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हार पर कांग्रेस में आत्ममंथन

अनेक खामियों की हुई पहचान
एल एस हरदेनिया - 2019-06-03 13:14
भोपालः हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में पार्टी की हुई भारी हार के बारे में कांग्रेसी हलकों में सवाल पूछे जा रहे हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों में हो रही बैठकों में आत्म-आलोचनात्मक टिप्पणी की जा रही है।

अमित शाह के गृहमंत्री बनने के मायने

मुस्लिम एजेंडे पर तेजी से बढ़ सकती है मोदी सरकार
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-06-01 09:51
अमित शाह का मोदी सरकार में गृहमंत्री बनना हमारे देश की राजनीति के लिए खास मायने रखता हैं। वैसे प्रधानमंत्री किसे अपनी मंत्रिपरिषद में रखते हैं, किसे नहीं रखते हैं और किसे कौन सा मंत्रालय देते हैं, यह उनका अपना विशेषाधिकार है, लेकिन जब बात अमित शाह के गृहमंत्री बनाने की हो, तो यह एक साधारण फैसला नहीं माना जाता। जब उनके मंत्रिपरिषद में शामिल होने की बात चल रही थी, तो माना जा रहा था कि वे वित्त मंत्री हो सकते हैं, क्योंकि स्वास्थ्य खराब होने के कारण अरुण जेटली मंत्री बनने के लिए उपलब्ध नहीं थे और भारतीय जनता पार्टी में मंत्री बनने योग्य सांसदों और नेताओं की भारी कमी है। अमित शाह खुद बैंक वगैरह से जुड़े रहे हैं और सफल व्यवसायी भी रहे हैं, इसलिए उनके वित्त मंत्री बनने की संभावना ज्यादा थी।

मोदी सरकार से अरुण जेटली की बिदाई

क्या वित्तीय बदहाली से निकल पाएगा देश?
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-05-31 09:59
नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अपना दूसरा कार्यकाल शुरू कर दिया है। पहले कार्यकाल की सरकार से यह अनेक मामलों में भिन्न है। इस भिन्नता तो यह है कि इस सरकार में अरुण जेटली नहीं होंगे। भारतीय जनता पार्टी को 23 मई को बहुमत मिलते ही इस बात की चर्चा शुरू हो गई थी कि इस बार जेटली को वित्त मंत्रालय नहीं दिया जाएगा। उन्हें किसी अन्य मंत्रालय से संतुष्ट होना होगा। उसके बाद अरुण जेटली की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा एक पत्र जारी हुआ, जिसमें उन्होंने सरकार में फिर से शामिल होने में असमर्थता जताई थी। असमर्थता की वजह यह बताई गई कि उनका स्वास्थ्य खराब रहता है और इसके कारण वे मंत्री की जिम्मेदारी निभाने में समर्थ नहीं हैं।

कमलनाथ ने सरकार और संगठन को दुरुस्त करना शुरू किया

फिलहाल मध्यप्रदेश सरकार पर कोई खतरा नहीं
एल एस हरदेनिया - 2019-05-30 12:07
भोपालः मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विभिन्न संगठनात्मक कदम उठाते हुए यह आभास देने की कोशिश की कि कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है।

कांग्रेस से निकले दलों का कांग्रेस में विलय हो

ममता एकीकृत कांग्रेस का नेतृत्व करें
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-05-29 09:54
मोदी विरोधी कहते हैं कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में कुछ नहीं किया और सारे वादे अधूरे रहे। अब यदि बिना कुछ किए उनकी अपनी पार्टी को 303 सीटें मिल गईं और राजग को 350 से भी ज्यादा सीटें मिल गईं, तो अनुमान लगाइये कि यदि उन्होंने अपने वायदे को पूरा कर दिया होता, तो फिर उनको तो अकेले 404 सीटें मिल जातीं और राजग को 500 सीटें मिल जातीं। तब तो भारत की लोकसभा लगभग विपक्ष मुक्त हो जाती। मोदी को एक और कार्यकाल मिल गया है। इस कार्यकाल में यदि उन्होंने अपने वायदे पूरे कर दिए, तो फिर 2024 में कहीं उन्हें कुछ वैसा ही बहुमत नहीं मिल जाए, जिसका ऊपर उल्लेख किया गया है।

सोनिया परिवार का साया कांग्रेस से हटे

राहुल या प्रियंका नहीं दे सकते कांगेस को नया जीवन
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-05-28 08:45
कांग्रेस की एक बार फिर चुनावी दुर्गति हुई है। इस बार इसने अपनी सारी ताकत लगा थी। जिस प्रियंका गांधी को कांग्रेस के तुरुप का पत्ता कहा जाता था, वह भी इस बार खुल कर मैदान में उतरी और बड़े बड़े रोडशो किए। उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाकों का जिम्मा उन्हें दिया गया, लेकिन उनको आबंटित क्षेत्र में भी पार्टी बुरी तरह हारी। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए और हार की मार्जिन भी 55 हजार से अधिक रही।

