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नेहरू की नजर में गांधी

समाजवादी नेहरू गांधी के अनुयाई क्यों थे
एल. एस. हरदेनिया - 2019-11-13 10:05 UTC
आधुनिक भारत को जिन दो महान व्यक्तियों ने सर्वाधिक प्रभावित किया वे हैं महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू। जहां गांधी ने भारत को आजाद कराने मंे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी वहींे जवाहरलाल नेहरू ने आजाद भारत के चहुंमुखी विकास में उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। गांधी और नेहरू की आयु में पूरे 20 वर्ष का अंतर था। गांधी का जन्म सन् 1869 में हुआ था वहीें नेहरू का 1889 में। यह अंतर लगभग एक पिता और पुत्र की आयु के अंतर के बराबर था। इसलिए गांधी ने नेहरू को अपना पुत्र ही माना।

करतारपुर एक अच्छी पहल

आशंकाओं में लिपटा उम्मीदों का ऐतिहासिक गलियारा
अनिल जैन - 2019-11-11 17:14 UTC
नौ नवंबर 1989 को पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी को बांटने वाली बर्लिन की दीवार गिराने की शुरुआत हुई थी। 30 साल बाद 9 नवंबर को ही पाकिस्तान और भारत के बीच बना करतारपुर गलियारा भारत के सिक्ख श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। दुनिया के दो महाद्वीपों में घटी इन दो ऐतिहासिक घटनाओं के बीच सिर्फ अंतर 30 साल का ही नहीं हैं बल्कि और भी कई सारें फर्क हैं। मगर सबसे मोटा फर्क यह है कि जर्मनी की उस घटना से दो देशों के फिर से एक होने की शुरुआत हुई थीे। पर करतारपुर गलियारा खुलने से वैसा कुछ नहीं होने जा रहा। इस गलियारे से सिर्फ भारत के सिख श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित अपने सबसे बडे आस्था स्थल पर मत्था टेकने जा सकेंगे। इसके बावजूद इस घटना के ऐतिहासिक महत्व को नकारा नहीं जा सकता।

अयोध्या पर सुप्रीम फैसला

क्या अब काशी और मथुरा विवाद को खोला जाएगा?
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-11-09 11:24 UTC
अयोध्या मसले पर सुप्रीम फैसला आ गया है और इसके साथ करीब पौने दो साल पुराना विवाद समाप्त हो गया है। ज्ञात इतिहास में पहला विवाद 1850 के दशक में शुरू हुआ था। 1880 के दशक में एक अदालती आदेश ने वह विवाद समाप्त कर विवादित स्थल के एक हिस्से पर हिन्दुओं को दूसरे हिस्से पर मुसलमानों को क्रमशः पूजा करने और नमाज पढ़ने का अधिकार दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले मे उस अदालती फैसले की प्रतिध्वनि सुनाई पड़ती है।

आरसीईपी में भारत

हमें अपना समय खुद चुनना होगा
अशोक बी शर्मा - 2019-11-08 10:35 UTC
भारत ने वर्तमान रूप में मेगा ट्रेडिंग ब्लॉक रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है क्योंकि इसकी मांग पूरी नहीं हुई थी। खैर इसका मतलब यह नहीं है कि उसे अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी को छोड़ना होगा। किसी व्यापार ब्लॉक में शामिल होना क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के तरीकों में से एक है। भारत के दूरदराज के प्रशांत द्वीप समूह तक के क्षेत्र के सभी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंध हैं। पारस्परिक विकास, आर्थिक सहयोग, संपर्क और लोगों से लोगों का संपर्क भारत की नीति की आधारशिला रहा है और इसलिए आरसीईपी का हिस्सा नहीं होने से यह एक्ट ईस्ट पाॅलिसी को किसी भी तरह से अप्रासंगिक नहीं बनाता है।

नागरिकों के निजता अधिकार पर मोदी सरकार की दो मुही बात

उसके द्वारा व्हाट्सएप की आलोचना का कोई मतलब नहीं
के रवीन्द्रन - 2019-11-07 12:28 UTC
कानून और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारतीयों की गोपनीयता भंग करने के लिए व्हाट्सएप को फटकार लगाई है। यह शैतान द्वारा भगवान की शपथ खाने की तरह है।

कमलनाथ ने केन्द्र के खिलाफ धरना की धमकी दी

किसानों की मांग पर मुख्य फोकस
एल. एस. हरदेनिया - 2019-11-06 09:38 UTC
भोपालः अगर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ दिल्ली में अपने सहयोगीें मंत्रियों के साथ एक दिन का विरोध प्रदर्शन करने की धमकी पर अमल कर देते हैं, तो यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ देगा।

