति के एक हिस्से के रूप में, भाजपा ने ‘घंटनाद’ नामक एक अभियान चलाया। राज्य भर के भाजपा कार्यकर्ताओं ने घंटी बजाकर कमलनाथ सरकार की विफलताओं पर लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश की। आंदोलनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग का सहारा लिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

जेएनयू में लेफ्ट की जीत के सबक

सीपीआई, सीपीआई(एम) और सीपीआई(एमएल) की एकता जरूरी
अरुण श्रीवास्तव - 2019-09-14 07:44
लेफ्ट यूनिटी अलायंस के उम्मीदवारों ने जेएनयू छात्र संघ चुनावों में जीत की झड़ी लगा दी। गठबंधन ने जेएनयूएसयू चुनावों के लिए सभी चार प्रमुख केंद्रीय पदों को जीता है। हालांकि आधिकारिक तौर पर अदालत के आदेश के बाद 17 सितंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे, यह फैसला पहले से ही जेएनयू के सभी छात्रों को पता है।

मूर्ति विसर्जन में मौत के जिम्मेदार कौन

सुरक्षा की अनदेखी से होती है विसर्जन में मौत
राजु कुमार - 2019-09-14 07:41
भोपाल में गणपति विसर्जन के दरम्यान हुए हादसे में 11 लोगों की जान चली गई। इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों ने प्रशासनिक लापरवाही को बड़ा कारण बताया है। ऐसे हादसे जेहन में कुछ दिन रहते हैं और फिर ये स्मृतियों से गायब हो जाते हैं। मध्यप्रदेश सहित देश के कई राज्यों में ऐसी घटनाओं का न तो यह पहला मामला है और शायद न ही आखिरी होगा। ऐसे मामलों में प्रशासनिक लापरवाही के साथ-साथ विसर्जन में शामिल लोगों द्वारा सुरक्षा के हर इंतजाम का अनदेखी करना एक बड़ा कारण होता है, लेकिन हादसे के बाद सुरक्षा इंतजामों की अनदेखी पर कोई बात नहीं करता।

असम में एनआरसी संविधान के खिलाफ नहीं

वहां के लोगों की चिंता को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते
सागरनील सिन्हा - 2019-09-13 09:25
जब से असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स की अंतिम सूची प्रकाशित हुई है, जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों को बाहर रखा गया है, इसकी काफी आलोचना हो रही है। विशेष रूप से, एनआरसी को ‘मोदी सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कसरत’ के रूप में बुद्धिजीवियों के एक वर्ग द्वारा लेबल किया गया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इसकी अंतिम सूची त्रुटियों से मुक्त नहीं है, लेकिन इस प्रक्रिया को धार्मिक रंग देना गलत है।