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मध्यप्रदेश में घोटाले का अंत नहीं

स्मार्ट सिटी घपले में टाॅप नौकरशाह पर मुकदमा
एल एस हरदेनिया - 2019-10-22 08:41 UTC
भोपालः लगभग हर दिन जब आप अपना अखबार खोलते हैं तो आप भ्रष्ट आचरण में पाए गए किसी न किसी अधिकारी के बारे में खबर पढ़ते हैं। कई करोड़ों की संपत्ति और नकदी निकल रही है। 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के मालिक होने के लिए ताजा मामले में आबकारी अधिकारी आलोक खरे का नाम आ रहा है।

स्वाधीनता संग्राम के खलनायकों को महानायक बनाने की तैयारी

हालांकि सावरकर की करनी को लेकर उसका अपराध बोध अभी भी बना हुआ है
अनिल जैन - 2019-10-21 09:31 UTC
एक तरफ नफरत से उपजे हिंदुत्व की प्रयोगशाला में तब्दील हो चुकी गांधी की जन्मस्थली गुजरात में नौवीं कक्षा की आंतरिक परीक्षा में सवाल पूछा जाता है कि महात्मा गांधी ने आत्महत्या कैसे की थी। इसके बाद दूसरी ओर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा अपने घोषणा पत्र में ऐलान करती है कि अगर वह फिर से सत्ता में आई तो विनायक दामोदर सावरकर को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेगी।

वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंचा

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आपात उपाय अपनाने होंगे
अरुण मित्रा - 2019-10-19 09:34 UTC
पिछले कई वर्षों की तरह, हमें एक बार फिर ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है जहाँ वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर को पार कर गया है। जो लोग पहले से ही सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं, उनकी स्थिति सबसे खराब है। ऐसी ही गंभीर स्थिति 1998 में हुई जब पूरे पंजाब में धुएं ने बड़ी संख्या में बीमारकर लोगों को गंभीर संकट में डाल दिया था। कृषि और चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस विषय पर कई बार विचार-विमर्श किया है।

मध्यप्रदेश कांग्रेस में आंतरिक गुटबाजी तेज

कमालनाथ बन रहे हैं दिग्विजय और सिंधिया का निशाना
एल.एस हरदेनिया - 2019-10-18 09:39 UTC
भोपालः मध्य प्रदेश कांग्रेस झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में गुटीय विभाजन की छाया में चुनाव लड़ रही है। ऐसे समय में जब पार्टी को अपने चुनावी आधार को मजबूत करने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा समर्पित करनी चाहिए, उसके नेता विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र पर पत्र भेज रहे हैं।

कश्मीर के हालात: चाहत ‘आजादी’ की है लेकिन 370 से भी लगाव कम नहीं

अनिल जैन - 2019-10-17 12:36 UTC
नई दिल्ली (कश्मीर से लौटकर)ः संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से लेकर अब तक कश्मीर घाटी में हालात बेहद असामान्य बने हुए हैं। एक ओर जहां ‘कश्मीर की आजादी’ चाहने वाले घाटी के ज्यादातर बांशिदों का कहना है कि अनुच्छेद 370 अब उनके लिए कोई मुद्दा नहीं है, वहीं दूसरी ओर कई लोग ऐसे भी हैं जिनका अनुच्छेद 370 से गहरा लगाव है और वे मानते हैं कि सरकार ने कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर उनके साथ नाइंसाफी की है, यह दर्जा फिर से बहाल होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या पर पूरी हुई सुनवाई

फैसला सबको स्वीकार्य होना चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-10-16 12:59 UTC
अयोध्या की विवादित जमीन, जहां 6 दिसंबर 1992 के पहले बाबरी मस्जिद खड़ी थी और जिसके बारे में हिन्दू पक्ष का दावा है कि वहां राममंदिर था और वह राम का जन्मस्थान है, पर फैसला अब एक महीने में आ जाएगा, क्योंकि 17 नवंबर को प्रधानन्यायाधीश न्यायमूर्ति गोगाई रिटायर हो रहे हैं। रिटायर होने के अंतिम दिन या उसके एक दिन पहले उनके नेतृत्व वाली पीठ फैसला सुना देगी और एक पक्ष के लिए वह उत्सव का तो दूसरे पक्ष के लिए गम का कारण होना तय है। जिस तरह की दलीलें दोनों पक्षों ने दी और जजों ने जिस तरह के सवाल उनसे पूछे इससे तो यही लगता है कि यह फैसला किसी के पक्ष में भी जा सकता है।

