Loading...
 
Skip to main content

View Articles

कोविड काल में आंदोलन पर रोक स्वागत योग्य

केरल कम्युनिटी फैलाव के मुहाने पर
पी श्रीकुमारन - 2020-07-17 09:53 UTC
तिरुअनंतपुरमः केरल उच्च न्यायालय के कोविड काल के दौरान आंदोलन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश बहुत ही सही समय पर आया है।

सचिन पायलट के पास सीमित विकल्प

कांग्रेस में बने रहना ही उनके लिए बेहतर होगा
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-07-16 17:12 UTC
सचिन पायलट अषोक गहलौत की सरकार को तो संकट में डाल नहीं सके, अब खुद वे राजनैतिक संकट का सामना कर रहे हैं। वे कुछ दिन पहले राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष थे। अब वे उस पद से हटा दिए गए हैं। वे प्रदेश की सरकार में उपमुख्यमंत्री थे। वहां से भी हटा दिए गए हैं। फिलहाल वे कांग्रेस से विधायक हैं और टोंक विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी विधायकी पर भी अब खतरा मंडरा रहा है। उनके साथ 18 अन्य कांग्रेस विधायकों की विधायकी भी खतरे में पड़ गई है।

दुबे मुठभेड़ ने एक बार फिर राजनीति के अपराधीकरण को उजागर किया है

नेताओं और अपराधियों का नापाक गठबंधन भारत को तबाह कर रहा है
कल्याणी शंकर - 2020-07-15 09:48 UTC
भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने हाल ही में एक आभासी रैली को संबोधित करते हुए कहा, “राजनीति के अपराधीकरण ने नई ऊंचाइयों को छुआ है, अब हम सभी बंगाल में ‘कट मनी’ के बारे में सुनते रहते हैं। हमें ‘कट मनी’ मांगने वाले इन नेताओं का कद छोटा करने की आवश्यकता है, जो पैसे की मांग करते हैं। हमें बंगाल के गौरव को पुनर्स्थापित करने और इस सरकार को पूरी तरह हटाने की आवश्यकता है। ” वह अपनी टिप्पणियों में इतना सही था कि एक हफ्ते बाद जो हुआ उसने राजनीति में अपराधीकरण को रोकने की आवश्यकता की पुष्टि की।

राजस्थान का पायलट गेम

विधानसभा का विश्वास हासिल करें अशोक गहलौत
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-07-14 09:37 UTC
राजस्थान में वही हो रहा है, जिसकी आशंका थी। मध्यप्रदेश की तरह वहां भी भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस सरकार को अपदस्थ कर सत्ता प्राप्ति की कोशिश कर रही है और इस कोशिश में उसका साथ दे रहे हैं सचिन पायलट। पिछले विधानसभा चुनाव के समय पायलट प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष थे और चुनाव जीतने के बाद वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी बन गए थे। उनको और उनके समर्थकों को लगता था कि उनके कारण ही कांग्रेस की राजस्थान में जीत हुई है, हालांकि वह जीत कोई बहुत बड़ी जीत नहीं थी। कांग्रेस को बहुमत के आंकड़े के पास ही सीटें मिली थीं और बसपा व कुछ अन्य छोटे दलों और निर्दलीयों की सहायता से उसकी सरकार बन गई, पर पायलट मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलौत मुख्यमंत्री बने और सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बना दिया गया। उसके अलावा वे प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष भी बने रहे।

सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल

पूर्व न्यायाधीश भी चिंतित
के रवीन्द्रन - 2020-07-13 09:33 UTC
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे के अधीन सुप्रीम कोर्ट का समय अच्छा नहीं रहा है। समस्या के निर्णायक शुरुआती चरण में प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर अदालत के दृष्टिकोण की बहुत आलोचना की गई थी। अदालत ने जो कुछ भी सरकार द्वारा कहा गया उससे अपना संतोष दिखाने का काम किया, जबकि वास्तविकात कुछ और थी। अदालत ने अपना दिमाग लगाना उचित ही नहीं समझाा और सरकार के हां में हां मिलाती चली गई। इससे सामाजिक वैज्ञानिकों ने ही नहीं, बल्कि कानूनी हलकों में भी सुप्रीम कोर्ट के रवैये की आलोचना हुई। व्यापक असंतोष के बाद ही जिसकी विभिन्न तरीकों से अभिव्यक्ति की गई, अदालत ने अपना दृष्टिकोण बदला। लेकिन ऐसा करते समय, यह स्वतः विरोधाभास प्रतीत होता है। अदालत के दृष्टिकोण को ‘आत्म-विनाशकारी सम्मान में पीछे हटने में से एक के रूप में वर्णित किया गया था।

बुरे फंसे शिवराज

हैं तो मुख्यमंत्री पर विभागों के वितरण का भी अधिकार नहीं
एल एस हरदेनिया - 2020-07-11 10:19 UTC
भोपालः ‘भाजपा वास्तव में एक अलग किस्म की पार्टी है’। मध्य प्रदेश के राजनीतिक हलकों में आज इसकी खूब चर्चा चल रही है। बीजेपी ने इतिहास बना दिया है। मंत्रिपरिषद के गटन में उसके 102 दिन लगे। एक महीने से अधिक समय तक राज्य में मुख्यमंत्री बिना किसी मंत्रिपरिषद के ही रहे। ऐसा करके संवैधानिक प्रावधानों का मजाक उड़ाया गया, क्योंकि संविधान में यह स्पष्ट लिखा गया है कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह से राज करता है। मंत्रिपरिषद का मतलब एक से अधिक मंत्रियां का परिषद होता है। अकेले मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद नहीं कहला सकता।

भारत दलाई लामा के जरिए चीन पर दबाव क्यों नहीं बनाता?

