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उत्तर प्रदेश की राजनैतिक हलचल

महागठबंधन की राह आसान नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-09-19 12:25 UTC
भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने के लिए जिस महागठबंधन पर भरोसा किया जा रहा है, उसका उत्तर प्रदेश में सफल होना बेहद जरूरी है। इसका कारण यह है कि उत्तर प्रदेश लोकसभा में 80 सांसद भेजता है और 2014 के चुनाव में इसने भाजपा के 71 और उसके सहयोगी अपना दल के 2 सांसदों को संसद में चुनकर भेजा था। उत्तर प्रदेश के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी को उतनी बड़ी जीत पहले कभी मिली ही नहीं थी। जब वहां राम मंदिर आंदोलन के कारण सांप्रदायिक माहौल अत्यंत ही तनावपूर्ण था और प्रदेश की राजनीति पर कल्याण सिंह की तूती बोलती थी, तब भी संयुक्त उत्तर प्रदेश की 85 सीटों में से ज्यादा से ज्यादा 58 सीटों पर भी भाजपा की जीत हुई थी।

सवालों के घेरे में आधार

जानकारियां सुरक्षित होने के दावे कितने खरे?
योगेश कुमार गोयल - 2018-09-18 12:37 UTC
आधार कार्ड के डाटाबेस की सुरक्षा में सेंध को लेकर आए दिन नए-नए दावे सामने आ रहे हैं और विड़म्बना यह है कि आधार प्राधिकरण इस तरह के दावों को खारिज करने से ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहा है। अब हाफिंगटन पोस्ट की तीन माह की पड़ताल के बाद एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आधार का साॅफ्टवेयर हैक किया जा चुका है तथा भारत के लगभग एक अरब लोगों की निजी जानकारियां दांव पर हैं।

मध्यप्रदेश में राहुल प्रभाव

बदलाव के लिए मध्यप्रदेश कांग्रेस सड़क पर
राजु कुमार - 2018-09-18 12:33 UTC
मध्यप्रदेश में पिछले 15 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस ने इस बार "करो या मरो" की रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया। लगातार सुस्त रहने वाली कांग्रेस पार्टी पिछले कुछ महीने से चुस्ती दिखा रही है। इसी कड़ी में कांग्रेस ने भोपाल में एक मेगा शो का आयोजन किया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भोपाल में कांग्रेस संकल्प यात्रा और कार्यकर्ता संवाद में शामिल होकर औपचारिक चुनावी बिगुल फूंक दिया। हर बैनर पोस्टर पर ‘वक्त है बदलाव का’ स्लोगन के साथ कांग्रेस की यह कोशिश रही है कि लगातार गुटबाजी में उलझी पार्टी इससे उबर कर प्रदेश की सत्ता का परिवर्तन कर दे।

लोकसभा अध्यक्ष के अटपटे बोल

अहंकार सातवें आसमान पर
अनिल जैन - 2018-09-17 12:52 UTC
पिछले लंबे समय से सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ताओं की ओर से ही नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों की ओर से भी उटपंटाग बयानबाजी करने का बेलगाम सिलसिला बना हुआ है। सत्ता के मद में चूर होकर दिए जा रहे इस तरह के बयान न सिर्फ अनैतिक है बल्कि संवैधानिक मर्यादा का भी उल्लंघन करते हैं। इस तरह की बयानबाजी के सिलसिले में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी अपवाद नहीं हैं। उनके बयानों से कई बार तो ऐसा लगता है मानो वे खुद ही अपने को पार्टी का आम कार्यकर्ता दिखाने के लिए प्रयासपूर्वक ऐसे बयान देती हैं, जिनकी राजनीतिक परिपक्वता से अस्पृश्यता बनी रहे।

माल्या को देश से किसने भगाया?

सेंट्रल हाॅल की सीसीटीवी फुटेज में इसका सबूत हो सकता है?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-09-15 11:41 UTC
बैंकों के 9 हजार करोड़ रुपये लेकर विदेश भागने वाले विजय माल्या पर चर्चा जोरो पर है। ताजा चर्चा का कारण इंग्लैंड की एक अदालत में चला वह मुकदमा है, जिसे यह फैसला करना है कि माल्या को भारत वापस भेजा जाय या नहीं। उस अदालत में अपने बचाव में माल्या ने हर संभव प्रयास किया। अदालत से बाहर भी वह अपना बचाव करता रहा और कहा कि वह बैंकों का सारा रुपया वापस करने के लिए तैयार था और इसके लिए उसने एक प्रस्ताव भी तैयार किया था। उस प्रस्ताव को लेकर वह वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिला भी था, लेकिन जेटली ने उसके प्रस्ताव पर विचार नहीं किया और फिर उसने उसी समय उन्हें कह दिया कि वे अब भारत छोड़कर इंग्लैंड जा रहे हैं।