चिंता और अनर्गल प्रलाप के बीच बढ़ती आबादी की हकीकत

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार की नाकामी से ध्यान हटाने का उपक्रम
अनिल जैन - 2019-11-05 11:17 UTC
बढती जनसंख्या एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। हाल में ही भाजपा की असम सरकार ने ऐलान किया है कि असम में 1 जनवरी, 2020 से उन लोगों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, जिनकी दो से ज्यादा संतान हैं। इसके बाद बहस चल पडी है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को सख्त कानून बनाना चाहिए। दो राय नहीं कि तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों के लिए भी चिंता का सबब है। जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है, उसके लिए जीवन की बुनियादी सुविधाएं और संसाधन जुटाना तथा रोजगार के अवसर पैदा करना चुनौती साबित हो रहा है।

प्रदूषण के गुनाहगार

जिम्मेदारी तो तय होनी ही चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-11-04 10:25 UTC
पिछले कई सालों से प्रदूषण दिल्ली की एक बहुत बड़ी समस्या रही है। इसे हल करने की कोशिश में सुप्रीम कोर्ट ने तो एक बार डीजल से चलने वाले सार्वजनिक वाहनों को पूरी तरह दिल्ली में बंद भी करवा दिया था। सरकारी स्तर पर भी पेड़ लगाने का काम शुरू हुआ था और आज दिल्ली पहले से ज्यादा हरी भरी है। लेकिन उन प्रयासों के बावजूद प्रदूषण का मर्ज बद से बदतर होता जा रहा है। पिछले कुछ सालों से प्रदूषण ने यहां मारक रूप अख्तियार कर लिया है और इसके कारण कितने लोग मर रहे हैं, उसका सही आंकड़ा तक सरकार के पास नहीं है।

भाजपा का विधान परिषद के गठन की योजना का विरोध

विधायक आवास के निर्माण पर भी विवाद
एल एस हरदेनिया - 2019-11-02 16:08 UTC
भोपालः झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में भारी जीत दर्ज करने के बाद कमलनाथ सरकार ने राज्य में विधान परिषद के गठन के लिए कदम उठाया है। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र (घोषणापत्र) में राज्य में उच्च सदन का गठन करने का वादा किया था। जैसा कि ऐसा करने की बात ज्ञात हो गई, भाजपा ने मुख्य विपक्षी दल के रूप में इसे दुर्लभ राज्य संसाधनों की बर्बादी करार दिया, इस कदम को पार्टी में असंतुष्ट तत्वों को खुश करने का उद्देश्य बताया। मकसद सरकार को स्थिरता देना है जो बहुमत के लिए सुनिश्चित नहीं है।

कश्मीर में यूरोपीय सांसदों का क्या काम?

अनिल जैन - 2019-11-01 16:01 UTC
वैसे तो कश्मीर तब से ही भारत का अभिन्न अंग है, जब से उसका भारत में विलय हुआ है, लेकिन 5 अगस्त, 2019 के बाद से वह ऐसा और इतना ‘अभिन्न अंग’ हो गया है कि वहां केंद्र सरकार की मर्जी के बगैर भारतीय संसद के सदस्य नहीं जा सकते। जो जाने की कोशिश करते हैं, उन्हें श्रीनगर के हवाई अड्डे से बाहर नहीं निकलने दिया जाता और वहीं से वापस दिल्ली भेज दिया जाता है। वहां संसद के उच्च सदन में विपक्ष के नेता और उस सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री भी नहीं जा सकते। उन्हें वहां जाने के अपने अधिकार के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगानी पडती है। सुप्रीम कोर्ट उन्हें जाने की अनुमति भी देता भी है तो तमाम तरह की शर्तों के साथ। वहां विदेशी पत्रकारों को जाने की तो कतई अनुमति नहीं है। नई दिल्ली स्थित विभिन्न देशों के राजनयिक भी वहां नहीं जा सकते। लेकिन यूरोपीय देशों में कार्यरत एक स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) से जुड़ी एक इंटरनेशनल बिजनेस ब्रोकर की सिफारिश पर यूरोपीय संसद के 27 सदस्यों को भारत सरकार खुशी-खुशी वहां जाने देती है। हैरानी की बात यह कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली में उन विदेशी सांसदों का खैरमकदम करते हैं।