मौसम की अति से नहीं, साधनहीनता से मरते हैं लोग
ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती का सामना कैसे करेंगे हम?
2019-01-31 09:52
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कहीं भूख और कुपोषण से होने वाली मौतें तो कहीं गरीबी और कर्ज के बोझ से त्रस्त किसानों के खुदकुशी करने के जारी सिलसिले के बीच ही हर साल सर्दी की ठिठुरन, बारिश-बाढ और गरम लू के थपेडों से भी लोग मरते है। असमय होने वाली ये मौतें नग्न सच्चाइयां हैं हमारे उस भारत की जिसके बारे में दावा किया जाता है कि वह तेजी से विकास कर रहा है और जल्द ही दुनिया की एक महाशक्ति बन जाएगा। ये सच्चाइयां सिर्फ हमारी सरकारों के 'शाइनिंग इंडिया’ और 'भारत निर्माण’ 'न्यू इंडिया’ 'स्टार्टअप इंडिया’, 'स्टैंडअप इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों और अर्थव्यवस्था के बारे में किए जाने वाले गुलाबी दावों की ही खिल्ली नहीं उडाती हैं बल्कि व्यवस्था पर काबिज लोगों की नालायकी और संवेदनहीनता को भी उजागर करती है।