कानूनी उत्पीड़न के विरोध में सवर्ण समुदाय

महंगी पड़ेगी मोदी सरकार को सवर्णों की नाराजगी
योगेश कुमार गोयल - 2018-09-14 13:08 UTC
केन्द्र सरकार द्वारा पिछले दिनों मानसून सत्र के दौरान एससी/एसटी एक्ट को लेकर मार्च माह के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) संशोधन विधेयक 2018 संसद में पारित करा दिया गया था, जिसे लेकर गुस्से का इजहार करने के लिए सवर्ण वर्ग द्वारा गत दिनों भारत बंद का आयोजन किया गया, जिसका देश के कई राज्यों में व्यापक असर भी देखा गया।

एससी-एसटी एक्ट पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की हिदायत

क्या एक बार फिर होगा इस एक्ट में बदलाव?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-09-13 11:44 UTC
इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले ने एससी/एसटी विवाद में एक नया मोड़ पैदा कर दिया है। इसके कारण अब इस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होते ही गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गयी है। इससे एससी/एसटी एक्ट पर चल रहा विवाद अभी और आगे भी जारी रह सकता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस कानून के कुछ प्रावधानों में बदलाव कर दिया गया था और उसके कारण इस कानून के तहत मुकदमा दर्ज होते ही गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गयी थी। सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अनुसूचित जातियों के लोगों ने जबरस्त हंगामा किया था और पिछले 2 अप्रैल को भारत बंद का आयोजन किया गया था। उस भारत बंद के दौरान कुछ राज्यों में भारी हिंसा हुई थी।

विवेकानंद को बौना बनाने का भौंडा प्रयास

कट्टरवादी हिन्दू उन्हें हजम नहीं कर सकते
अनिल जैन - 2018-09-12 12:16 UTC
शिकागो (अमेरिका) में 125 वर्ष पहले 11 सितंबर 1893 को हुए धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने अपने ऐतिहासिक वक्तव्य के माध्यम से भारत की एक वैश्विक सोच को सामने रखते हुए हिंदू धर्म का उदारवादी चेहरा दुनिया के सामने रखा था। पूरी दुनिया ने उनके भाषण को सराहा था। वह सम्मेलन किसी एक धर्म विशेष का सम्मेलन नहीं था, लेकिन उस सम्मेलन में विवेकानंद के दिए गए उस वक्तव्य की याद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद ने वहां जो आयोजन किया, वह घोषित रूप से ‘हिंदू सम्मेलन’ था, जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर संघ के मुखिया मोहन भागवत ने अपने भाषण में निहायत ही घटिया शब्दावली में अपने हिंदुत्व के संकीर्ण दर्शन को पेश किया। यही नहीं, उन्होंने अपने उस दर्शन को विवेकानंद की विरासत से जोडते हुए प्रकारांतर से विवेकानंद की स्वीकार्यता को भी सीमित करने का भौंडा प्रयास किया।

देश पर आज भी अंग्रेजियत हावी है

अंग्रेजी के दो-चार शब्द बोल देना बुद्धिमत्ता की पहचान बन गई है
भरत मिश्र प्राची - 2018-09-11 13:31 UTC
जहां गुड मार्निंग से सूर्योदय होता हो, गुड इवनिंग से सूर्यास्त, निशा की गोद में सोया-सोया इंसान बुदबुदाता हो गुड नाईट-गुड नाईट। किसी के पैर पर पैर पड़ जाये तो साॅरी, गुस्सा आने पर नाॅनसेंस, गेट आऊट, इडियट आदि-आदि की ध्वनि मुख से बार - बार निकलती हो । कैसे कोई कह सकता है, यह वही देश हैं जिस देश की 90 प्रतिशत जनता हिन्दी जानती समझती एवं बोलती है। जिस देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश

न्यायमूर्ति दीपक मिश्र के बाद रंजन गोगोई बैठेंगे इस पद पर
हरिहर स्वरुप - 2018-09-10 13:40 UTC
दो अक्टूबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायामूर्ति दीपक मिश्र सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनका कार्यकाल विवादों में फंस गया था, लेकिन वह दृढ़ता से सभी बाधाओं के खिलाफ खड़े थे और अंत में उन्होंने अपने को खरा साबित किया। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने न्यायमूर्ति मिश्र के खिलाफ महाअभियोग लाने की कोशिश की, लेकिन राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया। नायडू ने पाया कि उस प्रस्ताव में पर्याप्त कारण नहीं थे। उन्होंने कहा कि किसी भी विचार, शब्द या कार्रवाई से राज्य के किसी भी खंभे को हम कमजोर नहीं कर सकते।