वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2016: भारतीयों की खुशी पर 'विकास’ का ग्रहण!
- 2016-04-17 04:30 UTCहमारे देश में पिछले करीब दो दशक से यानी जब से नव उदारीकृत आर्थिक नीतियां लागू हुई हैं, तब से सरकारों की ओर से आए दिन आंकडों के सहारे देश की अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर पेश की जा रही है और आर्थिक विकास के बडे-बडे दावे किए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे सर्वे भी बताते रहते हैं कि भारत तेजी से आर्थिक विकास कर रहा है और देश में अरबपतियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। इन सबके आधार पर तो तस्वीर यही बनती है कि भारत के लोग लगातार खुशहाली की ओर बढ रहे हैं। लेकिन हकीकत यह नहीं है। हाल ही में जारी ’वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक 2016’ में भारत को 157 देशों में 118वां स्थान मिला है। यह प्रसन्नता सूचकांक संयुक्त राष्ट्र का एक संस्थान सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क (एसडीएसएन) हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वे करता है, जिसमें अर्थशास्त्रियों की एक टीम समाज में उदारता, सहिष्णुता और अपनी पसंद की जिंदगी जीने या अपने बारे में फैसले लेने की आजादी, सामाजिक सुरक्षा, लोगों में स्वस्थ और दीर्घ की जीवन की प्रत्याशा, भ्रष्टाचार आदि पैमानों पर दुनिया के सारे देशों के नागरिकों के इस अहसास को नापती है कि वे कितने खुश हैं?