दलाई लामा को ‘भारत रत्न’ देकर ऐसा किया जा सकता है
अनिल जैन - 2020-07-10 10:20 UTC
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर पिछले दो महीने से जारी तनाव फिलहाल तो जैसे तैसे खत्म हो गया है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि यह विवाद फिर से पैदा नहीं होगा। अतीत के अनुभव भी बताते हैं और भारत-चीन संबंधों पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों का भी मानना है कि चीन अपने विस्तारवादी मंसूबों को अंजाम देने की दिशा में हमेशा चार कदम आगे बढा कर दो कदम पीछे हटने की रणनीति पर काम करता रहा है। चीन ऐसा सिर्फ भारत के साथ ही नहीं करता है, बल्कि जापान और विएतनाम जैसे पडोसियों से भी अक्सर उसकी तू-तू, मैं-मैं होती रहती है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि वह आने वाले समय में उससे सटे भारत के सीमावर्ती इलाकों में फिर गलवान या डोकलाम जैसी कोई कोई न कोई खुडपेंच करेगा।

कोविड की दूसरी लहर तेल की कीमतें गिरा सकती हैं

सरकार के पैसा कमाने के जोश पर पानी फिर सकता है
के रवीन्द्रन - 2020-07-09 15:52 UTC
इसे केवल दैविक हस्तक्षेप के रूप में वर्णित किया जा सकता है कि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में वृृद्धि का उपयोग करके पैसा बनाने की मोदी सरकार की योजना के शून्य होने की संभावना है। कोविड प्रकोप की दूसरी लहर की संभावनाएं तेल विश्लेषकों को एक वैकल्पिक मूल्य परिदृश्य पेश करने के लिए मजबूर कर रही हैं, जहां वर्ष के शेष हिस्से में कच्चे तेल की कीमत कम रहने की उम्मीद है।

सवाल क्रीमी लेयर का

ओबीसी के बीच सर्वे करवाए सरकार
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-07-08 11:04 UTC
ओबीसी के क्रीमी लेयर को लेकर सरकार एक बड़ी घोषणा करने जा रही है। क्रीमी लेयर की आर्थिक सीमा प्रति वर्ष 8 लाख रुपये सालाना आय से बढ़ाकर 12 लाख रुपये होने जा रही है। इस तरह की वृद्धि समय समय पर होती रही है। जब ओबीसी के आरक्षण को केन्द्र सरकार ने लागू किया था, तो यह सीमा एक लाख रुपये थी। यह 1993 की बात है। उसके 27 साल हो चुके हैं और इस बीच रुपये का भारी अवमूल्यन हुआ है। इसलिए 12 लाख की सालाना आय यदि सरकार कर देती है, तो उसमें कुछ भी गलत नहीं होगा। लेकिन इसके साथ साथ एक और बदलाव करने की सरकार की योजना है और उसके कारण विवाद हो सकता है। सच तो यह है कि यह विवाद शुरू भी हो गया है।

कितने महंगे होंगे पेट्रोल डीजल?

सरकारी खजाना भरने के लिए अर्थव्यवस्था को तबाह न करें
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-07-07 11:03 UTC
मोदी सरकार अप्रत्यक्ष टैक्सेसन में किए गए ऐतिहासिक बदलाव के लिए देश आर्थिक इतिहास में याद की जाएगी। जीएसटी लागू करने का श्रेय इसे ही है। टैक्स व्यवस्था में यह बदलाव बिना खून खराबे के नहीं हुआ है, उसके बावजूद हमारा अप्रत्यक्ष टैक्सेसन पूरी तरह से जीएसटी के दायरे में नहीं आ सकता है। पेट्रोलियम उत्पाद उसके दायरे से अभी भी बाहर है और उसका बाहर रहना भी एक नये किस्म के खून खराबे का गवाह बन रहा है। इन उत्पादों पर लगाया गया टैक्स केन्द्र के ही नहीं, बल्कि राज्य सरकारों के भी राजस्व का एक बड़ा स्रोत है। केन्द्र सरकार का यह कितना बड़ा स्रोत है, इसका अंदाजा आप इसीसे लगा सकते हैं कि केन्द्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में इन पर लगाए गए टैक्सों से कुल 4 सौ 30 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया था, जो कुल उत्पाद शुल्क का 78 फीसदी था। शेष 22 फीसदी ही सेंट्रल जीएसटी सहित अन्य स्रोतों से प्राप्त हुए थे।