चीन भारत के लिए नेपाल में एक बड़ी चुनौती

नेपाल के प्रति भारत को ज्यादा उदार होना पड़ेगा
बरुण दास गुप्ता - 2019-10-15 12:46 UTC
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत आए थे और पिछले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दक्षिण के ममल्लापुरम में एक अनौपचारिक शिखर सम्मेलन (पिछले साल वुहान शिखर सम्मेलन के बाद दूसरा) किया था। चूंकि यह एक अनौपचारिक बैठक थी, इसलिए कोई एजेंडा नहीं था, कोई अधिकारी मौजूद नहीं था, कोई मिनट दर्ज नहीं की गई थी और न ही शिखर सम्मेलन के बाद कोई संयुक्त बयान जारी किया गया था। लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय के सचिव द्वारा प्रेस को दी गई ब्रीफिंग ने यह धारणा दी कि दोनों नेताओं की प्राथमिक चिंता चीन के खिलाफ डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा छेड़ा गया व्यापार युद्ध था। इसके नतीजों ने कई देशों को प्रभावित किया है, जिसमें भारत भी शामिल है।

महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव

कांग्रेस और एनसीपी का एसिड टेस्ट
हरिहर स्वरूप - 2019-10-14 17:48 UTC
दो महत्वपूर्ण राज्यों- हरियाणा और महाराष्ट्र में मतदान अभियान अपने चरम पर है। 2019 के चुनावों में नरेंद्र मोदी सरकार की वापसी के बाद यह इस बात की पहली परीक्षा है कि क्या प्रधानमंत्री की लोकप्रियता बरकरार है, या क्या कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों ने उन्हें चुनौती देने की क्षमता हासिल की है। ये चुनाव आने वाले दिनों में राजनीति की दिशा और दशा भी तय करेंगे।

आर्थिक सुस्ती अब आर्थिक मंदी का रूप ले रही है

सरकार अपनी कुंभकर्णी नींद को कब त्यागेगी?
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-10-12 09:48 UTC
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर देश को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। सितंबर महीने की औद्योगिक विकास दर के आंकड़े आ गया है और इस महीने विकास की दर नकारात्मक रही है। इसका मतलब है कि विकास हुआ ही नहीं है, इसके उलट उद्योगों मे उत्पादन कम हो गया है। पिछले साल सितंबर महीने मे जितना औद्योगिक उत्पादन हुआ था, उससे इस साल के सितंबर में एक फीसदी से भी ज्यादा कम हो गया। यह देश के लिए बहुत ही खौफनाक आंकड़ा है। जब विकास दर गिर रही थी, तब कहा जा रहा था कि यह मंदी की स्थिति नहीं है, बल्कि यह सुस्ती की स्थिति है। यानी आर्थिक विकास हो रहा है, लेकिन विकास की दर कमजोर है, लेकिन नकारात्मक विकास दर का मतलब होता है कि विकास हो ही नहीं रहा है, बल्कि उसका उलटा हो रहा है। इस स्थिति को तो सुस्ती की स्थिति नहीं कही जा सकती। यह सीधा सीधा आर्थिक मंदी का मामला है और सरकार आर्थिक शब्दजाल से लोगों को उलझाकर नहीं रख सकती।

अध्यादेश पर राज्यपाल से टकराव को कमलनाथ ने टाला

भाजपा नेताओं को राज्यपाल के निर्णय से निराशा
एल एस हेरदेनिया - 2019-10-11 10:20 UTC
भोपालः राजनीतिक प्रबंधन में अपने कौशल का उपयोग करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ राजभवन और राज्य सरकार के बीच सीधे टकराव को रोकने में कामयाब रहे। राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य में नगर निकायों और नगर पंचायतों के महापौरों और चेयरपर्सन के चुनाव की प्रक्रिया में भारी बदलाव करते हुए एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी। अब तक शहरी नागरिक निकायों के प्रमुख सीधे लोगों द्वारा चुने जाते थे। अध्यादेश में नगरसेवकों द्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव का प्रस्ताव है। इस कदम का मुख्य विपक्षी भाजपा ने कड़ा विरोध किया था। पार्टी के शीर्ष नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की थी और उनसे अनुरोध किया था कि वे इस उपाय को स्वीकार न करें।