सूरत हादसे ने फिर ताजा की कुंभकोणम की याद

स्कूली छात्रों को अग्नि हादसों से बचाने की चुनौती
प्रभुनाथ शुक्ल - 2019-05-27 19:08
सूरत के तक्षशिक्षा अपार्टमेंट में हुए अग्निकांड ने देश को झकझोंड़ कर रख दिया है। हादसे की खबरों ने लोगों को विचलित कर दिया, जिसने में भी टीवी पर बच्चों को चैथी मंजिल से छलांग लगाते हुए देखा उसकी रुह कांप गयी। हृदय विदारक हादसे को देख आंखें नम हो गई। जिन परिवारों के बच्चे थे उनकी उम्मीद खत्म हो गयी। सपने टूट गए, अब आंसू के सिवाय उनके पास कुछ नहीं बचा है।

उत्तर प्रदेश में साइकिल क्यो पंक्चर हुई?

माया का साथ अखिलेश को महंगा पड़ा
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-05-26 05:02
उत्तर प्रदेश के नतीजे उन सबके लिए चैंकाने वाले हो सकते हैं, जो वहां हो रहे सामाजिक बदलावों से अनजान हैं, लेकिन जिनकी नजर वहां के सामाजिक बदलाव पर है, उनके लिए यह नतीजा आना स्वाभाविक था। जाति राजनीति से अनभिज्ञ विश्लेषक यह मान बैठे थे कि माया और अखिलेश का चुनावी गठबंधन लालू और नीतीश के चुनावी गठबंधन था। लेकिन सच्चाई यह है कि लालू और नीतीश का गठबंधन बिहार के ओबीसी को एकताबद्ध करने वाला था, जबकि उत्तर प्रदेश का माया और अखिलेश के बीच हुआ गठबंधन दो जातियों का गठबंधन था। एक दलित जाति मायावती की थी, तो दूसरी ओबीसी जाति अखिलेश की। लेकिन न तो अखिलेश अब ओबीसी के नेता रह गए हैं और न ही मायावती अब दलित की नेता रह गई हैं। दोनों की राजनैतिक अपील अपनी अपनी जातियों तक ही सीमित रह गई हैं।

लालू की लालटेन बूझी क्यों?

एमवाई समीकरण ने डुबाई राजद की नैया
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-05-24 09:48
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के सारे उम्मीदवार हार गए। एक अपवाद को छोड़कर उसके समर्थित अन्य सारे उम्मीदवार भी चुनाव हार गए। बस कांग्रेस का उम्मीदवार किशनगंज से जीता। उस उम्मीदवार को जीत के लिए राजद के समर्थन की जरूरत भी नहीं थी। वहां की कुल आबादी का 70 प्रतिशत अकेले मुसलमान ही है और कांग्रेस उम्मीदवार को मुस्लिम समर्थन के भरोसे ही चुनाव जीतना था और वह जीत भी गया। लेकिन मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके की अन्य सीटों पर जहां मुस्लिम आबादी 35 से 40 फीसदी तक है, वहां भी लालू और लालू के समर्थित उम्मीदवार चुनाव हार गए और हार का अंतर भी बहुत बड़ा रहा।

नरेन्द्र मोदी की शानदार वापसी

यह वंचित समाज की मौन क्रांति है
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-05-23 10:47
नरेन्द्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। मनमोहन सिंह के बाद वे ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री होंगे, जो गांधी- नेहरू परिवार से बाहर का है। वे एकमात्र ऐसे ओबीसी प्रधानमंत्री हैं, जो न केवल अपना पहला कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, बल्कि लगातार दो बार वे जनता का जनादेश ले चुके हैं। उन्हें मिली यह सफलता 2014 में मिली सफलता से भी बड़ी है। वह इतनी बड़ी है कि उनके विरोधियों और अनेक राजनैतिक पंडितों को यह हजम ही नहीं हो रही है। जब दो एक्जिट पोल में सफलता का यह मार्जिन दिखाया गया था, तो भाजपा विरोधी पार्टियों में आक्रोश का माहौल व्याप्त हो गया था और उन्हें लगने लगा था कि वे एक्जिट पोल फर्जी थे और ईवीएम में छेड़छाड़ या उनको बदलकर इस तरह का नतीजा प्राप्त करने का इंतजाम किया गया है और उसे सच साबित करने के लिए यह फर्जी एक्जिट पोल के नतीजे तैयार किए गए हैं।